Friday, 29 March, 2024
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आईएल की जमीन पर बनेगा कोटा का आक्सी-जोन सेन्टर

मोर सेन्चुरी पर्यटकों को लुभाएगी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से होगा विकास

न्यूजवेव कोटा

आईएल की खाली जमीन शहरवासियों के लिए ऑक्सी-जोन सेन्टर बनेगी। यहां पिकॉक सेन्चुरी, वॉकिंग, जोगिंग एवं साईकिल ट्रेक के साथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगा सेन्टर बनाये जायेंगे। जिला कलक्टर एवं स्मार्ट सिटी के सीईओ गौरव गोयल ने कहा कि आईएल की जमीन को विकसित कर इसे रायपुर छत्तीसगढ की तर्ज पर ऑक्सी-जोन पार्क के रूप में तैयार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आईएल के चारों ओर घनी आबादी है, पास में औद्योगिक क्षेत्र होने से वायु प्रदुषण रहता है। कोचिंग विद्यार्थियों के लिए इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हॉस्टल हैं। वर्तमान में यहां राष्ट्रीय पक्षी मोर अधिक होने से इनके संरक्षण के लिए पिकॉक सेन्चुरी के साथ देशी-विदेशी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा।  उन्होंने जयपुर की तर्ज पर ग्रामीण हाट में प्रस्तावित मसाला पार्क के लिए कन्सलटेट नियुक्त कर शीघ्र कार्य शुरू करने के निर्देश दिये।

दो जोन बनाये जायेंगे
आईएल के आवासीय परिसर को दो जोन में विभक्त कर विकसित किया जाएगा। प्रथम जोन 3 एकड़ का होगा जिसमें प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, मेडिटेशन एवं योगा सेन्टर, रिहेबीटेशन सेन्टर विकसित होंगे। दूसरा जोन 71 एकड़ का होगा जिसमें सघन पौधारोपण किया जायेगा। इसमें 10-10 मीटर चौडाई एवं 5.50 किमी लम्बाई में जोगिंग ट्रेक, पाथ-वे, एवं साईकिल ट्रेेेक बनाये जायेंगे। पास में साइकिल शेयरिंग सेन्टर होगा जिसमें किराये पर साइकिल प्राप्त की जा सकेगी।
पिकॉक सेन्चुरी का आकर्षण रहेगा
वर्तमान में राष्ट्रीय पक्षी मोर की इस क्षेत्र में बहुतायत होने से इनको सुरक्षित आवास हेतु सघन पौधारोपण किया जाएगा। समूचे क्षेत्र को पिकॉक सेन्चुरी के रूप में विकसित किया जायेगा। इस क्षेत्र में कच्चे पाथ-वे बनाये जायेंगे जिसमें देशी-विदेशी पक्षियों को निहारा जा सकेगा।
पक्षियों के लिए क्रत्रिम जलाशय बनाए जाएंगे। घना पक्षी विहार भरतपुर की तर्ज पर यहां क्रत्रिम टापू बनाये जायेंगे जिसमें पक्षियों को अपना नीड़ बनाने का वातावरण मिलेगा। जलस्रोत के पास पक्षियों को निहारने के लिए वर्ड वाचिंग पॉइन्ट एवं फोटोग्राफी पाइन्ट भी बनाये जायेंगे।
ऑक्सीजोन सेन्टर बनेगा
वायुप्रदुषण को कम करने के लिए सघन 5 हजार पौधे लगाए जाएंगे। पुराने पेड़ों को सहेजने के साथ पीपल, नीम, बरगद, खजूर,आम, बांस आवंला, जामुन, अशोक, महोगनी सहित स्थानीय प्रजाति के पौधे लगेंगे।

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