Wednesday, 29 October, 2025

वृंदावन प्रेम की यूनिवर्सिटी है- पूज्य इंद्रेशजी उपाध्याय

छप्पनभोग प्रांगण में श्रीमद भागवत कथा का पंचम सोपान

न्यूजवेव@कोटा

मानधाना परिवार एवं एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा छप्पनभोग प्रांगण में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पंचम सोपान में सोमवार को पूज्यश्री इंद्रेशजी उपाध्याय ने गोवर्धन पूजा प्रसंग सुनाते हुये वृंदावन में श्रीकृष्ण की मधुर बाललीलाओं का जीवंत चित्रण किया। उन्होंने कहा कि वृंदावन प्रेम की यूनिवर्सिटी है, जहां लाखों श्रद्धालु प्रेम व अटूट भक्ति की तैयारी करते हैं। जहा भक्तों के हृदय में ठाकुरजी के प्रति प्रेम प्रीत हो, ठाकुरजी नियम तोडकर किसी भी स्वरूप में अपने भक्तों से मिलने पहुंच जाते हैं। जो जीवन रूपी परीक्षा पास करके अविरल भक्ति करते हैं, ठाकुरजी अपनी मधुर लीलाओं से चित्त का हरण कर उनको निकुंज में बुला लेते हैं।

वृंदावन में पंच प्रणाम अवश्य करें


उन्होंने वृंदावन में तीन वर्ष के लाला की मां यशोदा संग अद्भूत बाललीलाओं का सारगर्भित वृतांत सुनाकर सबको भावुक कर दिया। उन्होंने कहा कि जब भी आप वृंदावन जायें, पंच प्रणाम अवश्य करें। सबसे पहले किशोरीजी के चरणों की रज को वंदन करो। वहां के वृक्ष-वल्लरियों को नमन करो। फिर, बृजवासियों को प्रणाम कर उनसे मधुकरी मांगो। यमुनाजी का पूजन करें। श्री गोपेश्वर महादेव को प्रणाम करो। कम से कम 24 घंटे वहां रूको। ठाकुरजी के प्रति चित्त में वात्सल्य भाव होगा तो किसी भी रूप में लाला आपको दर्शन दे देंगे।
बृज में रतन राधिका गौरी प्रसंग सुनाते हुये महाराज ने कहा कि आज रूप, वस्त्रों की प्रधानता अधिक है, जबकि व्यक्ति की श्रेष्ठता का आंकलन रूप से नहीं, स्वभाव से करें। क्योंकि रूप में दोष आ सकते हैं, अपने स्वभाव को मधुर बनाओ। पूतना छलपूर्वक दिखावे में अपनी वास्तविकता छिपाकर ठाकुरजी के पास आई थी, लेकिन ठाकुरजी उसे देख रीझे नहीं। 6 दिन के लाला ने पूतना वध कर दिया था। पूज्य इंद्रेश जी ने कहा कि मां यशोदा के आग्रह पर गर्गाचार्य महाराज ने एक वर्ष की उम्र में ठाकुरजी का नामकरण किया। कृष्ण वर्ण होेने से लाला का नाम कृष्ण ही रखा।

रोज गौ सेवा, गौ पूजा करें

गोपाष्टमी के अवसर पर पूज्य इंद्रेश जी ने कहा कि ठाकुरजी स्वयं गोपाष्टमी पर गौ पाग पहनते हैं। गौमाता बिना ठाकुरजी की सेवा पूजा नहीं हो सकती है। भारत में गोवंश को बचाने का संकल्प लें। रोज गौ सेवा, गौ पूजा करें। गौसेवा ही भगवत प्राप्ति का साधन है। अंत में आयोजक मानधाना परिवार की मातुश्री, गोविंद माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी, बृजेश माहेश्वरी एवं परिजनों ने भागवत आरती की। रिमझिम बरसात के बावजूद समूचा पांडाल हजारों भक्तों के पीत वस्त्रों की आभा से आलोकित रहा।

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