उर्स समापन: अंता में फाटक वाले बाबा के एतिहासिक उर्स का कुल की रस्म के साथ हुआ समापन
न्यूजवेव@ बारां
बारां जिले के अंता में काचरी फाटक पर मौजूद हिन्दू-मुस्लिम कौमी एकता के प्रतीक हजरत शहनशाह इकरामुद्दीन रहअलैह फाटक वाले बाबा के 11वंे उर्स का समापन दरगाह परिसर में कुल की रस्म के साथ हुआ।
मुख्य सरपरस्त बबला खान, सदर जीशान खान एवं प्रोग्राम संयोजक दानिश खान ने बताया कि 50 वर्षो से अधिक प्राचीन असताना-ए-ओलिया फाटक वाले बाबा उर्स समारोह में मुख्य अतिथि समाज सेविका उर्मिला जैन भाया ने कहा कि जिले में हिंदू-मुस्लिम एकता की ऐसी जीवंत मिसाल होने से क्षेत्र में हमेशा भाईचारे का माहौल बना रहता है।
अध्यक्षता झालावाड़ पालिकाध्यक्ष मनीष शुक्ला ने की। विशिष्ट अतिथि नगर कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रप्रकाश मीणा, पलायथा सरपंच प्रियंका नंदवाना, चंद्रप्रकाश मीणा, बारां पार्षद राहुल गोवर्धन, अशफाक खान, एनटीपीसी, व्यापार संघ अध्यक्ष अजय मेहता चित्रेश नंदवाना उपस्थित रहे।
11वें एतिहासिक उर्स में सोमवार को मुरादाबाद से देश के जाने-माने कव्वाल एवं रेडियो, टीवी सिंगर असलम साबरी वारसी ने अपने कलाम पेश किये; उन्होंने अपने अंदाज से कव्वालियां पेश करते हुए सैंकड़ों श्रोताओं को सुबह 4 बजे तक सुरों में बांधे रखा।
शहनशाह है मेरा ख्वाजा..
वारसी ने लोकप्रिय कव्वाली ‘काशी में तेरा जलवा मदीने में नजारा है, वो भी मुझे प्यारा है, ये भी मुझे प्यारा है..’ सुनाई तो समूचा माहौल तालियों से गूंजता रहा। उनके बाद उन्होंने ‘मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई, अली का लाडला हुसैन, मेरे मां बाप की गुलामी मेरे काम आ गई, शहनशाह है मेरा ख्वाजा..’ कव्वाली पेश कर खूब दाद बटोरी।
गौरतलब है कि हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए गुरूवार एवं सोमवार को अंता सहित बारां जिले एवं आसपास के क्षेत्र से बडी संख्या में नागरिक हजरत फाटक वाले बाबा की दरगाह पर आते हैं। वर्षों से फाटक बाबा ने हिंदू-मुस्लिम भाइयों को एक डोर में पिरोए रखा। वे भाईचारे का पैगाम देते थे।
उर्स कमेटी में बबला खान, जीनाश रंगरेज, दानिश खान, रामकल्याण नागर, शेख आरिफ, अखलाख हुसैन सब्बाग, मेहबूब मिर्जापुर, मोनू पठान, सद्दाम मोनू, प्रदीप मीणा, शाहिद पठान, शेरू खान, भंवर सिंह चैहान, बब्बर खान, नरेंद्र गोचर, गालिब भाई, महावीर शर्मा, रिजवान रंगरेज, कमल नागर, छुट्टन भाई, अनीस पठान, शोएब खान सोनू, कलाम भाई, शाहरूख मंसूरी आदि ने उर्स को सफल बनाने के लिए नागरिकों का आभार जताया। उर्स का समापन सुबह 5 बजे दरगाह परिसर में पुराने रीति-रिवाजो से कुल की रस्म के साथ सम्पन्न हुआ।