हाड़ौती में पहला मामला, सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेंटर में सिफी मिनी वेल ईडोफ लैंस का सफल प्रत्यारोपण
न्यूजवेव @ कोटा
41 वर्षीया व्याख्याता सुनीता नागर को दोनों आंखों में मोतियाबिन्द हो जाने से दैनिक कार्यो के साथ ही टीचिंग में भी परेशानी होने लगी थी। उन्होंने सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेज़र सेन्टर पर जांच करवाई। जहां वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय व निदेशक डॉ.सुरेश पांडेय ने प्रीलोडेड सिफी मिनी वेल रेडी एक्सपांडेड डेप्थ ऑफ फोकस नामक आधुनिकतम लैंस प्रत्यारोपित करने का सुझावा दिया।
25 अगस्त को उनकी दाहिनी आँख का सफल नेत्र ऑपरेशन सुवि नेत्र चिकित्सालय में डॉ. सुरेश पाण्डेय द्वारा किया गया। हाड़ोती में पहली बार इटली से आयतित सिफी मिनी वेल रेडी एक्सपांडेड डेप्थ ऑफ फोकस लैंस का सफल प्रत्यारोपण किया गया। ऑपरेशन के पश्चात् बिना चश्में के दूर, इंटरमीडिएट एवं पास का स्पष्ट देख पा रही है। उनकी 100 प्रतिशत रोशनी लौट आयी है। इससे उनको रात में होने वाली लाईट के सामने रंगीन गोले, ग्लेयर, हैलोज (प्रकाश वृत्त) आदि की समस्याऐं नहीं होती है।
उपयोगी है अत्याधुनिक फोकल लैंस
डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि सिफी मिनी वेल रेडी सिंगल पीस हाइड्रोफिलिक प्रीलोडेड लैंस है, जिसे 2.2 मिमी. के सूक्ष्म चीरे से नेत्र के कैपसुलर बेग में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इस लैंस में 3 एनुलर जॉन होते है। सबसे बाहर वाला जॉन 6 मिमी. मोनोफोकल जॉन होता है, जो दूर की दृष्टि के लिए उपयोगी होता है। सबसे अंदर वाला जॉन 1.8 मिमी. चौड़ा होता है, जिसमें पॉजिटिव स्फेरिकल एबरेशन होते है, जो बीच की दृष्टि (इंटरमीडियट विज़न) के लिए उपयोगी होता है।
मिडिल जॉन 3 मिमी. चौड़ा होता है, जिसमें नेगेटिव स्फेरिकल एबरेशन होते है, जो नियर फोकस (पास की दृष्टि) के लिए जिम्मेदार होता है। यह लैंस इंजेक्टर में कम्पनी से लोड होकर आता है, अतः इसे प्रीलोडेड लैंस कहते है। इस लैंस के प्रत्यारोपण के बाद पास-दूर एवं इंटरमीडिएट तीनों दूरियों पर स्पष्ट दिखाई देता है एवं चश्में की निर्भरता नहीं के बराबर होती है। कटानिया, इटली की सिफी कम्पनी द्वारा निर्मित यह लैंस दुनिया में प्रमुख सर्जन द्वारा प्रत्यारोपित किया जा रहा है।