– पांच से अधिक कमरों वाले पीजी हॉस्टल के बिजली बिल घरेलू दरों से मिलेंगे
– फिर से बिजली के बिल दो माह में जारी होंगे
न्यूजवेव @ कोटा
निजी कंपनी केईडीएल द्वारा शहर में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों पर जनता का दबाव भारी पड़ा जिससे स्मार्ट मीटर लगाने का काम रोकने का फैसला लिया गया। शहर में केईडीएल कंपनी द्वारा स्मार्ट मीटर एवं बिजली के बिलों में आ रही गड़बड़ी को दूर करने के लिए रविवार को जयपुर डिस्कॉम के सीएमडी आर.जी.गुप्ता ने टैगोर सभागार में बैठक ली। उन्होंने शहर में चल रहे जनआंदोलन और 10 अगस्त को प्रस्तावित कोटा बंद को देखते हुए स्मार्ट मीटरों पर तत्काल रोकने के निर्देश दिए।
याद दिला दें कि राज्य सरकार ने कोटा में निजी कंपनी केईडीएल को 2 वर्ष पूर्व बिजली वितरण का ठेका दिया था, राज्य में स्मार्ट मीटर लगाने का प्रयोग केवल कोटा शहर में शुरू किया गया जो पूरी तरह विफल रहा। मई-जून के बिजली के बिलों में गत वर्ष की तुलना में दोगुना राशि वसूल करके कंपनी ने शहरवासियों के साथ खिलवाड़ किया, जिससे जनता में आक्रोश फैल गया। स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में शहर में लगातार विरोघ प्रदर्शन व जनआंदोलन तेज हो रहे थे।
70 हजार उपभोक्ताओं पर एक शिकायत केंद्र
स्मार्ट मीटर लगाने के बाद शहर में बडी संख्या में विद्युत बिलों में गडबडियां उजागर हुई। इसके लिए बिल संबंधी समस्याओं की सुनवाई के लिए केईडीएल द्वारा प्रति 70 हजार उपभोक्ताओं पर एक शिकायत निवारण केंद्र खोला जाएगा। जेवीवीएनएल द्वारा भी एक शिकायत निवारण केंद्र संभागीय मुख्य अभियंता कार्यालय में खोला जाएगा।
सामान्य मीटर से चेक करेंगेे स्मार्ट मीटर
शहर में पूर्व में लगाए गए स्मार्ट मीटरों से अधिक बिल आने की शिकायत उपभोक्ता केईडीएल या जेवीवीएनएल में शिकायत निवारण केंद्रों पर कर सकते हैं। शिकायत मिलने पर उस कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर के समानांतर साधारण मीटर लगाया जाएगा। जांच में स्मार्ट मीटर तेज पाए गए तो वहां साधारण मीटर लगा दिया जाएगा।
स्मार्ट मीटर लगने के बाद जिन उपभोक्ताओं को अधिक राशि के बिल मिले हैं, उनसे अभी पिछले वर्ष के इसी माह के अनुरूप राशि का वर्तमान में भुगतान लिया जाएगा और उनके मीटर की जांच जेवीवीएनएल द्वारा करवाई जाएगी। जांच रिपोर्ट के अनुसार ही अंतिम रूप बिल राशि ली जाएगी।
पीजी रूम पर रहेगी घरेलू दरें
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि शहर में 5 कमरो से अधिक किराए के कमरों वाले पीजी हॉस्टल में बिजली के बिलों पर व्यावसायिक दरें लागू नहीं की जाएगी। प्रत्येक सोमवार को केईडीएल के अंटाघर स्थित एईएन ऑफिस में जनसुनवाई वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जाएगी।
बैठक में सांसद ओम बिरला, विधायक भवानीसिंह राजावत, प्रहलाद गुंजल, संदीप शर्मा, चंद्रकांता मेघवाल ने सीएमडी को कोटा शहर की जनता की बिजली व्यवस्था से जुड़ी समस्स्याओं से अवगत कराया। बैठक में महापौर महेश विजय, यूआईटी चेयरमैन रामकुमार मेहता, जिला कलक्टर गौरव गोयल एवं संभागीय मुख्य अभियंता क्षेमराज मीणा, एसई जसराम मीणा, सीईएससी के प्रेसीडेंट अरविंद गुजराल सहित अधिकारी मौजूद रहे।
फिर से 2 माह में बिजली के बिल
बैठक में निर्णय हुआ कि शहर में शुरू की गई मासिक बिल व्यवस्था को स्थगित कर दिया गया है। अब शहर में एक माह के स्थान पर पहले की तरह दो माह के बिजली खर्च के अनुसार बिजली के बिल जारी किए जाएंगे। जिससे उपभोक्ताओं पर प्रतिमाह स्थायी शुल्क व करों का अतिरिक्त भार नहीं पडे़गा।
हॉस्टलों की दरों पर फैसला नहीं
शहर में बडी संख्या में संचालित गर्ल्स व ब्वायज हॉस्टल्स को घरेलु या व्यवसायिक श्रेणी में रखने के मामले में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति विभिन्न क्षेत्रों में संचालित हॉस्टल का अध्ययन कर सरकार को सुझाव भेजेगी। ये सुझाव राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) को भेजे जाएंगे।
यह केईडीएल को बचाने का खेल
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री पंकज मेहता ने कहा कि जयपुर डिस्कॉम व केईडीएल के अधिकारियों की बैठक में उपभोक्ताओं की आवाज तक नहीं सुनी गई। शहर में स्मार्ट मीटर को लेकर विभिन्न संगठन आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कंपनी के आर्थिक हित बचाने के लिए उनकी बात को नहीं सुना गया।
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी बिजली सेवाओं का निजीकरण करना सरासर गलत है। निजी केईडीएल कंपनी स्मार्ट मीटर के नाम पर बिलों में गडबड़ी कर शहर के लाखों उपभोक्ताओं को लूटने का कार्य कर रही थी। भाजपा सरकार ने स्मार्ट मीटर का खेल कोटा की जनता के साथ ही क्यों खेला। पिछले दो साल से केईडीएल जनता को स्मार्ट मीटर लगाकर खुलेआम लूटती रही, भाजपा के जनप्रतिनिधि मौन रहे लेकिन चुनाव नजदीक आने पर जनांदोलन के भय से भाजपा नेता घडियाली आंसू बहा रहे हैं।