Thursday, 12 December, 2024

हॉस्टल्स से यूडी टैक्स की वसूली आवासीय श्रेणी में हो

जयपुर में विधायक संदीप शर्मा के साथ यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मिला प्रतिनिधिमंडल
न्यूजवेव @कोटा
शिक्षा नगरी कोटा में संचालित हॉस्टल्स को इंस्टीट्यूशन श्रेणी में मानते हुए कोटा नगर निगम उनसे ज्यादा नगरीय विकास कर (UD Tax) की वसूली कर रही है। निगम ने इस वसूली के लिये हॉस्टल संचालकों को लाखों रुपए बकाया नोटिस थमाये हैं।
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने इस नीति का पुरजोर विरोध करते हुये गुरुवार को अध्यक्ष नवीन मित्तल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल जयपुर पहुंचा। जहां कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा के साथ यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने रेजीडेंशियल हॉस्टल को आवासीय की जगह इंस्टीट्यूशन मानते हुए यूडी टैक्स वसूली करने पर विरोध जताया और इस श्रेणी में सुधार कर आवासीय श्रेणी में रखने की मांग की। मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में नगर निगम को नोटिस देकर जवाब मांगा था, जिसका जवाब आ गया है। जल्द ही इसे आवासीय की श्रेणी में शामिल कर यूडी टैक्स वसूलने के निर्देश दिए जाएंगे।


अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा कि कोटा में यूडी टैक्स वसूल कर रही कंपनी में मैसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड सभी हॉस्टल्स को इंस्टीट्यूशन की श्रेणी में मानते हुए लाखों रुपए बकाया का नोटिस जारी कर रही है। टैक्स एक जमा नहीं करने पर हॉस्टल को सीज कर कुर्की के आदेश भी किया जा रहे हैं। जबकि हॉस्टल आवासीय की श्रेणी में आते हैं।
उन्होने कहा कि पूर्व में भी भाजपा सरकार ने 2017-18 मे भी हॉस्टल को आवासीय श्रेणी मे मानकर 2700 वर्ग फीट व इससे अधिक के प्लॉट पर ही यूडी टैक्स लगाया था। जबकि प्राइवेट फर्म 2700 वर्ग फीट से भी कम निर्माण पर लाखों रुपए यूनिट टैक्स की वसूली के नोटिस दे रही है। जबकि हॉस्टल्स में बिजली के बिल से लेकर सभी आवासीय श्रेणी में आते हैं। यहां तक की बच्चों की किराए पर जीएसटी भी नहीं लगता है। वर्तमान में कोटा में कोचिंग विद्यार्थी बहुत कम हैं। इसके चलते हॉस्टल संचालन पहले ही वित्तीय घाटे में है। इसलिए यूडी टैक्स में छूट हमें दी जाएं। प्रतिनिधिमंडल में महासचिव पंकज जैन, उपाध्यक्ष सुनील कटारिया व मुकुल शर्मा शामिल रहे।
15 मीटर से ऊंचें भवनों पर फायर सेस कम हो
नवीन मित्तल ने कहा कि कोटा शहर में करीब 3500 हॉस्टल संचालित हैं। ज्यादातर हॉस्टल संचालक फायर सेस व नगर निगम सेस जमा करा एनओसी ले चुके हैं। हाल ही में सरकार ने बजट में 15 मीटर से कम ऊंचाई की बिल्डिंगों पर 50 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर से कम करके 15 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर किया है। यह स्वागत योग्य है, लेकिन 15 मीटर से ऊंची बनी हुई बिल्डिंगों पर फायर सेस में कोई राहत नहीं मिली, यह आज भी 100 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर है। दूसरी तरफ गत कांग्रेस सरकार ने भी फायर एनओसी पर रिन्युअल की फीस 10 हजार प्रतिवर्ष कर दी थी। ऐसे में यह भी काफी ज्यादा है, सरकार इन दोनों में छूट दे। इसके बाद अधिक से अधिक लोग फायर एनओसी प्राप्त कर लेंगे।

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