न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. विजय सरदाना ने कहा- लकवा होने पर मरीज को साढे़ चार घंटे में अस्पताल पहुंचाना जरूरी।
कोटा। हम जिंदगी में रोज नई चुनौतियों का सामना करते हैं। मस्तिष्क से कुछ सेकंड में एक निर्णय लेना होता है। शारीरिक हो या मानसिक आपके हर कार्य में ब्रेन निरंतर एक्टिव रहता है। ऐसे में ब्रेन को स्वस्थ रखना भी जरूरी है। रोज सुबह 15 से 20 मिनट चलकर एक किमी ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं। इससे दिमाग भी तरोजाता रहेगा।
एमबीएस हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय सरदाना ने कहा कि लकवा (ब्रेन स्ट्रोक) के बारे में हमें जागरूक होना जरूरी है। किसी रोगी को लकवा होने पर उसे अधिकतम साढे़ घंटे में नजदीक के हॉस्पिटल में पहुंचा दे तो थ्रम्बोलिसिस (टीपीए) इंजेक्शन लगवाकर उसे एक सीमा तक बचाया जा सकता है।
एक सर्वे में उजागर हुआ कि अभी 66 प्रतिशत रोगियों को लकवा या स्ट्रोक के लक्षणों का पता नहीं होता है। केवल 15 प्रतिशत रोगी ही ऐसे मिले जो 3 घंटे में हॉस्पिटल पहुंचे हैं। जागरूकता के अभाव में 46 प्रतिशत रोगी यह भी नहीं जानते कि लकवा ब्रेन से होता है। जबकि 22 प्रतिशत मामलों में फिजिशियन ने विंडो पीरियड (साढे़ चार घंटे) में लकवा रोगी को आगे रैफर ही नहीं किया।
आज भी शहरों से औसतन 10.4 घंटे में और गांवों से 34 घंटे बाद रोगी अस्पताल में विशेषज्ञों तक पहुंच रहे हैं।
18 से 32 वर्ष की उम्र में पक्षाघात
हृदय रोग के बाद लकवा दूसरा सबसे प्रमुख रोग है जिससे देश में सर्वाधिक मौतें हो रही हैं। आज सरकारी अस्पतालों में 20 प्रतिशत रोगी न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती हो रहेे हैं। खासतौर से 18 से 32 वर्ष की उम्र में युवा पक्षाघात (लकवा) की चपेट में आ रहे हैं। राजस्थान में प्रतिमाह 10 रोगी इससे ग्रसित हो रहे हैं। मलेरिया से 20 गुना ज्यादा घातक होने पर भी स्ट्रोक पर अभी कोई नेशनल प्रोग्राम नहीं बना है।
इंटरनेट पर निशुल्क रिस्क कैलकुलेट करें
डॉ.सरदाना ने बताया कि 20 से अधिक उम्र के व्यक्ति कॉर्डियो वस्कुलर फिटनेस के लिए इंटरनेट पर रिस्क कैलकुलेटर से कोलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर व डायबिटीज आदि की जानकारी भरकर अपने मस्तिष्क मे जोखिम के स्तर की जांच कर सकता है।
ब्रेन हैल्थ के लिए स्मार्ट बने
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लकवा दिवस पर ‘आईएम वुमन’ थीम दी। उन्हांने बताया कि दिनचर्या में बदलाव होने से पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में पक्षाघात की संभावना ज्यादा रहती है। एल्कोहल, धुम्रपान, हुक्का एवं तम्बाकू गुटका से बचें और फल-सब्जी, डेयरी प्रॉडक्ट, नटस का प्रयोग करें। योग-प्राणायाम और पैदल सैर मस्तिष्क के लिए प्रभावी है।
ब्रेन को हमेशा एक्टिव रखें
एक छात्रा ने पूछा कि हम अपनी मैमोरी पावर कैसे बढाएं। डॉ. सरदाना ने कहा कि विद्यार्थी लेक्चर्स, पजल्स, क्रॉस वर्ड, मूवी आदि से मस्तिष्क को एक्टिव रखें। ब्रेन को हमेशा काम में लेते रहें, सुस्त न रखें। एक्टिव रहने से मैमोरी बढ़ती है। नींद पूरी लें।