Friday, 29 March, 2024

आज से ‘थैलिसीमिया मुक्त कोटा’ अभियान का आगाज 

अन्तरराष्ट्रीय थैलिसीमिया दिवस : कोटा में कई थेलिसिमया रोगियों ने बीमारी को हराया

न्यूजवेव @ कोटा

थैलिसीमिया वेलफेयर सोसायटी द्वारा अन्तरराष्ट्रीय थैलिसीमिया दिवस पर 8 मई को ‘थैलिसीमिया मुक्त कोटा’ अभियान का आगाज किया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि रक्त की एचबीए-2 जांच से इस बीमारी को रोका जा सकता है। यह एक अनुवांशिक रोग है, जिसमें 10 से 20 दिन के अन्तराल में पीड़ित बच्चों को रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। आज जनसंख्या के 14 प्रतिशत थैलिसीमिया ग्रसित माइनर है। दो माइनर स्त्री- पुरुष शादी करके 1 मेजर थैलिसीमिया को जन्म देते है। इसलिए विवाह या प्रैग्नेंसी के समय इसकी जांच को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

5 बच्चों ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया

जनरल मर्चेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष राकेश कुमार जैन ने बताया कि कोटा में हार्दिक चावला व चित्रांशी शारदा सहित अब तक 5 थैलेसीमिया बच्चे बोनमेरो ट्रांन्सप्लांट करवाकर बिल्कुल स्वस्थ जीवन जी रहे है। इनको अब हर माह रक्त की जरूरत नही होती है।

डरें नहीं, हिम्मत से आगे बढ़ें

कोटा शहर में जन्म से ही थैलीसीमिया बच्चों ने अलग- अलग क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल कर अपना जज्बा दिखाया है।

सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, कुन्हाड़ी में डेढ़ वर्ष से जॉब कर रही साक्षी जैन (28) एम कॉम शिक्षित है। उसने  बताया कि बचपन से 15 दिन में 1 यूनिट रक्त चढ़ता है। सरकार को प्रेग्नेंसी के समय एचबीए-2 जांच को अनिवार्य कर देना चाहिये, जिससे मेजर या माइनर शिशु का पता लगाया जा सके।

इंटीरियर डिजाइनर गेवांशी जैन (26) बचपन से ही 15 दिन में 2 यूनिट रक्त की जरूरत रही। वह दिव्यांग होकर भी इस बीमारी से कभी नही हारी। आज उसकी प्रतिमाह 45 हजार की आय है। उसने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान थैलीसीमिया रोगियों को रक्त की समस्या से जूझना पड़ा। रक्त नही मिलने पर शरीर मे आयरन जमा हो जाने से कमरदर्द व सिरदर्द जैसी समस्या होती है। सभी बच्चे इस बीमारी से मुकाबला करना सीख गए हैं।

नगर निगम कोटा दक्षिण से वार्ड पार्षद सलीना शेरी (26) ने समाज के वंचित वर्ग की सेवा को चुना। वह गरीब व जरूरतमंद परिवारों को समय पर सरकारी सहायता दिलाने में अग्रणी रहती है। शेरी ने कहा कि कोटा के नागरिक प्रत्येक सीजन में एमबीएस तथा कोटा ब्लड बैंक में स्वेच्छिक रक्तदान अवश्य करें,जिससे थैलीसीमिया बच्चों को उनका रक्त मिल सके।

इनके अलावा शहर में थैलीसीमिया से मुकाबला करते हुए सुप्रिया अरोड़ा इंजीनियर और  नन्दनी विजय एडवोकेट बनी। शहर में ऐसी कई प्रतिभाओं ने इस जंग में जीत हासिल की है। कोटा ब्लड बैंक सोसायटी के प्रवक्ता ने बताया कि हर थैलेसीमिया बच्चें को यहां निःशुल्क रक्त उपलब्ध करवा रहे है। इस वर्ष हमारा मिशन “थैलेसीमिया मुक्त कोटा” है।

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