Monday, 14 July, 2025

मरीजों के असली हीरो हैं – डॉ.सुनील दत्त शर्मा

डॉक्टर्स डे पर विशेष: ईलाज में कमीशन से परे जो ईमानदारी से रोगी सेवा को अपना कर्तव्य मानते हैं
न्यूजवेव @ कोटा
बेस्ट डॉक्टर का खिताब मतदान, विज्ञापन, प्रचार-प्रसार के पोस्टर्स से नहीं बल्कि डॉक्टर से परामर्श लेने वाले मरीजों द्वारा दिया जाता है। वे बताते हैं कि उपचार के लिए शहर में कौनसे डॉक्टर बेहतर हैं। कोटा शहर के भीमगंज मंडी क्षेत्र,रेलवे कॉलोनी क्षेत्र सहित शहर और बाहर से आने वाले मरीज सीनियर फिजिशियन डॉ. सुनीलदत्त शर्मा को बेस्ट डॉक्टर का खिताब देते हैं।
सेटेलाइट अस्पताल रामपुरा से रिटायर होने के बाद वे स्टेशन रोड उपभोक्ता होलसेल भंडार के नजदीक कोटा जंक्शन पर अपने क्लिनिक पर शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक और सुबह 10 बजे से 11 बजे तक मरीजों का उपचार करते है। उनकी धर्मपत्नी वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मीनू कोरपाल, एमएस गायनी शाम को क्लिनिक पर मरीजों का उपचार करती है। वे भीमगंजमंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सेवानिवृत हुई है।
एक अनुभवी फिजिशियन जो अपने पेशे को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम मानते हैं। उनके पास रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन जो बात उन्हें बाकी डॉक्टरों से अलग बनाती है, वो हैं। अन्य फिजिशियन डॉक्टर से कम फीस, बिना कमीशन की दवा और सही इलाज की नीयत।
कमीशन से परे सोच
आजकल अधिकांश डॉक्टर मरीज को महंगी दवाइयाँ लिखते हैं, जो विशेष मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं जिनसे डॉक्टर को कमीशन मिलता है। लेकिन सीनियर फिजिशियन डॉ. शर्मा ने इससे खुद को अलग रखा है। वे हमेशा ऐसी सस्ती व प्रभावी दवाएं लिखते हैं जो शहर के किसी भी मेडिकल स्टोर से प्राप्त की जा सकती है। उनका मानना है, इलाज का मकसद पैसा कमाना नहीं, मरीज को राहत देना है।
सच्चाई और सरलता में विश्वास
डॉ.शर्मा का इलाज केवल दवाओं से नहीं होता, बल्कि उनके सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार से भी लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। वो हर मरीज की बात ध्यान से सुनते हैं, उन्हें पूरा समय देते हैं और न तो फालतू जांचें करवाते हैं, न ही उन्हें भ्रमित करते हैं।
निर्धन रोगी को मुफ्त परामर्श
कई बुजुर्ग मरीज कहते हैं, आजकल सीनियर फिजिशियन डॉ.सुनील दत्त शर्मा जैसा चिकित्सक मिलना मुश्किल है। मरीजों के लिये वे सचमुच भगवान की तरह हैं। अभावग्रस्त निर्धन मरीज के लिए मुफ्त में दवा लिख देना, किसी अभावग्रस्त गरीब मरीज की फीस माफ कर देना, उनकी नियति है।

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