न्यूजवेव, कोटा
राज्य के सरकारी स्कूलों की माली हालात सुधारकर उनको प्राइवेट स्कूलों की तरह डेवलप करने के लिए राज्य सरकार की पहल पर शिक्षा विभाग ने जनसहभागिता का नया प्रयोग शुरू किया है। इसके तहत सरकारी स्कूल में भवन एवं आधारभूत सुविधाओं के लिए डोनेशन देने वाले भामाशाहों के परिजनों के नाम पर स्कूल का नाम रखा जाएगा।
हालांकि पहले की तरह वह सरकारी स्कूल ही रहेगा केवल नाम के आगे भामाशाहों के परिजनों का नाम अंकित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त तय राशि जमा कराने पर कई आकर्षक सम्मान भी दिए जाएंगे। दान करने वाले भामाशाहों को ‘शिक्षा मित्र’ व ‘शिक्षा विभूषण’ जैसे सम्मान से नवाजा जाएगां।
इसके लिए शिक्षा विभाग ने भामाशाह योजना शुरू की है। इसके तहत दानदाताओं, भामाशाहों व औद्यौगिक संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने नाम लिखवाने के मानदंड भी तय कर दिए है।
स्कूल के नाम से पहले भामाशाह या व्यक्तिगत दानदाता अथवा उसके द्वारा नामित नाम दर्शाया जाएगा। गाइडलाइन में शर्त है कि किसी भी स्थिति में राजकीय शब्द नहीं हटाया जाएगा।
प्रस्ताव के बाद तय होगा नाम
विद्यालय के नामकरण के लिए विद्यालय विकास एवं प्रबंध समिति, विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से भामाशाहों के दान तथा कार्यों का अनुमोदन कर प्रधानाचार्य व जिला शिक्षा अधिकारी को भेजेंगे। इसके बाद प्रस्ताव माध्यमिक-प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय को भेजा जाएगा। जिस पर राज्य सरकार द्वारा अंतिम निर्णय किया जाएगा।
स्कूल में दान राशि से ये होंगे काम
सरकारी स्कूल में दान राशि से पर्याप्त क्लासरूम, खेल मैदान, फर्नीचर, खेलकूद सामग्री, विद्युत, स्वच्छ पेयजल, शौचालय, सुविधा व आईसीटी कम्प्यूटर आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। दानदाता, भामाशाह व औद्यौगिक संस्थाओं को योगदान के लिए प्रतिवर्ष भामाशाह जयंती पर सम्मानित किया जाएगा।वहीं ऐसे दानदाताओं को कर में भी छूट मिलेगी।
वहीं सरकारी स्कूलों में एक करोड़ रूपए खर्च करने वाले को ‘शिक्षा विभूषण सम्मान’ तथा 15 लाख खर्च करने पर ‘शिक्षा भूषण सम्मान’ इमिलेगा।
ये मिलेंगे पुरस्कार
पुरस्कार दान राशि
शिक्षा मित्र – 5 से 25
शिक्षा साथी – 25 हजार से 1 लाख
शिक्षा श्री – 1 लाख से अधिक व 15 लाख
शिक्षा भूषण – 1 करोड़ रूपए से अधिक
नामकरण के लिए इतनी राशि दान में
विद्यालय दान राशि
प्राथमिक – 30 लाख से अधिक
उच्च प्राथमिक – 60 लाख से अधिक
माध्यमिक – 1.50 करोड़ से अधिक
उच्च माध्यमिक – 2 करोड़ से अधिक