Saturday, 27 December, 2025

मौत के मुंह से निकल ड्यूटी पर लौटे सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता

  • बीते साल 14 फरवरी को आतंकियों से मुठभेड़ में लगी थीं 9 गोलियां। पेट, हाथ, हिप्स, आंख और दिमाग समेत कई अंग हुए थे जख्मी
  • डेढ़ महीने तक कोमा में रहने के बाद आया था होश। कहा- अब भी मोर्चे पर तैनाती के लिए हूं तैयार
  • स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मिला था कीर्ति चक्र। सेनाध्यक्ष और गृह मंत्री समेत पूरे देश ने की थी चीता की जांबाजी की सराहना

न्यूजवेव, कोटा

आतंकियों से लोहा लेते हुए करीब एक साल पहले 9 गोलियां लगने से बुरी तरह जख्मी हुए सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता ड्यूटी पर वापस लौट आए हैं। मौत के मुंह से निकलने वाले  चीता का वापस ड्यूटी पर ऐक्टिव होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में उन्हें 9 गोलियां लगी थीं। पिछले साल 15 अगस्त को शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड कीर्ति चक्र हासिल करने वाले चीता ने सीआरपीएफ के निदेशालय में जॉइन किया है। फिलहाल वह पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।

अधिकारियों का कहना है कि चीता पहले की तरह पूरी तरफ फिट नहीं हो पाए हैं, इसलिए उन्हें मोर्चे पर नहीं तैनात किया जा सकता। सीआरपीएफ की ओर से उन्हें ऑफिस से जुड़ा काम देने पर विचार किया जा रहा है। हमारे सहयोगी अखबार से उनकी पत्नी उमा सिंह ने कहा, ‘उनके स्वास्थ्य से जुड़ी अब भी कई समस्याएं बाकी हैं, जिन्हें खत्म होने में वक्त लगेगा। लेकिन, वह वापस ड्यूटी जॉइन कर बेहद खुश हैं और मोर्चे पर तैनात होने को लेकर भी उत्साहित हैं।’

अधिकारी बोले, युवाओं को चीता से सीखना चाहिए
चीता के जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लंबे समय तक भर्ती रहने के बाद बीते साल एम्स से डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने कहा था कि वे कोबरा बटालियन में शामिल होना चाहते हैं। बता दें कि सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन नक्सली ऑपरेशंस में लोहा लेती है।

अधिकारियों ने कहा कि घायल अधिकारी को पहले की तरह सामान्य होने में अब भी एक से दो साल लग सकता है, लेकिन देश सेवा का उनका जज्बा युवाओं को प्रभावित करने वाला है। अर्धसैनिक बलों और सेना में भर्ती होने की इच्छा रखने वाले युवाओं को उनसे सीखना चाहिए।

तमाम अंगों में लगी थी गोली, डेढ़ महीने रहे कोमा में
बीते साल 14 फरवरी को कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चीता बुरी तरह घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी। सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर तैनात चेतन चीता को 9 गोलियां लगी थीं।

इसके चलते उनके दिमाग, दाईं आंख, पेट, दोनों बांहों, बाएं हाथ, हिप्स पर चोट लगी थी। करीब डेढ़ महीने तक कोमा में रहने के बाद उन्हें होश आया था। 9 गोलियां लगने और कोमा में रहने के बाद उनकी इस तरह से वापसी किसी करिश्मे से कम नहीं कही जा सकती।

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