Saturday, 13 September, 2025

कोचिंग विद्यार्थियों के लिए कोटा में डमी स्कूलों पर लगाई रोक

न्यायिक फैसला: एक जनहित याचिका पर स्थायी लोक अदालत ने सुनाया कड़ा फैसला। कहा, जिला शिक्षा अधिकारी सुनिश्चित करे कि शहर में कोई डमी स्कूल संचालित न हो।

न्यूजवेव कोटा

स्थायी लोक अदालत ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि शहर में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की कोचिंग करने वाले विद्यार्थियों के लिए किसी भी तरह के डमी स्कूल नहीं चले। साथ ही विद्यार्थियों से अध्ययन के लिए अनावश्यक रूप से फीस राशि वसूल न की लाए।

एडवोकेट लोकेश कुमार सैनी द्वारा वर्ष 2017 में जिला अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा व जिला कलक्टर के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका दायर में यह कठोर निर्णय दिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग के लिए बडी संख्या में विद्यार्थी कोटा आते हैं। वे यहां कोचिंग के साथ कक्षा-9 से 12वीं तक डमी स्कूलों में प्रवेश ले लेते हैं। स्कूल संचालक अभिभावकों से फीस के रूप में मोटी राशि एकमुश्त वसूल कर लेते हैं।

जो विद्यार्थी डमी स्कूल में एडमिशन लेते हैं, वे कभी स्कूल में आते ही नहीं हैं, वे सारी पढाई केवल कोचिंग संस्थान में ही करते हैं। स्कूल के समय में ही कोचिंग कक्षाएं संचालित हो रही है, जिस पर आज तक शिक्षा बोर्ड ने ध्यान नहीं दिया है।

याचिका में कहा गया कि जिला कलक्टर ने कोचिंग संस्थानों के लिए गाइड लाइन बनाई थी लेकिन उसकी आज तक कोई पालना नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में कोटा में संचालित डमी स्कूलों की व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने के लिए शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन को आदेशित करें। शहर में चल रही इस डमी शिक्षा की नियमित मॉनिटरिंग की जाए, जिससे सच्चाई का पता चल सकेगा।

जिला शिक्षा अधिकारी ने अदालत के नोटिस का जवाब देते हुए बताया कि शहर में डमी स्कूल संचालित होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्हें कोई शिकायत भी नहीं मिली है। मनमानी फीस वसूली के बारे में किसी अभिभावक नेे कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। गाइड लाइन में डमी स्कूलों का कोई जिक्र नहीं है।

सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 7 जून को जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए कि शहर में कोई डमी स्कूल संचालित न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी का यह जवाब हास्यास्पद लगता है कि शहर में डमी स्कूल संचालित होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जबकि शहर का हर नागरिक डमी स्कूलों से परिचित है।

सीबीएसई को भी कर चुके शिकायत

अभिभावकों ने बताया कि इससे पहले सीबीएसई को भी शिकायत की गई थी कि शहर मंे बडी संख्या में डमी एडमिशन देने वाले सीबीएसई स्कूल संचालित हो रहे हैं, जहां कक्षा-11वीं एव 12वीं में कक्षाओं में विद्यार्थी 75 प्रतिशत उपस्थित नहीं होते हैं, इसके बावजूद स्कूल संचालक उनसे एक वर्ष की फीस वसूल कर उन्हें कथित तौर पर उपस्थित दर्शाते हैं। एडमिशन देकर विद्यार्थियों को केवल परीक्षा देने के लिए बुलाया जाता है। स्कूलों को इससे कक्षा-11एवं 12 में पूरा टीचिंग स्टाफ नहीं रखना पडता है। शहर के ऐसे डमी स्कूलों की सूची मिलने के बाद सीबीएसई टीम ने इसकी पडताल भी की थी लेकिन स्कूलों की मिलीभगत से जांच रिपोर्ट दबा दी गई। उसका खुलासा किया जाए।

अभिभावकों ने कहा कि स्थायी लोक अदालत के इस न्यायिक फैसले को सत्र 2018-19 में सख्ती से लागू किया जाए तथा निरंतर प्रत्येक स्कूल की मॉनिटरिंग की जाए ताकि विद्यार्थियों से डमी एडमिशन के नाम पर लूट-खसौट बंद हो सके। यदि शिक्षा विभाग ने इसकी अवहेलना की तो अभिभावक हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे।

(Visited 315 times, 1 visits today)

Check Also

सीपीयू कोटा में नये शैक्षणिक सत्र 2025-26 का आगाज

यूनिवर्सिटी में विभिन्न कोर्सेस के प्रथम सेमेस्टर के 1000 से अधिक स्टूडेंट्स ने जाना सीपीयू …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!