उमाशंकर मिश्र
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समय रहते वैज्ञानिक परीक्षण पर जोर दे रहा है, क्योंकि प्रारंभिक निदान जीवन बचाने में मदद कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के आह्वान के साथ, कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) व्यापक वितरण के लिए किफायती और सटीक नैदानिक किट के विकास पर लगातार काम कर रहा है।
CCMB के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा ने बताया कि “हम अपनी इनक्यूबेटिंग कंपनियों की मदद कर रहे हैं। जो परीक्षण किट विकसित करने का विचार रखतेे हम उसका भी समर्थन कर रहे हैं। हम उनके द्वारा प्रस्तावित नैदानिक किट का परीक्षण और सत्यापन कर रहे हैं। जल्द ही हम प्रभावी किट के साथ आ सकते हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह नैदानिक किट अगले 2 सप्ताह में विकसित हो सकता है। परीक्षण किट के मामले में उसकी गुणवत्ता और सटीक नतीजे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। यदि किट 100 प्रतिशत परिणाम देता हैं, तो उसे मंजूरी दी जाएगी।” संस्थान इस परीक्षण किट की लागत को भी ध्यान में रख रहा है।
डॉ मिश्रा ने बताया कि हमारा अनुमान है कि इस किट की मदद से कोविड-19 की जांच 1000 रुपये से कम में हो सकता है। हम उन किटों के बारे में भी सोच रहे हैं जो 400-500 रुपये में उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में हम यह आश्वासन नहीं दे सकते हैं, क्योंकि ऐसी किट विकसित करने का तरीका अलग है, जिसके लिए अधिक मानकीकरण की जरूरत है।”
इसके अलावा, CCMB कोविड-19 वायरस को कल्चर करने की योजना बना रहा है। डॉ मिश्रा ने कहा कि संस्थान के पास इसके लिए सुविधाएं हैं और उन्हें सरकार से भी मंजूरी मिली हुई है, उन्हें अभी तक कल्चर शुरू करने के लिए नमूना और किट प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच, हमारे सुविधा केंद्र तैयार हैं और हम ऐसे लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, जो अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों में परीक्षण के लिए जा रहे हैं।‘‘
तेलंगाना में 5 सरकारी परीक्षण केंद्र हैं। CCMB ने अब तक 25 लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित किया है, ताकि वे इन केंद्रों में जाकर परीक्षण कर सकें। कुछ लैबोरेट्री जहां कोविड-19 परीक्षण किया जाएगा, इनमें निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, गाँधी अस्पताल, उस्मानिया जनरल अस्पताल, सर रोनाल्ड रॉस इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल एंड कम्युनिकेबल डिजीज व फीवर हॉस्पिटल और वारंगल हॉस्पिटल शामिल हैं। सेंटर फॉर डीएनए फिंगर प्रिंटिंग ऐंड डायग्नोस्टिक्स (CDFD) को भी इस समूह में जोड़ा जा सकता है।
जब वायरस कल्चर किया जा रहा है, तो हम एक पद्धति विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि इसका उपयोग परीक्षण के लिए किया जा सके।” उन्होंने उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा है कि “यह संभव है कि सीसीएमबी की सहयोगी संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (IICT) दवाओं के पुनर्निधारण के लिए काम कर रही हो क्योंकि नयी दवा बनाना एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है।” (इंडिया साइंस )