कोटा में पर्यटक स्थलों के साथ अब एजुकेशन टूरिज्म व मेडिकल टूरिज्म तेजी से उभर रहा है। सभी तरह की अत्याधुनिक सर्जरी एवं प्रत्यारोपण सुविधाओं के विस्तार से शहर के मेडिकल क्षेत्र में में विश्वास का वातावरण देखने को मिलता है। इस बारे में सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के निदेशक डॉ.सुरेश पांडेय से न्यूज वेव की खास बातचीत –
कौन से इलाज के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं
कोटा में मेडिकल टूरिज्म को बढावा देते हुए सभी तरह के नॉन इमरजेन्सी इलाज जैसे, आँखों के ऑपरेशन, डेंटल इम्लांट, ई एंड टी रोग, प्लास्टिक सर्जरी, ज्वाइंट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी, लेप्रोस्कॉपी सर्जरी, यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, स्पाइन सर्जरी आदि परम विशेषज्ञों द्वारा किए जा रहे हैं। ऐसे रोगियों को अब बडे शहरों में जाने की जरूरत नहीं रही।
विदेशों व मेट्रो शहरों की तुलना में कितना सस्ता
विदेशों की तुलना में कोटा में होने वाली एडवांस सर्जरी पर ऑपरेशन खर्च लगभग दस गुना कम है। मेट्रो की बात करें बडे़ शहरों में ऑपरेशन खर्च दोगुना आता है। साथ ही परिजनों के ठहरने व आने-जाने का खर्च कई गुना ज्यादा होता है। यहां समय की बचत होती है।
क्या विदेशी रोगी कोटा आ रहे हैं
कोटा में किंग फेज़ल युनिवर्सिटी, सऊदी अरब के डॉ. फहाद अल्वादी, किंग खालिद युनिवर्सिटी के नेत्र सर्जन डॉ. हसन अल्तविल तथा बाको युनिवर्सिटी, अजेरबेज़ान (पूर्व रूस) के डॉ.मुबारिज़ कहरमानोव, ईराक के डॉ.समान अकरम एवं सउदी अरब की डॉ.ईशरत अनीस नेत्र चिकित्सा प्रशिक्षण के लिए आ चुके है।
अमेरिका से नेत्र चिकित्सक डॉ. लिंडा वर्गास तथा स्वीट्जरलैण्ड के डॉ.रोमान ग्रे-मिगर नेत्र शल्य चिकित्सा विज्ञान के उच्च प्रशिक्षण हेतु कोटा आये। उन्होंने इंटरनेट (यू-ट्यूब) पर सुवि नेत्र चिकित्सालय द्वारा किये गए अनेकों जटिल नेत्र ऑपरेशनों के सर्जिकल वीडियो देखे, जिनसे वे काफी प्रभावित हुए। कराची से मेडिकल वीजा पर भारत आये फहीमुद्दीन एवं ईराक के डॉ. समान अकरम ने नेत्र ऑपरेशन भी यहां करवाया। उनके अलावा 20 से अधिक प्रवासी भारतीय ने गत 7 वर्षो में सुवि नेत्र चिकित्सालय में नेत्र ऑपरेशन करवाए।
लैंस प्रत्यारोपण किफायती कैसे ?
दिल्ली, मुम्बई आदि में मोतियाबिन्द ऑपरेशन एवं अत्याधुनिक मल्टीफोकल, टोरिक लैन्स एण्ड मल्टीफोकल टोरिक लैन्स प्रत्यारोपण, चश्मा हटाने हेतु लेसिक लेजर रिफ्रेक्टिव सर्जरी, फेकिक लेन्स प्रत्यारोपण काफी महंगे होने से रोगी कोटा आते है। महानगरों की तुलना में यहां ऑपरेशन खर्च 50 प्रतिशत होता है। एजुकेशन सिटी में विद्यार्थियों के साथ उनके पेरेंट्स भी यहां कम खर्च में ऑपरेशन कराना पसंद करते हैं।
विदेशों से कोटा आए नेत्र रोगी
भारत में इतना अच्छा ट्रीटमेंट यादगार रहा
कराची (पाकिस्तान) के 32 वर्षीय फहीमुद्दीन भारत आये। उनको झिल्ली से चिपका हुआ मोतियाबिन्द था। उन्होंने कराची के नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श लिया लेकिन संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने कोटा में झिल्ली से चिपके मोतियाबिन्द के सफल ऑपरेशन का वीडियो यू-ट्यूब पर देखा और ई-मेल भेजकर नेत्र सर्जन डॉ सुरेश पाण्डेय से सम्पर्क किया। बाद में वे ऑपरेशन के लिए कोटा आए। फहीमुद्दीन का पहले दायीं आँख तथा फिर बायीं का आँख का ऑपरेशन हुआ। दोनों आँखों में 19 डायोप्टर का टेक्निस मल्टीफोकल लैंस प्रत्यारोपित किया। जिससे वे बिना चश्मा लगाये दूर व पास का कार्य कर रहे हैं। उनके साथ आए मेडिकल अटेंडेंट सैय्यद तोकिर हुसैन बोखारी ने कहा कि भारत में इतना अच्छा ट्रीटमेंट मिलना यादगार रहा।
दोनों आँखें और अधिक खुल गई
ईराक के कुर्दिस्तान प्रांत के नेत्र सर्जन डॉ. समान अकरम को जन्मजात मून्दी एवं कम खुली आंखें नामक बीमारी थी। इस जन्मजात बीमारी को चिकित्सीय भाषा में ‘‘ब्लीफेरोफाईमोसिस टोसिस सिन्ड्रोम’’ कहा जाता है, जिसके कारण उन्हें अपनी आंखों को पूरी तरह से खुला रखने में कठिनाई होती थी एवं नेत्र जांच एवं ऑपरेशन करने में असुविधा होती थी। डॉ. समान अकरम का यूक्रेन (पूर्व रूस) में मूंदी आँखों का ऑपरेशन किया गया था, परन्तु सफलता नहीं मिल सकी।
मूंदी आंखों से छुटकारा पाने के लिए ईराक से भारत आये डॉ. समान अकरम ने सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा में आकुलोप्लास्टिक सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय द्वारा ‘‘स्लिंग सर्जरी’’ नामक जटिल ऑपरेशन करवाया। इस सफल ऑपरेशन के बाद डॉ. अकरम की दोनों आँखें और अधिक खुल गई। उन्होंने कोटा में 2 सप्ताह रहकर नेत्र शल्य चिकित्सा विज्ञान की टेनिंग भी ली।