Friday, 19 April, 2024

जिस घर में गौमाता,सुख-समृद्धि का वास वहां- गौवत्स राधाकृष्ण महाराज

भवानीमंडी में ‘नानी बाई रो मायरो’ कथा के द्वितीय सोपान में मनाया बसंतोत्सव 
न्यूजवेव भवानीमंडी
गौवत्स पूज्य राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि जिस घर में गौमाता का निवास रहता है, वहां हमेशा सुख-समृद्धि हमेशा निवास करती है। राधेश्याम की बगीची स्थित गोकुल धाम में ‘नानी बाई रो मायरो’  कथा के दूसरे दिन उन्होने भगवान और भक्त के प्रगाढ़ रिश्ते का मार्मिक वर्णन किया। मारवाड़ी शैली में नानीबाई रो मायरो का वृतांत व प्रसंग सुनकर हजारों श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।

उन्होनें कहा कि समर्पण भाव से की गई भक्त की भावना भगवान् तक अवश्य पहुंचती है। भगवान् मनुष्य की प्रत्येक जरूरत को समझते हैं और मनोभाव से प्रार्थना हो तो उसे स्वीकार अवश्य करते हैं। मनुष्य शरीर मिलने पर यदि सत्संग प्राप्त हो जाए तो जीवन सार्थक है।
महाराज ने कहा कि जिस तरह डिग्री प्राप्त करने के बाद अच्छी नौकरी न मिले तो डिग्री बेकार है, ठीक उसी तरह सत्संग बिना मनुष्य जीवन पाना भी बेकार है। जवानी जीवन का सबसे कीमती समय होता है। जितना जवानी का सदुपयोग कर लेंगे उतना जीवन व समाज सुखमय होगा। श्री महाप्रभुजी के बड़े मंदिर कोटा से पूज्य गोस्वामी विनय बाबा भी कथाश्रवण के लिये पहुंचे।
भात भरने रवाना हुए नरसी मेहता
व्यासपीठ से राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि नानीबाई के यहां से भात भरने का निमंत्रण मिलने के बाद भगत नरसी मेहता अपने साथी सूर-संतों को लेकर टूटी-फूटी बैलगाड़ी से अंजार नगर के लिए रवाना हुए। इस दौरान वह तानपुरा, खड़ताल, मजीरे बजाते, भजन गाते हुए चले जा रहे थे कि अचानक बैलगाड़ी का पहिया टूट गया। नरसीजी के भगवान को याद करने किशना खाती के रूप में भगवान श्रीकृष्ण खुद वहां आ गए। भगवान ने नरसी की गाड़ी को ठीक किया और बैलगाड़ी को हांकते हुए खुद भी अंजार नगर के लिए नरसी के साथ रवाना हो गए। वृतांत सुनाते हुए राधाकृष्ण महाराज के मारवाड़ी और गुजराती मिश्रित भजनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। गुरूवार को मायरे की रस्म के साथ कथा का समापन होगा।

‘बसंत ऋतु आई आ जा सांवरिया…’

मानधना परिवार की ओर से आयोजित समारोह में दूसरे दिन बुधवार रात्रि कथा स्थल गोकुल धाम पर बसंतोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। गिरिराज मित्र मंडल द्वारा समधुर भजनों की प्रस्तुतियों पर श्रद्धालु झूम उठे। गिरिराज मित्र मण्डल के गोविन्द माहेश्वरी ने ‘तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे…’, ‘बसंत ऋतु आई आ जा सांवरिया’, ‘श्यामा श्याम सलोनी सूरत पे श्रृंगार बसन्ती है…’ सरीखे मीठे भजन प्रस्तुत किए। पारंपरिक परिधान पहने महिलाएं व पुुरुष ठाकुर जी के भजनों पर नृत्य करते हुए झूम उठे।
भजन संध्या में मानधना परिवार के ईश्वरलाल माहेश्वरी, कृष्णकुमार, चंद्रप्रकाश, रामेश्वर प्रसाद, बालकृष्ण, गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी, ललित माहेश्वरी, अशोक लोढा, यशवंत, प्रमोद नागौरी, प्रसन्न लोढ़ा, पारस गोटावाला, राजस्थान टेक्सटाइल मिल के प्रमुख सुरेश जी खंडेलिया एवं रतलाम में 117 वर्ष पूर्व स्थापित श्री गोपाल गौशाला न्यास के अध्यक्ष एमएल दुबे, सचिव ओमप्रकाश मिश्रा एवं उपाध्यक्ष अनिल सारस्वत समेत बड़ी संख्या में कृष्णभक्त मौजूद रहे।

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