– कोटा में सस्टेनेबल डवलपमेंट पर दो दिवसीय 13वीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 350 रिसर्च स्कॉलर पहुंचे
– विभिन्न सत्रों में एडवांस्ड इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, सोशल साइंस, एग्रीकल्चर टेक्लोनॉजी, आईटी व स्मार्ट एजुकेशन पर शोध पत्र पढे।
न्यूजवेव @ कोटा
संभागीय आयुक्त एल.एन. सोनी ने कहा कि शहर में सस्टेनेबल डवलपमेंट के लिये स्थानीय संसाधनों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये रिसर्च करें और ऐसे सुझाव दें, जिन पर अमल किया जा सके। शनिवार को ओम कोठारी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च में सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर दो दिवसीय 13वीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का उदघाटन करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बहुआयामी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के वैचारिक मंथन से कोटा के लिये कुछ उपयोगी सुझाव अवश्य मिलेंगे। समारोह में कोटा यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि रिसर्च स्कॉलर किसी एक क्षेत्र में केवल एक ही विषय तक सीमित न रहें, उनकी गहराई तक जाएं। यूजीसी ने रिसर्च को अनिवार्य कर दिया है। एजुकेशन में इंफोर्मेशन व नॉलेज शेअरिंग पर नवीनतम टेक्नोलॉजी आ रही हैं इस पर फोकस करें।
‘अब तो आकाश से भी पत्थर बरसने सा डर लगता है’
आरटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. एनपी कौशिक ने कहा कि सतत विकास के लिये वर्तमान की आवश्यकता के साथ भविष्य की संभावनाओं को भी देखना होगा। आज सेटेलाइट से वैज्ञानिक विकास आगे बढ रहे हैं। हम जल, वायु, भूमि, आकाश, अग्नि सभी क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों पर नये रिसर्च करें। कोटा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ.संदीप सिंह चौहान ने कहा कि विकास में भारतीय परिकल्पना हो। आज विकास अदृश्य सा होने लगा है। उन्होंने दिनकर की पंक्तियां सुनाई-‘पहले सड़क पर बैखौफ निकल जाते थे लोग, अब तो आकाश से भी पत्थर बरसने सा डर लगता है।’
पहले सत्र में नाइजीरिया से मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी, लागोस के डॉ. ए.चिडिकॉज ने कहा कि इकोलॉजी पर ध्यान देते हुये हमें लाइफ सपोर्ट सिस्टम विकसित करने होंगे। पर्यावरण असंतुलन आज वैश्विक चुनौती है, डेवलपमेंट के साथ नेचुरल रिसोर्सेज को भी बचाना होगा। एमआईटी से प्रशिक्षित अर्थशास्त्री न्यूयार्क के विशेषज्ञ यंगबो डू ने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिये ग्लोबल जुडाव रखना होगा। हम 99 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों का विकास में फिर से उपयोग कर सकते हैं।
350 से अधिक रिसर्च स्कॉलर पहुंचे
ओम कोठारी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के निदेशक व कॉन्फ्रेंस कन्वीनर प्रो.अमित सिंह राठौड ने बताया कि रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया, नईदिल्ली व वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी, केलिफोर्निया के संयुक्त तत्वावधान एवं आईएसटीडी, कोटा चेप्टर व आईटीसीवी के सहयोग से इस इंटनरेशनल कॉन्फ्रेंस के 5 तकनीकी सत्रों में 11 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधी व स्कॉलर भाग ले रहे हैं। इनमें भारत, यूएसए, जापान, मलेशिया, जर्मनी, नेपाल, भूटान, ताइवान, बांग्लादेश, नाइजीरिया आदि देशों के प्रतिनिधि व कोटा से 125 रिसर्च स्कॉलर्स ने शोधपत्र प्रस्तुत किये हैं। इन शोध पत्रों को इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा। इससे उन्हें यूजीसी से पीएचडी उपाधि लेने में मदद मिलेगी।
कॉन्फ्रेंस सचिव नयन गांधी ने बताया कि पहली बार सांइस, ह्यूमेनिटी, सोशल साइंस, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ, एग्रीकल्चर, स्टार्टअप, टेक्नोलॉजी व एजुकेशन पर शोधपत्र एक ही मंच पर पढे़ गये। कॉन्फ्रेंस में ओम मेटल्स इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लि. के एमडी व ओम कोठारी फाउंडेशन के वीसी डीपी कोठारी, कोठारी फाउंडेशन की मैनेजमेंट कमेटी सदस्य मंजू कोठारी, एसटीडी कोटा चेप्टर की चेयरपर्सन अनिता चौहान, आरएफआई के चेयरमैन व डब्ल्यूएफएसटी के इंडिया वाइस प्रेसीडेंट डॉ.सौरभ जैन, आरएफआई के एशिया चेप्टर हेड डॉ. अशोक गुप्ता सहित प्रशासनिक अधिकारियों व शिक्षाविदों ने भाग लिया।
इन्हें इंटनरेशनल अवार्ड से नवाजा
समारोह में 6 लेखकों द्वारा लिखी गई तीन बुक्स को विमोचन किया गया। रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले शिक्षकों, लेखकों व नागरिकों को प्रशस्ति पत्र देकर इंटनरेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. अशोक गुप्ता, डॉ अजय जैन, डॉ अमित सिंह राठौड, संतोषकुमार तिवारी, अविनाश उपाध्याय, आईएसटीडी चेयरपर्सन अनिता चौहान, योगा के लिये डॉ. निशा जोशी, डॉ. संध्या आदि को सम्मानित किया गया।