Wednesday, 16 October, 2024

हम पेड़ लगाकर प्रकृति का पूजन करें- अचार्य त्रिवेदी

श्रीमद भागवत कथा में गौवर्धन पूजा में उमडे़ श्रद्वालु , गाय का दूध पीने का संकल्प लिया
न्यूजवेव@ कोटा 

‘पर्यावरण की रक्षा के लिये हम सबको मिलकर एक पेड़ मां के नाम से अवश्य लगाना चाहिये। भारतीय संस्कृति में पेड़ लगाकर प्रकृति का पूजन करें। भीषण गर्मी को देखते हुये भारत को 550 करोड पेडों की आवश्यकता है। यह कार्य घर-घर में संकल्प करने से ही पूरा होगा।’
विनोबाभावे नगर स्थित बघेरवाल भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा में बुधवार को आचार्य पं.संजय कृष्ण त्रिवेदी ने गोवर्धन पूजा के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि कई वृक्षों में देवताआंे का वास होता है। आपके जीवन या परिवार में कई बाधायें सिर्फ एक पेड लगाने से दूर हो जाती है। इसके लिये पीपल, नीम, बड़, आंवला, कदम्ब, बिल्व, त्रिवेणी आदि पेड मंगलकारी होते है। जो कमी हो उसका पेड लगायें। हम अंतिम संस्कार भी लकडी से करते है, उसके लिये एक पेड लगाने का संकल्प करें।
गौमाता की दया से ही हम पल रहे हैं


आचार्य त्रिवेदी ने गौ-वर्धन का महत्व बताते हुये कहा कि गौमाता दया की पात्र नहीं है। हम गौमाता की दया से ही पल रहे हैं। हम सांसारिक सुख-शांति के लिये गायों का संवर्धन करें। क्यांेकि गौ-वर्धन के लिये ही श्रीकृष्ण ने गौवर्धन पर्वत 7 दिन-7 रात तक एक उंगली पर उठाया था। नित्य गौसेवा सिर्फ चारा डालने से नही होगी, हमें प्रत्येक घर में नित्य देसी गाय के दूध का सेवन करना होगा। गाय का घी 10 वर्ष तक औषधि का कार्य करता है। आज से यह संकल्प करें कि हम भैंस का दूध बंद कर देसी गाय का दूध प्रारंभ करेंगे। ऐसा करने से गायों का पालन बढ जायेगा और भैंसों की संख्या घट जायेगी। उन्होंने कहा कि आजकल बच्चे आलसी होकर घरों में पडे़ रहते हैं। पढाई और खेलने-कूदने में उनका मन नहीं लगता है क्योंकि वे भैंस का दूध पीकर स्फूर्ति, चंचलता और बुद्धि गवां रहे हैं। पूजा करते समय हम भोलेनाथ, ठाकुरजी या पितृदेवों को भी गाय का दूध ही चढाते हैं। जब घर में घर में देसी गाय के दूध की मांग बढेगी तो गौ-संवर्धन स्वतः दिखाई देने लगेगा।
सिर्फ भाव के भूखे हैं ठाकुरजी


उन्होने भजन ‘भाव का भूखा हूं भाव ही बस सार है। भाव से मुझको भज लें तो जग से बेडा पार है..’ सुनाते हुये कहा कि ठाकुरजी से जुडने के लिये पांच भाव होते हैं। वात्सल्य भाव, श्रृंगार भाव, संबंध भाव, दास भाव और मित्र भाव। यशोदा मैया श्रीकृष्ण से वात्सल्य भाव से जुडी रही। उनके सर्वस्व श्रीकृष्ण ही थे। भक्त यदि हमेशा भाव से जुडे रहे तो उनका भला स्वतः हो जायेगा। एक प्रसंग में उन्होंने कहा कि जिसने शरीर को कष्टों से तपाया, वो ही भजन करते हैं। जिसने शरीर को नहीं तपाया वे भजन से दूर होते चले गये। हम भक्ति से मुंह नहीं फेरें बल्कि ईश्वर के प्रति कृतघ्न बनें। आज हम मुसीबतों से घिरे हैं तो श्रीकृष्ण से भावभक्ति संबंध अवश्य जोड लें। आयोजक पूनमचंद गुप्ता ने बताया कि श्रद्वालुओं ने गोवर्धन पूजा व परिक्रमा कर सामूहिक महाआरती की। भागवत कथा का समापन 19 जुलाई को होगा।

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