Thursday, 12 December, 2024

पेटेंट संशोधन सरकारी या निजी शिक्षा संस्थान के लिये एक समान हो

  • केंद्र सरकार ने पेटेंट नियम में संशोधन पर 9 मार्च तक आपत्तियां या सुझाव मांगे
  • शिक्षाविदों ने कहा, उच्च शिक्षा में शोध व पेटेंट से ही यूनिवर्सिटी व कॉलेज की रैंकिंग तय होती है।

न्यूजवेव@नईदिल्ली

केंद्र सरकार पेटेंट (संशोधन) नियमावली, 2003 में संशोधन कर पेटेंट दाखिल करने वालों को शुल्क में पांचवे हिस्से तक रियायत देने जा रही है। लेकिन यह रियायत सिर्फ योग्य सरकारी विश्वविद्यालय, कॉलेज व शिक्षा संस्थानों के शोधार्थियों पर लागू होगी। निजी विश्वविद्यालय या कॉलेज के शोधार्थी को यह लाभ नहीं मिलेगा, जबकि इस संस्थानों में शोध कार्य अधिक होते हैं।


केद्रीय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने इस प्रस्ताव पर 9 मार्च तक सुझाव या आपत्तियां मांगी हैं। ड्राफ्ट पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 में नियम 24सी (1)(के) को शामिल करने का भी प्रस्ताव है, जिसके अनुसार सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को शीघ्र पेटेंट परीक्षा आयोजित का अवसर दिया जायेगा। जबकि त्वरित पेटेंट परीक्षा के लिये निजी शिक्षा संस्थानों को अवसर नहीं दिया गया है।

इस मुद्दे पर शिक्षाविदों की विशेष परिचर्चा में आईपीआर विशेषज्ञ प्रो.अनिंद्य सरकार ने कहा कि सरकार ‘योग्य‘ सरकारी शिक्षा संस्थान के लिए पेटेंट शुल्क में पांचवे हिस्से तक कटौती करने जा रही है। मान्यताप्राप्त निजी शिक्षा संस्थानों को इसमें शामिल नहीं किया गया। जबकि विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने से शोध भी ज्यादा होते हैं। इसे एक समान स्तर पर लागू किया जाये।
गलगोटिया विश्वविद्यालय,ग्रेटर नोएडा  के डीन प्रो. अजीम खान पठान ने कहा कि अनुसंधान कार्य में सरकारी या निजी स्तर पर अंतर नहीं किया जाये। आज प्राइवेट यूनिवर्सिटी के शिक्षक विदेशी यूनिवर्सिटी से एमओयू करके साझा रिसर्च कर रहे हैं। कॉलेज विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर ही स्टार्टअप के लिये प्रेरित किया जा सकता है, जो निजी क्षेत्र के शिक्षा संस्थान बखूबी कर रहे हैं।

सरकार दोहरे मापदंड खत्म करे

कॅरियर पॉइंट यूनिवर्सिटी (CPU) के चांसलर प्रमोद माहेश्वरी ने कहा कि रिसर्च व पेटेंट में सरकार दोहरे मापदंड खत्म कर समान नीति लागू करे। ‘नेक’ व एनआईआरएफ की मान्यता के लिये प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भी पेटेंट ज्यादा होने चाहिये। इस भेदभाव को खत्म कर पेटेंट शुल्क में रियायत एक समान की जाये।
ग्राफिक इरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून के कुलपति डॉ.राकेश शर्मा ने कहा कि आज देश में किसी शिक्षा संस्थान की रैंकिंग और मान्यता उसके द्वारा कराये गये शोध व पेटेंट से निर्धारित होती है। ऐसे में सरकार को पेटेंट दाखिल करने के शुल्क में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिये।

भारतीय पेटेंट की विश्वसनीयता बढे़

आईपी मोमेंट सर्विसेज के संस्थापक निदेशक डॉ.परेश कुमार सी. दवे ने मांग की कि देश में नवाचार को बढावा देने के लिये सभी मान्यता प्राप्त निजी विश्वविद्यालयों और शिक्षा संस्थानों को भी पेटेंट शुल्क की रियायत में सूचीबद्ध किया जाये।देश में पेटेंट अभियोजना मंहगा है और इसमें समय भी अधिक लगता है। प्रक्रिया को सरल बनाने से दुनिया में भारतीय पेटेंट की विश्वसनीयता बढ़ेगी। देश में शोध कार्य बढ़ने से उच्च शिक्षा संस्थानों की वर्ल्ड रैंकिंग में सुधार होगा।
पीएसआईटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कानपुर के निदेशक डॉ.अजीत कुमार शुक्ला मानते हैं कि पेटेंट शुल्क में छूट पर शिक्षा संस्थानों में भेदभाव करना अनुचित नहीं है। सभी राज्यों में प्राइवेट शिक्षा संस्थानों से कई ग्रेजुएट शोध के क्षेत्र में कदम रखते हैं। उनको भी लाभान्वित किया जाये।
धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय, नडियाद, गुजरात के निदेशक डॉ.अतींद्र शुक्ला ने सुझाव दिया कि केवल ऐसे प्राइवेट विश्वविद्यालय के शोधार्थी को ही रियायत दी जाये जो यूजीसी 2 (एफ) व 12 (ख) के तहत अनुमोदित या पंजीकृत हैं।
भारत में पेटेंट अभियोजन महंगा


अपने रिसर्च से 22 पेटेंट पंजीकृत करा चुके ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर मैनेजमेंट (GIHM) नईदिल्ली में विजिटिंग फैकल्टी डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा कि देश में पेेटेंट अभियोजन महंगा है इसलिए निजी संस्थानों को पेटेंट दाखिल करने में छूट देने के लिए योग्य शिक्षा संस्थानों की परिभाषा में शामिल करना चाहिए।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली में प्रोफेसर डॉ. रियाजुल कमर खान बौद्धिक संपदा को संरक्षित करने के पक्षधर है। एक एनजीओ एवं स्कूल संचालित कर रहे डॉ.खान ने कहा कि कई शहरों में छोटे प्राइवेट कॉलेज अभी नवोदित हैं इसलिए वे अधिक शुल्क नहीं दे पायेंगे। इस पर पुनर्विचार हो।

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