सीए ऑडिट सेमीनार: पब्लिक सेक्टर बैंकों में पारदर्शी व प्रॉडक्टिव ऑडिट होने से घपले थमेंगे। एनपीए कम करने के लिए लोन की राशि का डायवर्जन रोकें।
न्यूजवेव, कोटा
सूरत के वरिष्ठ सीए प्रदीप काबरा ने कहा कि बैंक हमारे आर्थिक तंत्र की नब्ज हैं। इन पर हमले सक्षम, पारदर्शी व प्रॉडक्टिव ऑडिट से रोके जा सकते हैं। केद्र सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मंशा है कि सभी बडी कंपनियों में सेंट्रल स्टेच्युअरी ऑडिट हो। 1 अप्रैल से ऑडिट करते समय सीए बैंकों में लोन व एडवांस डेटाबेस का गहराई से वेरिफिकेशन करें ताकि घपले कम से कम हो सके।
आईसीएआई, कोटा ब्रांच द्वारा आयोजित सेमीनार में उन्होंने कहा कि आज 11,400 करोड़ रू. के पीएनबी घोटाले जैसी एक घटना से सभी प्रभावित हुए हैं। देश के पीएनबी घोटाले और डायमेंड ज्वैलरी डिजाइनर के नीरव मोदी द्वारा बडे़ लोन लेने के वित्तीय मामले उजागर होने के बाद देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों (पीएसबी) में ऑडिटर्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। बैंकों में एनपीए कम से कम हों, क्यांेकि ये एफडीआर के रूप में जनता का पैसा है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गैर प्रदर्शन सम्पत्ति (एनपीए) के मामले चुनौती के रूप में सामने आ रहे हैं। ऐसे देनदार जो बैंकों से लोन लेकर निर्धारित समय में वापस पैसा चुकाने में विफल रहते हैं, उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने दिवालिया एवं शोधन अक्षमता संहिता (इंसॉल्वेंसी एक्ट) में कई सुधार किए हैं, जिससे डिफाल्टर कंपनियों का पता चल सकेगा।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ए,बी व सी केटेगरी के पब्लिक सेक्टर बैंकों के लिए अलग-अलग स्टेचुअरी ऑडिटर्स की नियुक्तियों के प्रावधान किए हैं। ये ऑडिट 1 से 10 अप्रैल तक होगी। भविष्य में इसका समय बढ़ा दिया जाए तो सभी खातों का गहराई से सत्यापन हो सकेगा। साथ ही, सीए को स्किल्ड स्टाफ रखना होगा।
लोन देने से पहले बैंक सही मूल्यांकन करे
उन्होंने बताया कि बैंक प्रबंधन कुछ कदम उठाकर कंपनी की पॉवर पर अपना नियंत्रण रख सकते हैं। इनमें पहला, कंपनी को लोन देने से पहले नए प्रोजेक्ट की क्रेडिट का सही मूल्यांकन करे। कंपनी की क्रेडिट वर्थ कितनी है। यह शुरूआती चेकपॉइंट है। दूसरा, बिना सिक्यूरिटी किसी कंपनी को लोन नहीं देें। तीसरा, जिस कंपनी ने मोटी राशि का लोन लिया है, उसका पैसा किसी दूसरे कार्य में डायवर्ट तो नहीं कर दिया।
मास्टर सर्कुलर में हैं नए प्रावधान
सूरत के सीए अब्बास अली हुसैन वाला ने बताया कि ऑडिट के नए मास्टर सर्कुलर में नए प्रावधानों का उल्लेख है। बैंकों में ऑडिटर गाइडलाइन के अनुसार, सेम्पल से रेंडम ऑडिट करते हैं। ऑडिट करते समय यह ध्यान रहे कि कोई एरिया ऑडिटर से छूट न जाए। ऑडिटिंग में विश्वसनीयता जरूरी है। किसी कंपनी या बैंक में इंटरनल कंट्रोल बहुत सख्त होना चाहिए, ताकि फ्रॉड की घटनाएं रोकी जा सके।
सेमीनार में आईसीएआई, कोटा ब्रांच के चेयरमैन सीए कुमार विकास जैन, वाइस चेयरमैन सीए पंकज दाधीच व कोषाध्यक्ष सीए योगेश चांडक ने अतिथियों का स्वागत किया। ब्रांच सचिव सीए नीतू खंडेलवाल ने सभी का आभार जताया। सेमीनार में बड़ी संख्या में शहर के सीए मौजूद रहे।
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