127वीं अम्बेडकर जयन्ती पर कोटा यूनिवर्सिटी में डाॅ.अम्बेडकर शोधपीठ की सेमीनार
न्यूजवेव@कोटा
कोटा यूनिवर्सिटी में डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर शोधपीठ द्वारा 127वीं अम्बेडकर जयन्ती पर सेमीनार में मुख्य वक्ता श्री तुलसी नारायण ने कहा कि अम्बेडकर कहते थे- ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो व संघर्ष करो।’
वे स्वतंत्रता, समता और बंधुता के पक्षधर रहेे। उनका मत था कि समाज में स्वतंत्रता व समता तभी हो सकती है जब आपस मे बंधुत्व हो। वे कहते थे कि मात्र सत्ता से समाज का उत्थान असंभव है, जब तक कि परिवर्तन स्वीकार न किया जाए, समस्या को स्वीकार न किया जाए, अच्छाइयों का प्रचार-प्रसार न हो, समाज आगे नहीं बढ़ सकता।
मुख्य अतिथि प्रो.दुर्गाप्रसाद ने कहा कि जो देश महापुरुषों का चिंतन करता है वही देश-समाज जीवंत है। बाबा साहब सभी को नैतिक एवं चारित्रिक शिक्षा देने के पक्षधर रहे। उन्होंने बचपन से छुआछूत का सामना करते हुए उच्चशिक्षा ग्रहण की एवं पिछडे़ समाज को शिक्षित करने का आजीवन प्रयास किया।
बाबा साहब समता, ममता एवं समरसता के प्रणेता
कुलपति प्रो.पी.के. दशोरा ने कहा कि बाबा साहब समता, ममता एवं समरसता के जीते-जागते उदाहरण रहे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व थे एवं हम उनके सामाजिक सुधार, शिक्षा के प्रचार-प्रसार आदि कार्यों से कभी उऋणी नहीं हो सकते। उन्होंने संविधान में प्रदत्त अधिकारों की अभिकल्पना की।
कुलसचिव डाॅ.संदीप सिंह चौहान ने कहा कि बाबा साहब कबीरपंथी थे। उन्होंने दलितों सहित उन सभी वर्गाें के उत्थान का बीडा उठाया जो सामाजिक प्रताड़ना के लिए विवश थे। उन्होने जाति, धर्म एवं वर्ण व्यवस्था को पुनर्भाषित करने पर जोर दिया। वे हिन्दुत्व के हितेषी थे। छात्र कल्याण प्रकोष्ठ व डाॅ.बी.आर. अम्बेडकर शोधपीठ की समन्वयक प्रो. रीना दाधीच ने स्वागत भाषण दिया।
पहले दिन ‘डाॅ.अम्बेडकर का सामाजिक उत्थान में योगदान’ पर निबन्ध प्रतियोगिता और दूसरे दिन शुक्रवार को ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डाॅ.अम्बेडकर की प्रासंगिकता’ सेमिनार आयोजित की गई। समारोह में निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम एमसीए विभाग की शुभ्रा अवस्थी, द्वितीय शिवानी शर्मा व योगेन्द्र सिंह वर्मा तथा तृतीय कविता मीणा को पुरस्कृत किया गया। संचालन के.के.शर्मा ने किया। डाॅ.एन.एल. हेडा ने आभार जताया।