Monday, 29 December, 2025

पेटेंट आवेदन में सरकारी शिक्षा संस्थानों को मिलेगी छूट

मोदी सरकार ने पेटेंट नियम में संशोधन का मसौदा जारी कर 30 दिन में सुझाव या आपत्तियां मांगी

न्यूजवेव@ कोटा
केंद्र सरकार के उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने 9 फरवरी को पेटेंट (संशोधन) नियम, 2003 का मसौदा जारी कर जनता से 30 दिन में सुझाव या आपत्तियां मांगी हैं। मसौदे में तीन प्रमुख संशोधन प्रस्तावित हैं। पेटेंट नियम 2003 के उप नियम (सीए) को परिभाषित करते हुए कहा गया कि ‘पात्र शैक्षणिक संस्थान’ का अर्थ है एक केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थान, जो सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में है और पूरी तरह से या सरकार द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित है।
पेटेंट नियम 2003 के नियम-7 के अनुसार “पात्र शैक्षणिक संस्थान” के लिए पेटेंट दाखिल करने का शुल्क प्राकृतिक व्यक्ति, छोटी इकाई और स्टार्टअप के बराबर होगा। अर्थात अब पेटेंट दाखिल करने और अन्य पेटेंट अभियोजन की आधिकारिक फीस “पात्र शैक्षणिक संस्थान” के लिए पांचवें हिस्से तक कम हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त नियम 24 सी (1) में संशोधन करने और उप नियम 24 सी (1) (के) को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। नियम 24C (1) में संशोधन एक त्वरित परीक्षा के लिए पात्र शैक्षणिक संस्थान को अनुमति देता है। पहले त्वरित परीक्षा की रिपोर्ट 2 से 3 वर्ष बाद मिलती थी जो अब 6 माह से मिल जाएगी।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को भी शामिल करें

Dr Paresh C. Dave

आईपी ​​मोमेंट सर्विसेज के संस्थापक निदेशक डॉ. परेश कुमार सी. दवे ने केंद्र सरकार के इस निर्णय की सराहना की है। उन्होंने मांग की कि इस संशोधन प्रक्रिया में देश के सभी मान्यता प्राप्त निजी विश्वविद्यालयों और शिक्षा संस्थानों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने देश के सभी शिक्षाविदों से अपील की है कि वे अपने सुझाव और आपत्तियाँ मंत्रालय को अवश्य साझा करें। संशोधन की इस प्रक्रिया में सभी राज्यों के निजी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को भी शामिल किया जाये।
पेटेंट विशेषज्ञ डॉ परेश सी. दवे ने कहा कि IPR के नियमों में सामयिक सुधार करने से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना साकार हो सकेगी। उन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए देश के सभी निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दिया।

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