– मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में कर्कटोल-एस कैप्सूल की पहले फेज की क्लिनिकल ट्रायल सही, दूसरे फेज की ट्रायल जारी
– आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ने एमओयू किया
न्यूजवेव @ जयपुर
कैंसर के कारगार व सस्ते उपचार को लेकर देश-दुनिया में एलौपैथी, आयुर्वेद, हौम्योपैथी सहित हॉलिस्टिक मेडिसन तैयार करने की कवायद चल रही है। जयपुर के 90 वर्षीय वैद्य नंदलाल तिवारी ने करीब 40 साल पहले आठ जड़ी-बूटियों को मिलाकर कैंसररोधी कर्कटोल (Carctol) कैप्सूल तैयार किया। जिससे देश-विदेश के सैकडों कैंसर मरीजों को नया जीवनदान मिला है।
इसकी सफलता को देख आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने इस आयुर्वेदिक औषधि पर उनके साथ एक एमओयू साइन किया है। इस कैप्सूल को परखने के लिये विधिवत क्लिनिकल ट्रायल का पहला चरण सफल रहा। अब मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर (एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट रिसर्च एंड एज्युकेशन इन कैंसर) में ट्रायल का दूसरा चरण चल रहा है। यह आयुर्वेदिक कैप्सूल कैंसर रोगियों के लिए संजीवनी बूटी जैसा काम कर रहा है।
वैद्य तिवारी ने कई साल पहले यह कर्कटोल कैप्सूल तैयार किया था। जिसे देश-विदेश के सभी कैंसर रोगियों को देकर उनमें जीने की उम्मीद जगाई। इनमें से अधिकांश मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिला। कई मरीज अब आरामदायक जीवनयापन कर रहे है। मरीजों से जुडा डेटा व अन्य जानकारी सरकार को साझा की गई। उसके बाद सरकार ने उच्चस्तरीय कमेटी गठित की, जिसने कर्कटोल कैप्सूल को कारगर माना है। इसकी 8 जडी-बूटियों में एक घटक ब्लू फेरिस इडूलिस को कैंसररोधी मानकर ग्लोसरी ऑफ इंडियन मेडिसीन प्लांट विद एक्टिव प्रिंसिपल पुस्तक में दर्शाया गया है।
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने 28 अक्टूबर, 2009 में अ.भा.आयुर्वेद सम्मेलन में वैद्य नंदलाल तिवाऱी द्वारा किये जा रहे हर्बल कैंसर ईलाज का जिक्र किया था। उन्होंने टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट, मुंबई के निदेशक को इसे आम रोगियों तक पहुंचाने की अपील की थी। इस आयुर्वेदिक कैप्सूल से स्वस्थ होने वाले मरीजों का ब्यौरा भी सरकार को सौंपा गया है। राज्यसभा में इस आयुर्वेदिक कैप्सूल से कैंसर ईलाज के बारे में एक सवाल पूछा गया था, तब केंद्र सरकार के आयुर्वेद विभाग ने वैद्य तिवारी से संपर्क कर एमओयू करने का प्रस्ताव रखा।
विधिवत परीक्षण में सुरक्षा मानकों पर खरा
वैद्य तिवारी की उम्र 90 वर्ष हो जाने से उन्होंने कर्कटोल कैप्सूल का लाभ अंतिम रोगी तक पहुचाने के लिये पौत्र डॉ विपिन तिवाऱी को अपने सारे अनुभव साझा किये हैं। डॉ.विपिन ने बताया कि दादा द्वारा तैयार कर्कटोल कैप्सूल का विधिवत परीक्षण केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) द्वारा किया गया। यह कैप्सूल सीसीआरएएस की जांच में प्रामाणिक व सुरक्षा मानकों पर सही पाया गया है। इस कैप्सूल की टोक्सी सिटी पूर्ण कर दिसंबर 2024 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। इसके ज्वाइंट पेटेंट के लिये आविष्कारक वैद्य तिवारी व केन्द्रीय आयुर्वेदिय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा आवेदन किया गया है।
विदेशी रोगियों को भी कैंसर से मिली राहत
बीपी कोइराला मैमोरियल कैंसर हॉस्पिटल,चिटवान, नेपाल के वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डॉ.सुरेश चंद्र रेगमी ने इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि वे 2008 से इस कैप्सूल से महिला व पुरूष कैंसर रोगियों को ठीक कर रहे हैं। यह सुरक्षित, प्रभावी व जीरो साइड इफेक्ट वाला उपचार है।
लंदन की हॉलिस्टिक कैंसर विशेषज्ञ डॉ.रोजी डेनियल के अनुसार, ब्रिटेन में 800 से अधिक कैंसर रोगियों में केटरोल कैप्सूल से आश्चर्यजनक सुधार दिखाई दिया। इनमें ब्लेडर कैंसर, पेंक्रियाज कैंसर, 2 महिलाओं में ओवरी कैंसर, फेफडे में कैंसर व ओरल कैंसर रोगियों के स्वास्थ्य में चमत्कारिक सुधार हुआ। उन्होंने 4 वर्ष तक इसका सेवन कर कैंसर को हराया। एक स्टडी के अनुसार, भारत के 1900 से अधिक कैंसर रोगियों पर कर्कटोल कैप्सूल की जांच में 25 फीसदी को 75 से 100 फीसदी आराम मिला। 50 प्रतिशत रोगियों को 25 से 75 प्रतिशत एवं शेष 25 प्रतिशत को भी राहत मिली है। जिसे टेलीग्राफ, लंदन ने भी प्रकाशित किया है।
डॉ.विपिन तिवारी, जयपुर Mob.08064858858, 08875448811