Saturday, 20 April, 2024

आषाढ़ गुप्त नवरात्र 13 जुलाई से प्रारंभ

न्यूजवेव उज्जैन
देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वर्ष के सबसे पवित्र और सिद्ध दिन नवरात्रि के माने गए हैं। इन नौ दिनों में देवी भक्तों पर कृपा बरसाती है। जो लोग जीवन में धन, मान, सुख, संपत्ति, वैभव और सांसारिक सुखों को पाना चाहते हैं, उन्हें नवरात्रि में देवी के सिद्ध दिनों में साधना जरूर करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों में विशेष मनाई जाती है। इन नौ दिनों में मां भगवती के गुप्त स्वरूप काली, तारा, बगला, षोडशी, आदि की आराधना की जाएगी। इन दिनों में मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाएगी।

गुप्त नवरात्र की पूजा विधि

ज्योतिषी पं.दयानंद शास्त्री के अनुसार, गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्र की तरह पूजा-अनुष्ठान करने चाहिये। 9 दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है।
नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना दुर्गा सप्तसती से की जाती है परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है।

भोग-विलास से दूर रहें
गृहस्थ साधक जो सांसारिक वस्तुएं, भोग-विलास के साधन, सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन पाना चाहते हैं उन्हें इन नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए। यदि इतना समय न हों तो सप्तश्लोकी दुर्गा का प्रतिदिन पाठ करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए और साधना की पूर्णता के लिए नौ दिनों में लोभ, क्रोध, मोह, काम-वासना से दूर रहते हुए केवल देवी का ध्यान करना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा, वस्त्र भेंट करें।

13 से 21 जुलाई तक नवरात्र पूजा
वर्ष 2018 में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र के रूप में मनाये जायेगें। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह नवरात्र 13 से 21 जुलाई 2018 तक रहेंगें। माँ भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा नवरात्र में जाती है-
13 जुलाई (शुक्र) – घट स्थापन एवं माँ शैलपुत्री पूजा
14 जुलाई (शनि) – माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
15 जुलाई (रवि) – माँ चंद्रघंटा पूजा
16 जुलाई (सोम) – माँ कुष्मांडा पूजा
17 जुलाई (मंगल) – माँ स्कंदमाता पूजा
18 जुलाई (बुध) – माँ कात्यायनी पूजा
19 जुलाई (बृहस्पति)-माँ कालरात्रि पूजा
20 जुलाई (शुक्र) – महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी
21 जुलाई (शनि ) – माँ सिद्धिदात्री, नवरात्री पारण

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