नये परीक्षण में सिर्फ आधा समय लगेगा
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
कोरोना वायरस की तेजी से जांच करना भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। जांच में ही ज्यादा समय लगने से अधिकांश राज्यों में जांच की गति धीमी रही है। इस चुनौती से निपटने के लिए हैदराबाद स्थित CSIR-कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) ने ड्राई स्वैब आधारित नया RT-PCR टेस्ट पेश किया है। यह टेस्ट आमतौर पर प्रचलित आरटी-पीसीआर टेस्ट से मिलता-जुलता है, जिसे जल्दी ही भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) की मंजूरी मिल सकती है।
अब तक टेस्टिंग में स्वैब नमूनों की पैकिंग और फिर परीक्षण से पहले पैकिंग खोलने में 4-5 घंटे लग जाते हैं। जबकि, ड्राई स्वैब RT-PCR परीक्षण पद्धति में कोई वीटीएम लिक्विड उपयोग नहीं किया जाता और स्वैब नमूने एक प्रोटेक्टिव ट्यूब में एकत्रित करके लैब को परीक्षण के लिए भेज दिए जाते हैं।
इस नयी पद्धति में टेस्टिंग के दौरान राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) को पृथक करने की जरूरत नहीं होगी, जो स्वैब नमूनों से वायरस का पता लगाने से जुड़ी एक लंबी प्रक्रिया है। इसके तहत आरएनए पृथक्करण पद्धति की जगह ऊष्मीय निष्क्रियता (Heat Inaction) पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति में नमूनों को 98 डिग्री सेल्सियस ताप पर एक निश्चित अवधि के लिए गर्म करते है और उसे RT-PCR मशीन पर परीक्षण के लिए भेज देते हैं।
CCMB के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा ने कहा कि हमें ICMR से मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद टेस्टिंग का पूरा परिदृश्य बदल सकता है। इस नये परीक्षण में सिर्फ आधा समय लगेगा। CCMB के वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर 12 घंटे में 100 नमूनों के परीक्षण के लिए 12 लोग काम करते हैं। लेकिन, इस नई पद्धति से सिर्फ चार लोग मात्र 4 घंटे में ही इतने नमूनों का परीक्षण कर सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)
 
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