Tuesday, 23 April, 2024

टोरिक फेकिक लैन्स प्रत्यारोपण से -17 नम्बर का मोटा चश्मा हटा

सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा में निवाई के राकेश वर्मा को मिली रोशनी
न्यूजवेव @कोटा
टोंक जिले के निवाई में रहने वाले 27 वर्षीय राकेश वर्मा दांयी आंख में माइनस 17.50 नम्बर का मोटा चश्मा लगाते थे। जबकि बायीं आंख में माईनस 16.50 डायोप्टर का चश्मा लगता था। दोनों आंखों में तिरछा नम्बर भी था। चश्मे का नम्बर अधिक होने से उन्हें रोजमर्रा के काम करने मं बहुत परेशानी आती थी।
चश्मा हटाने के लिये राकेश ने कई शहरों के नेत्र विशेषज्ञों से सलाह ली। लेकिन दोनों आँखों में हाई मायोपिया एवं कोर्नियल टोपोग्राफी में किरेटोकोनस होने के कारण उनकी आँखों में लेसिक लेजर प्रक्रिया करना संभव नहीं हो पाया। उन्होंने सुवि नेत्र चिकित्सालय में वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय को दिखाया। डॉ. विदुषी पाण्डेय ने उनकी आँखों का चेकअप किया। उन्हें हाई मायोपिया एवं कोर्नियल टोपोग्राफी में किरेटोकोनस है जो पिछले कुछ वर्षो से स्टेबल है। डॉ. पाण्डेय ने उन्हें टोरिक इंप्लान्टेबल फेकिक लैन्स का सुझाव दिया।
सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा में टोरिक फेकिक लैन्स के सफल प्रत्यारोपण के बाद अब वह बिना चश्मा लगाये पास व दूर का स्पष्ट देख पा रहे है।

डॉ.पाण्डेय ने बताया कि इंप्लान्टेबल फेकिक लैन्स चश्में के अधिक नम्बर को हटाने के लिए निर्मित एक विशेष प्रकार का लैन्स है, जिसे आँख में आइरिस (आँख के रंगीन भाग) तथा प्राकृतिक (नेचुरल) लैंस के बीच सिलीअरी सल्कस में प्रत्यारोपित किया जाता है इसलिए यह लैंस मरीज तथा देखने वाले, दोनों के लिए अदृश्य होता है। केयर ग्रुप द्वारा निर्मित इंप्लान्टेबल फेकिक कॉन्टेक्ट लैन्स के प्रत्यारोपण के पश्चात् माइनस 25 नम्बर तक तथा 10 नम्बर तक का तिरछा सिलेण्ड्रिकल नम्बर हटाया जा सकता है।
टोरिक फेकिक लैन्स ऐसे मरीजों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो निकट दृष्टि दोष तथा दृष्टि विषमता (ऐस्टिग्मेटिज्म) को एक ही प्रक्रिया में सुधारना चाहते हैं। डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि कस्टमाईजड टोरिक फेकिल लैन्स को मायोपिक एस्टीगमेटिज्म एवं किरेटोकोनस आदि से पीडित रोगी की विशेष आवश्यकता के अनुसार बनाया गया है। किरेटोकोनस रोगियों में टोरिक फेकिक लैन्स प्रत्यारोपण कोर्नियल कॉलेजन क्रॉस लिकिंग आपरेशन के कुछ समय बाद किया जाता है। कोर्नियल कॉलेजन क्रॉस लिकिंग प्रक्रिया से किरेटोकोनस बीमारी के प्रोगरेशन को रोकने में सहायता मिलती है। किरेटोकोनस हाई मायोपिया से पीडित रोगियों में टोरिक फेकिक लैन्स प्रत्यारोपण करने के बाद दृष्टि की रिकवरी जल्द होती है, तथा यह दर्द रहित है तथा रोगी ऑपरेशन करवाने के 1-2 दिनों बाद काम पर वापस जा सकते है।

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