Sunday, 6 July, 2025

जीवन में जगत से अधिक जगदीश को मानो, बेड़ा पार हो जाएगा

. श्रीराम कथा महोत्सव में दिखा भाव भक्ति और विवेक का अद्भुत संगम

कोटा। दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के चतुर्थ दिन की कथा रामजन्मोत्सव के पश्चात अयोध्या में उमंग,उल्लास के भाव से प्रारंभ हुई। पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज की अमृतवाणी में आज गुरु महिमाए भरत चरित्रए अहिल्या उद्धार और राम-विश्वामित्र मिलन के प्रसंगों का जीवनस्पर्शी वर्णन हुआ। कथा के दौरान श्रद्धालु भजनों और प्रसंगों में डूबकर प्रभु श्रीराम की कृपा का अनुभव करते रहे।

महाराजश्री ने भरत चरित्र की महिमा पर कहा कि यदि किसी को राम से प्रीति करनी है तो उसे भरत के चरित्र को समझना होगा। उन्होंने कहा जगत से अधिक यदि कोई अपना है तो वह जगदीश है। दशरथ जी द्वारा बालकों के नामकरण प्रसंग पर उन्होंने बताया कि उन्होंने कई नाम चुने पर अंत में नामकरण का दायित्व गुरु वशिष्ठ को सौंपा। इस संदर्भ में उन्होंने संदेश दिया कि बच्चों का नाम संत या गुरु से रखवाना चाहिए ताकि वह नाम भी जीवन को दिशा दे।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कथा की शुरुआत महाराजश्री ने गुरू चरण सरोज रज, जो दायक फल चार से करते हुए गुरु महिमा का वर्णन किया । उन्होंने कहा,अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थ गुरु की कृपा से ही संभव होते हैं। जो व्यक्ति कामना रहित होकर कथा सुनता है उसे प्रभु की भक्ति सहज प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हमें सोच समझ कर गुरू बनाना चाहिए। मंत्र देने का अधिकार उसी को है जो शिष्य को ईश्वर से मिला सके। तुलसीदासजी के शब्दों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, जो गुरु शिष्य का शोक न हर सके, वह गुरु नहीं, नरक का गामी है।

संसार और साधन नहीं, मोह त्यागें
उन्होंने समझाया कि भगवान को पाने के लिए संसार या साधनों को त्यागने की आवश्यकता नहीं केवल भोगने की प्रवृत्ति त्यागनी होगी। यही वैराग्य की शुरुआत है। उन्होंने कहा, संसार में रहकर भी प्रभु को पाया जा सकता है, यदि दृष्टिकोण निर्मल हो। उन्होंने राम चरित्र पर चर्चा करते हुए बताया कि विद्या जीवन में विनय लाती है .श्री राम ने जब शिक्षा प्राप्त की तो उसके उपरान्त ष्प्रातःकाल उठि कै रघुनाथा, मातु.पिता गुरु नावहिं माथा प्रसंग आज की पीढ़ी के लिए मर्यादा और संस्कार का जीवंत उदाहरण है।

राम.विश्वामित्र मिलन और अहिल्या उद्धार
महाराज श्री ने वर्णन किया कि विश्वामित्रजी राम.लक्ष्मण को ताढ़का वध के लिए ले जाते हैं और श्रीराम केवल एक बाण से ताढ़का का अंत कर देते हैं। कथा में आगे जनकपुरी से निमंत्रण आने पर श्रीराम का वहां जाना और अहिल्या उद्धार का प्रसंग आया। प्रभु राम के शिला के बारे में पूछने पर मुनि कहते हैं,  चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर, भगवान ने अहिल्या का उद्धार किया। महाराज श्री ने कहा कि संसार में ऐसा कोई नहीं जो बिना सेवा के कृपा करे पर प्रभु राम ऐसे हैं जो दीन.दुखियों पर स्वयं द्रवित हो जाते हैं।

भजनों से गुंजायमान हुआ कथा स्थल
कथा के दौरान झीनी झीनी उड़े रे गुलाल लाला को जनम सुन आई ष्कौशल्या मैया देदो बधाई जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। राम जन्म के उल्लास और बाल लीला को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। रेड क्रॉस सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश बिरला, कथा समिति की संरक्षक डॉ. अमिता बिरला, आयोजक आशोक जाजोदिया, एसएसआई के संस्थापक गोविंदराम मित्तल, पूर्व विधायक चनद्रकांता मेघवाल, भाजपा देहात जिलाध्यक्ष प्रेम गोचर, एडीएम अनिल सिंघल, भाजपा नेता कृष्ण कुमार सोनी,पं. गोविंद शर्मा, जगदीश जिंदल, माहेश्वरी समाज के विठ्ठलदास मुंदड़ा, नन्दकिशोर काल्या,महेश अजमेरा, प्रमोद भंडारी, ओम गट्ट्यानी, जी एल सोनी, पुरषोत्तम बलदुआ,कृष्ण गोपाल माहेश्वरी आदि ने व्यासपीठ की आरती कर आशीर्वाद लिया।

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