Tuesday, 23 April, 2024

महान गणितज्ञ पद्मभूषण प्रो.सी.एस.शेषाद्रि का अवसान

स्मृति – बीजीय ज्यामिति (Algebraic Geometry) के ज्ञाता प्रो.सी.एस.शेषाद्रि का अतुल्य व असाधारण योगदान
नवनीत कुमार गुप्ता
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
प्रख्यात गणितज्ञ पद्मभूषण प्रोफेसर सी.एस. शेषाद्रि का 17 जुलाई, 2020 को 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका जन्म 29 फरवरी 1932 को तमिलनाडु के कांचीपुरम में हुआ था। प्रोफेसर सी.एस. शेषाद्रि ने इस दुनिया से ऐसे समय विदा ली, जब भारत महान गणितज्ञ रामानुजन की सौवीं पुण्यतिथि मना रहा है। आजादी के बाद से सबसे प्रख्यात भारतीय गणितज्ञ, प्रोफेसर सी.एस.शेषाद्री का निधन पूरे विज्ञान जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक ट्वीट में कहा, एक बहुमुखी व्यक्तित्व और गणितीय प्रतिभा, प्रो.सी.एस. शेषाद्रि को बीजीय ज्यामिति में उनके असाधारण योगदान के लिए जाना जाता है। उनके निधन से हमने एक संस्थान निर्माता को खो दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रो. सी.एस. शेषाद्रि के निधन पर शोक में लिखा कि ‘प्रोफेसर शेषाद्रि के निधन से हमने एक निष्ठावान बुद्धिजीवी खो दिया है जिन्होंने गणित के क्षेत्र में असाधारण कार्य किया। विशेष रूप से, बीजगणितीय ज्यामिति में उनके प्रयासों को कई पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।

‘स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स’ के जनक
वर्ष 1953 में मद्रास यूनिवर्सिटी से गणित में स्नातक डिग्री लेने के बाद उन्होंने 1958 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली। एक शिक्षक के रूप में उन्होंने टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान से कॅरिअर की शुरुआत की। 1984 में वे चेन्नई में इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेज में शामिल हो गए। 1989 में उन्हें साइंस फाउंडेशन के तहत ‘स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स’ शुरू करने का अवसर मिला, जो आगे चलकर चेन्नई गणित संस्थान के रूप में विकसित हुआ। 2009 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया।
वे चेन्नई स्थित गणित संस्थान के संस्थापक और निदेशक-एमेरिटस रहे, जो देश में गणित के उच्च अध्ययन के लिए प्रख्यात स्थान है। चेन्नई गणित संस्थान एक ऐसे अनूठे संस्थान के रूप में उभरा जो स्नातक स्तर की एजुकेशन को रिसर्च के साथ एकीकृत करने का प्रयास रहा है। प्रो.शेषाद्रि को बीजीय ज्यामिति में उनके योगदान बहुत प्रशंसा मिली। उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया। उन्होंने एम.एस.नरसिम्हन के साथ मिलकर नरसिम्हन-शेषाद्रि प्रमेय का विकास किया। प्रो. शेषाद्री को बीजीय ज्यामिति (Algebraic Geometry) मे उनके काम के लिए हमेशा जाना जाता है। शेषाद्री नियतांक (Seshadri constant) उनके नाम पर रखा गया है। प्रो.शेषाद्रि को वर्ष 1988 में रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया।

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