Wednesday, 6 August, 2025

उप्र के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एक वर्ष में 20 फीसदी ट्यूशन फीस बढ़ाई

नीट-यूजी,2024 में चयनित विद्यार्थियों पर आर्थिक मार, निर्धारित फीस में 3 वर्ष तक बदलाव न हो
न्यूजवेव @ लखनऊ
मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (NEET-UG) के अकादमिक सत्र 2024-25 में चयनित विद्यार्थियों को उत्तर प्रदेश के कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों द्वारा ट्यूशन फीस में 20 प्रतिशत बढोतरी कर देने से आर्थिक संकट से जूझना पड रहा है।
अभिभावकों ने बताया कि नीट प्रवेश परीक्षा, 2024-25 में पहले परीक्षा केंद्रों पर हुई धांधली से वर्षपर्यंत मेहनत करने वाले विद्यार्थी अपने सलेक्शन को लेकर आशंकित रहे। जब उन्हें काउंसलिंग में निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस (MBBS) की सीट आवंटित हुई तो राहत की सांस ली। लेकिन एमबीबीएस के प्रथम वर्ष पूरा होते ही अब प्राइवेट मेडिकल संस्थानों ने निर्धारित फीस में अचानक वृद्धि कर उनकी आर्थिक चिंता बढ़ा दी है।
प्रदेश के स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के अधिकृत वेबसाइट पर जारी फीस स्ट्रक्चर के अनुसार प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को एमबीबीएस के लिये प्रतिवर्ष 11 से 15 लाख रू तक फीस निर्धारित की गई, जिससे मध्यम व निम्न वर्ग के कई अभिभावकों को बैंक से एजुकेशन लोन लेने पर विवश होना पडा। कई अभिभावकों ने अपनी जमा पूंजी, घर, जमीन प्लॉट बेचकर, रिश्तेदारों से या ब्याज पर उधार लेकर फीस के लिये पैसे जुटाये ताकि उनका बेटा या बेटी डॉक्टर बन सके। लेकिन पहले वर्ष की पढाई पूरी होते ही उप्र के लगभग 17 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ने अपनी ट्यूशन फीस में अचानक 1 से 3 लाख रू प्रतिवर्ष की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर दी है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 10 जनवरी, 2025 को एक याचिका पर सुनवाई करते हुये निर्णय दिया कि मेडिकल कॉलेजों में अकादमिक वर्ष 2024-25 के लिये फीस नियामक कमेटी द्वारा फीस निर्धारित कर दी जाये। जबकि उप्र के निजी मेडिकल संस्थानों ने जुलाई 2025 में एक ही माह में दो अलग-अलग आदेश जारी कर फीस में 20 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी है। यह कमजोर आयवर्ग के छात्रों व अभिभावकों के साथ अन्याय है। अभिभावकों का कहना है कि इस कठिन प्रवेश परीक्षा की कडी प्रतिस्पर्धा में बच्चों ने 580 से 620 अंक प्राप्त कर एमबीबीएस का सपना सच करने के लिये प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लिया है। लेकिन कॉलेज प्रशासन उनसे दबावपूर्वक शपथपत्र लेकर लूटने का प्रयास कर रहे हैं।
हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, मेडिकल संस्थानों को अपने अकादमिक सत्र से कम से कम 6 माह पूर्व अंतिम फीस निर्धारित करना चाहिये। सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक में इस्लामिक अकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक प्रदेश, 2003 केस में निर्णय दिया था कि एक बार निर्धारित की गई फीस में सामान्यतः तीन वर्ष तक कोई परिवर्तन नहीं किया जाये, यदि कोई असाधारण कारण न हो। प्रस्तावित फीस को मेडिकल कॉलेज प्रवेश देते समय अपने प्रोसपेक्टस में अंकित करें।

मुख्यमंत्री योगी से अपील
एमबीबीएस कर रहे विद्यार्थियों एवं अभिभावकों ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से अपील की कि वे प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों द्वारा निर्धारित ट्यूशन फीस में अनुचित 20 प्रतिशत तक वृद्धि करने के खेल पर अंकुश लगाने के निर्देश देकर गरीब व मध्यम वर्ग के मेडिकल विद्यार्थियों को राहत प्रदान करें।

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