Thursday, 12 December, 2024

कोटा में ऑक्सीजन की कमी से सैंकड़ों कोरोना रोगियों की सांसे अटकी

घरों पर आइसोलेट हुये कोराना रोगियों को ऑक्सीजन लेवल 89 से नीचे होने पर भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहे
न्यूजवेव @ कोटा 

कोटा शहर में कोरोना कहर सभी वार्डों के गली-मौहल्लों में घर-घर तक पहुंच चुका है। स्थिति इतनी नाजुक है कि सरकारी व निजी अस्पतालों के कोविड वार्ड में भर्ती करने के लिये बिस्तर खाली नहीं है, सभी आईसीयू फुल हो जाने से गंभीर रोगियों को वेंटिलेटर सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। पीडित नागरिकों ने बताया कि अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव रोगियों को घरों पर ही आईसोलेट रहकर उपचार लेने की हिदायतें दी जा रही हैं।


इससे शहर में पोस्ट कोरोना पॉजिटिव रोगियों की परेशानी दिनों दिन गंभीर हो रही है। घरों पर रहने वाले रोगियों के लिए प्रशासन द्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध की उचित व्यवस्था नहंीं करने से 24 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।
ईएसआई अस्पताल से इलाज ले रहे कोरोना रोगियों को वीडियो कॉल द्वारा ऑक्सीमीटर पर ऑक्सीजन लेवल बताने के बाद ही सिलेंडर दिये जा रहे हैं। रोगी का ऑक्सीजन लेवल 75 के आसपास आने पर उसके परिजन को सिलेंडर की पर्ची दी जाती है। इसके बाद सिलेंडर लेने के लिए परिजनों को डीसीएम रोड स्थित कोटा ऑक्सीजन प्लांट पर जाना पड़ता है। इतना समय लगने से रोगियों की स्थिति और गंभीर हो जाती है।
पार्षद सलीना शेरी ने जिला प्रशासन से मांग की है घरों पर रहने वाले पोस्ट कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन सिलंेडर उपलब्ध करवाने की आपात व्यवस्था करवायें क्योंकि जिन रोगियों का ऑक्सीजन लेवल 89 से कम है उनका स्वास्थ्य खतरे में होता है। शहर में ऑक्सीजन संकट होने से कई पीडितों को एक सिलेंडर से ही काम चलाना पड़ रहा है।
रंगबाड़ी निवासी सीता नागर 10 दिन से घर पर कोरोना उपचार ले रही है। कोरोना होने पर उन्हें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन दी गई। उसके बाद पोस्ट कोविड इलाज घर पर शुरू हुआ। उन्हें रोज दो ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए लेकिन बेटे को एक बार में एक ही सिलेंडर मिलता है। वह प्रशासनिक कार्रवाई जितनी देर में पूरी करता है, उतनी देर में घर पर रखा सिलेंडर खाली होने लगता है। इससे परिजन इस चिंता में रहते हैं कि कहीं सिलेंडर खाली ना हो जाए।
परेशान नागरिकों ने बताया कि इन दिनों शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर, इंजेक्शन व जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर जिला प्रशासन को तत्काल कठोर कार्रवाई करके पीडित रोगियों को राहत पहुंचानी चाहिये।

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