IMA ने कहा, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों में भी म्यूकोर माईकोसिस
न्यूजवेव @ जयपुर/कोटा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राजस्थान शाखा ने म्यूकोर माईकोसिस या ब्लैक फंगस के लिए राज्य के निजी अस्पतालों पर दोषी ठहराने वाले जयपुर के एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार को निराधार बताते हुये इसकी निंदा की है। आई.एम.ए. की राजस्थान शाखा के अध्यक्ष डॉ.एम.एन.थरेजा, सचिव डॉ.वी.के. जैन एवं नवनिर्वाचित अध्यक्ष कोटा के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.अशोक शारदा ने कहा कि ब्लैक फंगस जैसी संक्रामक बीमारी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों में भी सामने आई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के चिकित्सा विशेषज्ञ कई गंभीर रोगों के उपचार के लिए लंबे समय से स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन इससे कभी ब्लैक फंगस जैसे रोग की शिकायत सामने नहीं आई। पिछले कुछ समय से ब्लैक फंगस ऐसे मरीजों में भी देखने को मिला है जो कभी अस्पतालों में भर्ती ही नहीं हुए या जिन्होंने कभी स्टेरॉयड दवाइयां तक नहीं ली।
डायबिटीज नहीं फिर भी ब्लैक फंगस
डॉ.थरेजा ने कहा कि इस बात के तथ्यपरक सबूत हैं कि ब्लैक फंगस ऐसे लोगों को भी हुआ जिनमें कभी कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखे। सचिव डॉ.वीके जैन ने कहा कि ब्लैक फंगस ऐसे लोगों को भी हुआ जो डायबिटीज रोगी नहीं हैं, साथ ही जो कभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी नहीं रहे। आईएमए की प्रदेश ईकाई ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक निजी अस्पताल और उसमें कार्यरत चिकित्सा विशेषज्ञ एवं नर्सिंग कर्मी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन की अक्षरशः अनुपालना करते आ रहे हैं।
तीनों विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि निजी अस्पतालों या इलाज के दुष्प्रभाव पर कोई पूर्वाग्रह व्यक्त करने से पहले उसका तत्थपरक विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में मास्क पहनने के दौरान की जाने वाली गलतियां, मास्क हाइजिन नियमों का पालन और संभावित वायरल म्युटेशन के बिन्दुओ को भी शामिल किया जाना चाहिए।