न्यूज वेव, नईदिल्ली
राजस्थान में परवन नदी पर प्रस्तावित परवन बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना की लागत बढ़कर 6400 करोड़ रूपये हो गई है, झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील में अकावद गांव के पास बनने वाली इस परियोजना में सिंचाई का रकबा बढ़ाकर 2,01,166 हेक्टेयर स्वीकृत किया गया।
12 मार्च को नईदिल्ली में हुई केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में परवन सिंचाई परियोजना के संशोधित प्लान को मंजूरी दे दी गई। राजनीतिक द्वंद में उलझी परियोजना की लागत विगत 4 वर्ष में प्राइज मानक आधार पर 3962.85 करोड़ रूपए बढ़ गई है।
बैठक में परवन सिंचाई परियोजना का संशोधित प्लान 6398.78 करोड़ (2014 के आधार पर) स्वीकृत हुआ। इस राशि में सिंचाई कार्य पर 4030.78 करोड़, पेयजल के लिये 188..71 करोड़ और उद्योगों को जलापूर्ति के लिये 2179.29 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगेे।
गौरतलब है कि इससे पूर्व 13 सितंबर,2013 को हुई सीडब्ल्यूसी की तकनीकी सलाहकार समिति की 120 वीं बैठक में परवन सिंचाई परियोजना की लागत 2435.93 करोड़ (2011-12 के प्राइज मानक आधार पर) स्वीकृत हुई थी जिसमें सिंचाई रकबा 1.31 लाख से 2.01 लाख हेक्टेयर प्रस्तावित किया गया था।
केन्द्रीय जल आयोग की ताजा बैठक में प्रदेश के जल संसाधन सचिव शिखर अग्रवाल, कोटा जोनल चीफ इंजीनियर के डी सांदू एवं अधीक्षण अभियंता धीरज जौहरी ने परवन प्रोजेक्ट के संशोधित प्लान को प्रभावी ढंग से रखा जिससे केंद्र से स्वीकृति मिलने में आसानी रही।
दो दशकों से चुनावी मुद्दा रहा परवन प्रोजेक्ट
हाड़ौती संभाग के कोटा, बारां व झालावाड़ जिले के लाखों किसानों को लाभान्वित करने वाली परवन सिंचाई परियोजना विगत 2 दशक से मुख्य चुनावी मुद्दा रही। राजनीतिक दावपेच में उलझी इस महत्वपूर्ण परियोजना की लागत प्रतिवर्ष बढ़ती चली गई।
भाजपा सरकार के पूर्व कार्यकाल में 5 वर्ष तक यह परियोजना फाइलों में दबकर रह गई। उसके बाद गहलोत सरकार ने चुनाव से ठीक दो माह पहले इसका शिलान्यास किया, जिससे परियोजना चालू होने से पहले फिर अटक गई।
2014 में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो यह मुद्दा गरमाया, लेकिन सरकार ने कांग्रेस को दोष देकर इसमें तेजी नहीं दिखाई। नतीजन, एक बार फिर चुनावी साल में परियोजना की निविदा प्रक्रिया प्रारंभ की गई हैं, देखना यह है कि परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा या नहीं।