जम्मू-कश्मीर में तैनात सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक श्री प्रभाकर जोशी से विशेष बातचीत
अरविंद
न्यूजवेव @ कोटा
सीमा सुरक्षा बल के उप-महानिरीक्षक श्री प्रभाकर जोशी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ कायराना हमला भारतीय सुरक्षा बलों के लिये एक सीधी चुनौती थी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुये भारत द्वारा लांच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा सुरक्षा बल के बहादुर जवानों ने एक ही रात में पाकिस्तान को दांतों तले उंगली दबाने पर बाध्य कर दिया। सीमा सुरक्षा बल ने दिखा दिया कि पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों और उनके समर्थक पाक रेंजर्स के दांत खट्टे करना हम अच्छी तरह जानते हैं।
22 अप्रैल की घटना से पूरे देश और सीमा सुरक्षा बल बडे़ आहत थे। उनके गुस्से का ज्वार थमने का नाम नहीं ले रहा था। देश की प्रथम सुरक्षा पंक्ति सीमा सुरक्षा बल को जिस विश्वास के साथ देश ने भारत-पाक सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है, उस भरोसे पर हर जवान हमेशा खरा उतरा है। भारतीय वायुसेना द्वारा जब पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठनों के ठिकानों पर सटीक हमला किया गया, उसके बाद पाक द्वारा शुरू की गई गोलीबारी का सीमा सुरक्षा बल के बहादुर प्रहरियों ने मुंह तोड़ जवाब देकर पाक को काफी नुकसान पहंुचाया। जिसे भविष्य में पाकिस्तान की कई पीढियां याद रखेंगी।
सीमा सुरक्षा बलों को जैसे ही दुश्मन को सबक सिखाने का मौका मिला, उन्होंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। सीमा सुरक्षा बल ने न सिर्फ आतंकवादियों के लूनी जैसे आतंकी अड्डो, ट्रेनिंग कैम्प को नष्ट कर दिया बल्कि प्रचंड प्रहार कर उनके ओपी टावर, सीमा चौकियों, राकेट लांचर पॉइंट, सर्विलांस उपकरण, बंकर आदि सब बर्बाद कर दिये।
उप महानिरीक्षक श्री प्रभाकर जोेशी ने बताया कि आतंकियों द्वारा पहलगाम में भारतीय महिलाओं के सिंदूर को मिटाने वाली दर्दनाक वारदात कर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री को भी जिस तरह खुली चुनौती देने का दुस्साहर किया था, उससे हमारा खून खौल रहा था। सीमा सुरक्षा बल का हर जवान बदला लेने के लिये प्रतिबद्ध थे। हमारा उद्देश्य पाक को ऐसा आघात पहुंचाना था, जिसकी पीडा उनको दशकों तक याद रहे।
इस दौरान देश की सीमा प्रहरियों और सीमा भवानियों में अदम्य साहस और उर्जा का संचार हो रहा था। मैने सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल की महिला कंपनी कमांडर नेहा भंडारी से बात की तो उन्होंने कहा पीछे कदम हटाने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। भारतीय नारी के सिंदूर का बदला लेने के लिये सीमा भवानी दृढ़ प्रतिज्ञ थी। युद्ध की स्थिति में दुश्मन को कडा सबक सिखाने के लिये सीमा प्रहरी हर पल तैयार रहे। ऑपरेशन सिंदूर में सीमा सुरक्षा बल के सारे जवानों का जोश आसमां को छूने लगा था।
राजस्थान का गौरव है डीआईजी जोशी
कोटा में आरके पुरम कॉलोनी निवासी श्री जोशी इससे पहले पंजाब के अति संवेदनशील गुरदासपुर सेक्टर में अपनी जिम्मेदारी को साहसिक ढंग से निभा चुके हैं। यह इलाका पठानकोट स्थित वायु सेना के अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद बहुत संवेदनशील माना गया है। इसी सेक्टर के तहत करतारपुर कॉरीडोर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वे बखूबी संभाल चुके हैं। पाकिस्तान की ओर से लगातार पंजाब के इस संवेदनशील इलाके में ड्रोन द्वारा हथियार , ड्रग्स और आतंकवादी भेजने की कायराना करतूत की जाती रही। जिसे रोककर उन्होन ड्रग्स स्मगलर्स के पूरे नेटवर्क को तोड़ा। इनके दो साल के कार्यकाल में करीब 250 क्रिग्रा हीरोइन जब्त की गई। भारी मात्रा में एके राइफल व चीनी पिस्टल जब्त की गई। 50 से अधिक ड्रोन मार गिराये गये। गुरदासपुर में रेत माफियाओं पर रोक लगा दी गई।
कश्मीर में सीमा सुरक्षा बल को नई ताकत देने वाल डीआईजी श्री प्रभाकर जोशी जहां भी रहे, वहां राजस्थान की वीरता का परचम लहराया है। 90 के दशक में कश्मीर के बटमालू व लाल चौक में कार्य करते हुये इन्होंने सैकडों आतंकवादियों को पकड़ा और मौत के घाट उतारा है। असम में भारी संख्या में उल्फा उग्रवादियों को मारने पर 1997 में इनको राष्ट्रपति वीरता मैडल से सम्मानित किया गया। साहसिक सेवाओं के लिये आपको 2014 में राष्ट्रपति द्वारा अति विशिष्ट पदक से नवाजा गया।
डीआईजी जोशी नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड एवं कोसोवो में यूएन मिशन में अपनी सेवायें दे चुके हैं। पश्चिम बंगाल के कूच बिहार, गोपालपुर, व घुबरी मुख्यालयों पर उप महानिरीक्षक के रूप में पशु तस्करी व घुसपैठ पर पूर्ण रोक लगा दी। इन्होने राजस्थान सीमा पर प्रख्यात तनोट मंदिर व लौंगोवाला इलाके में बटालियन कमांड की। सीमा सुरक्षा बल के जांबाज अधिकारी ने कोटा के बाल माध्यमिक स्कूल, कॉमर्स व आर्ट्स कॉलेज से पढाई पूरी की है। छोटे भाई श्री दिवाकर जोशी आरटीयू कोटा में उप-रजिस्ट्रार हैं।