Thursday, 12 December, 2024
Pandit Viajy Shankar Mehta

अच्छे संस्कारों के लिए जीने की प्राथमिकता बदलो

व्याख्यान: प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं‐विजयशंकर मेहता कहते हैं- जीवन में पहले पर्सनल, फैमिली, सोशल और अंत में प्रोफेशनल लाइफ को प्राथमिकता देने से संस्कारों के साथ सफलता अवश्य मिलेगी।

कोटा। इस दौर में हमारे जीवन जीने के तरीके तेजी से बदल रहे हैं। हमने पैसा कमाया लेकिन शांति कहीं खो गई। प्रतिष्ठा अर्जित की लेकिन चरित्र गुम हो गया। बाजार विकसित कर लिए लेकिन संस्कार छूट गए। हमें दुनिया की जानकारी है लेकिन अपनी संस्कृति को भूल रहे हैंं। हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन मूल्य पीछे रह गए हैं। संस्कार से सफलता पाने के लिए हमें सही जीवन प्रबंधन सीखना होगा।

Pandit Viajy Shankar Mehta

जीवन प्रबंधन समूह के प्रणेता पं‐ विजयशंकर मेहता हनुमान चालीसा से सफलता के सूत्र समझाते हुए कहते हैं कि हनुमानजी क्या करते हैं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि वे हर काम कैसे करते हैं? हमें अपना कम्फर्ट छोडकर दूसरे के प्लेटफार्म पर सफलता अर्जित करने का फार्मूला हनुमानजी ने ही सिखाया।

हम व्यवहार से बाहरी जीवन जीते हुए पद-प्रतिष्ठा, नाम, धन अर्जित करके भी अशांत रहते हैं लेकिन यदि स्वभाव से जीना सीख लिया तो अपने भीतर आत्मा पवित्र होने से व्यक्तित्व से सुगंध आने लगेगी। हमें अपने जीवन जीने के तरीके पर गंभीरता से विचार करना होगा। अभी हम सबसे पहले प्रोफेशनल, फिर फैमिली, सोशल और अंत में पर्सनल लाइफ यानी निजी जिदंगी जी रहे हैं। यानी परमात्मा हमारी अंतिम प्राथमिकता है। हमारे पास अपने लिए और अपनो के लिए वक्त नहीं है। जरा, इस क्रम को बदल कर देखिए।

ऐसे रखें जीने की प्राथमिकता
पर्सनल लाइफ– सबसे पहले निजी जीवन को लीजिए। सांसों के जरिए रोज मेडिटेशन करने से आप मैच्यौर होते हैं। इससे शांति मिलेगी।
फैमिली लाइफ – आज हम परिवार में जाते ही अशांत हो जाते हैं। संस्कार परिवार के प्राण है। टीवी-मोबाइल छोडकर थोडा समय परिवार को दीजिए। इससे आपका एनर्जी लेवल बढेगा।
सोशल लाइफ- समाज में धन और ज्ञान के अहंकार से बचो। समय कम हो तो भी समाज और देश के लिए कुछ कार्य करो। भ्रष्टाचार व अपराध रोकने का प्रयास करें।
प्रोफेशनल लाइफ- इसमें अति व्यस्त रहने से संबंध, समय, स्वास्थ्य और संतान जैसे चार नुकसान हो रहे हैं। हमें कर्म में फल का भाव न आए तो निष्कामता रहेगी।

सीखो सफलता के चार सूत्र
1‐ सफलता के लिए क्या करें – सफल होने के लिए ये 6 कार्य अवश्य करें। सक्रिय रहें- तन सक्रिय और मन को विश्राम में रखें। सजग रहें- याद रखें, विलासिता एक पडाव है मंजिल नहीं। सक्षम बनें- तन-तन-धन से सक्षम बनो। संघर्ष करो- इससे जीवन में गहराई आती है। समर्पण भाव रखें और परिवार में संवेदशीलता रखें तो 7वें पायदान पर सफलता अवश्य मिलेगी।

2 सफल हो जाएं तो क्या करें – जीवन में सफल हो जाएं तो दो सावधानी अवश्य रखें। पहला असावधान न रहें और अहंकार न रखें। हनुमानजी निरंकारी थे और सावधान भी। असावधान हुए तो सफलता के शीर्ष से आपके प्रतिस्पर्धी उतार देंगे। यदि अहंकारी रहे तो शीर्ष पर परमात्मा खडे नहीं रहने देगा।

3 सफलता के साथ क्या करें– इसके लिए तीन काम करें। पहला मन, वचन और कर्म से एक हो जाएं। अभी हम भेद करते हैं। सोचते कुछ हैं और बोलते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। हनुमान चालीसा में मन-वचन और कर्म तीनों में एकरूपता है।
4 सफलता के बाद क्या करें- हनुमानजी सिखाते हैं कि व्यावसायिक जीवन में परिश्रम करें। सामाजिक जीवन में पारदर्शिता रखें। पारिवारिक जीवन में प्रेम और निजी जीवन में पवित्रता रखें।

हनुमानजी से सीखो ये 6 मंत्र

पं मेहता ने कहा कि हनुमानजी युवाओं के सच्चे रोल मॉडल हैं। युवा कॅरिअर में सफलता के लिए हनुमानजी के चरित्र से 6 विशेषताएं सीखें। वे प्रतिफल (रिवार्ड) से ज्यादा योगदान ( कांट्रिब्यूशन) में विश्वास करते हैं। कृतज्ञता ( थैंक्स का सद्भाव) यानी सफलता का श्रेय बांटो। किसी बडे कार्य को करने से पहले प्रभावी योजना बनाओ। जोखिम (रिस्क फैक्टर ) यानी हनुमानजी को सफलता तब मिली थी, जब लंका जलाने की जोखिम उठाई थी। अंजाम यानी हनुमान ने जो कहा, उसे पूरा किया और अंत में जीत का संयोजन (विनिंग कांबिनेशन) विभीषण को राम से मिलाना और राम से सुग्रीव से मिलवाकर रावण के विरूद्ध जीत का संयोजन रहा।

मैनेज करो चार समय का एनर्जी लेवल
24 घंटे में चार बार ऐसे अवसर आते हैं, जब आपकी शक्ति यानी एनर्जी लेवल में परिवर्तन होता है और इसके उपयोग पर हमें ध्यान देना है। हमारे भीतर की उर्जा अपना रूप बदलती रहती है।
सूर्योदय के एक घंटे पहले और बाद की उर्जा का जो रूप है, वह पूरी तरह से रचनात्मक होता है और उसमें पॉजिटिव तत्व 100 प्रतिशत काम कर रहे होते हैं।
दोपहर 12 बजे के आसपास एक बार फिर हमें अपनी उर्जा के प्रति जागना होगा, क्योंकि इस समय पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तत्व एक साथ सक्रिय हो जाते हैं। उनका अनुपात 50-50 प्रतिशत हो जाता है।
शाम के समय निगेटिव तत्व अपने चरम पर रहते हैं और पॉजिटिव कम हो जाते हैं। इसलिए शाम के समय थककर उदास हो जाते है। ऐसे समय अपनी मां से फोन पर बात कर लें या उनका ध्यान कर लें, इससे निगेटिव एनर्जी कम होगी।
रात में 10-11 बजे के आसपास एक बार फिर निगेटिव एनर्जी पॉजिटिव हाती है। इसलिए दिन के अच्छे पलों के साथ साते समय खुद को शांत बनाइए, मेडिटेशन करें और सो जाएं।

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