Thursday, 28 March, 2024

ट्रस्ट या सोसायटी आय की 85 फीसदी राशि मूल उद्देश्य पर खर्च करे

सीए सेमीनार: चेरिटेबल ट्रस्ट को 2 हजार से अधिक दान चेेक से देने पर मिलेगी आयकर छूट

न्यूजवेव @ कोटा

किसी भी चेरिटेबल संस्था या ट्रस्ट द्वारा आय का न्यूनतम 85 प्रतिशत हिस्सा प्रतिवर्ष मूल उद्देश्यों पर खर्च करना अनिवार्य है अन्यथा उस पर आयकर प्रावधान लागू हो सकते हैं। हालांकि संस्था अपनी आय का 85 प्रतिशत से कम खर्च कर पाती है तो उसे अगले 5 वर्षों तक खर्च कर सकती है किंतु उसके लिए उन्हें फॉर्म-10 भरना अनिवार्य है।

शनिवार को रोटरी बिनानी सभागार में सीए कोटा ब्रांच की सेमिनार में मुंबई के वरिष्ठ सीए तुषार के. डॉक्टर ने कहा कि देश में चेरिटेबल, धार्मिक ट्रस्ट व सोसायटी की संख्या तेजी से बढ़ी है। उनमें लेखाकंन मानकों की सही अनुपालना नहीं होने से वित्तीय अनियमितताएं सामने आ रही हैं। ऐसे में वित्तीय पारदर्शिता रखने के लिए ऑटिडर का दायित्व और बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि चेरिटेबल या धार्मिक संस्थाएं प्राप्त आय को आयकर अधिनियम में बताए हुए स्त्रोतों में ही निवेश करें, साथ ही प्रतिवर्ष ऑडिट के बाद ऑनलाइन रिटर्न अवश्य दाखिल करें। ट्रस्ट और सोसाइटी को 30 सितंबर तक रिटर्न भरना अनिवार्य है अन्यथा वह आयकर अधिनियम में प्राप्त छूट नहीं ले सकते हैं।

2 हजार से अधिक दान चेक से करें
उन्होंने बताया कि डोनेशन करने पर धारा 80-जी के तहत करदाता को आयकर छूट मिलती है, लेकिन नए नियमों के अनुसार, 2,000 से अधिक राशि चेक से दान करने पर कर में छूट मिलेगी। नकद राशि से केवल 2 हजार रू. तक नकद राशि दान की जा करने वाले को छूट मिलती है, इससे अधिक राशि पर नहीं। देश में किसी भी पंजीकृत चेरिटेबल ट्रस्ट, सोसायटी या नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन (एनपीओ) में 20 लाख रूपए से अधिक आय होने पर जीएसटी देना अनिवार्य है।

चेरिटी की राशि कहां खर्च करें
आईसीएआई कोटा ब्रांच के चेयरमेन सीए कुमार विकास जैन ने  बताया कि किसी भी ट्रस्ट या संस्था के चेरिटेबल उदेद्श्यों में गरीबों कीे सहायता, एजुकेशन, योग, चिकित्सा सहायता, पर्यावरण संरक्षण (वाटरशेड, वन एवं वन्यजीव) एवं कला व ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण या अन्य सार्वजनिक उपयोगिता के कार्यों को सम्मिलित किया गया है।

ऑडिट रिपोर्ट की गुणवत्ता पर ध्यान दें

आडिट रिपोर्ट की त्रुटियों पर इंदौर के वरिष्ठ सीए असीम त्रिवेदी ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों में जानकारी के अभाव में कुछ गलतियां रह जाती है। कंपनी एक्ट के प्रावधानों का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर की कंपनियों की बेलेंस शीट में गडबड़ी पाई गई है, ऐसे में ऑटिडर की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

हर कंपनी के लिए अकाउंटिंग स्टेंडर्ड अनिवार्य है, उनकी अनुपालना नहीं करने पर आरओसी द्वारा कंपनी व ऑडिटर को नोटिस भेजे जा रहे हैं। अंत में उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट का बारीकी से विश्लेषण कर विभिन्न एकाउंटिंग स्टेंडर्ड के बारे में जानकारी दी। सीपीई चेयरमेन सीए आशीष व्यास ने सबका आभार जताया। सेमीनार में हाडौती के 150 से अधिक सीए व कर सलाहकार उपस्थित रहे। संचालन सीए कोटा ब्रांच की सचिव सीए नीतू खंडेलवाल ने किया।

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