बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर भारत का अमेरिका से हुआ प्रारंभिक करार
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा को सफल बनाने के लिये भारत सरकार ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार की योजना पर अमेरिका के साथ प्रारंभिक समझौता किया है। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि अमेरिका व भारत के शीर्ष व्यापारिक संबंधों में मधुरता लाने के लिये अमेरिका ने बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण को मजबूत करने पर जोर दिया है। इसे देखते हुये नईदिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केबिनेट बैठक में अमेरिका के साथ एक एमओयू को मंजूरी दे दी गई।
इस मसौदे में बताया गया कि पेटेंट का विरोध पेटेंट आवंटन से पूर्व ही किया जाना चाहिये अथवा पेटेंट के एक वर्ष बाद विरोध प्रस्ताव स्वीकार किया जाये। एक पेटेंट आवेदन प्रकाशित हो चुका हो लेकिन पेटेंट स्वीकृत नहीं किया गया हो, उस दशा में कोई भी व्यक्ति पेटेंट अधिनियम,2003 की दूसरी सूची की धारा 25(1) के तहत फॉर्म-7 ए भरकर इसका विरोध दर्ज करवा सकता है।
उन्होने बताया कि भारतीय पेटेंट कानून का महत्वपूर्ण पहलू है कि इसमें पूर्व अधिसूचित विरोध करने का अधिकार भी शामिल है। पेटेंट संशोधन अधिनियम,2005 के अनुसार, प्री-ग्रांट विरोध दर्ज कराने का अधिकार व्यक्ति विशेष के स्थान पर किसी भी व्यक्ति को छूट देता है।
भारतीय पेटेंट कानून की धारा 3(डी) में दवा पेटेंट को संयमित रखने के लिये कई प्रावधान हैं। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के एकाधिकार की प्रवृत्ति को रोकना है। इस एक्ट के तहत विभिन्न मंचों पर अमेरिकी फार्मा कंपनियों व अमेरिका के सरकारी प्रतिनिधियों के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई है।
अनिवार्य लाइसेंस पर आपत्ति क्यों
आईपी मोमेंट के संस्थापक निदेशक व पेटेंट विशेषज्ञ डॉ. परेेश दवे के अनुसार, किसी खोज को पेटेंट के ऑनर की सहमति के बिना किसी तीसरे पक्ष को उपयोग करने या बेचने के लिये कंपनी लाइसेंस अधिकृत होता है। भारतीय पेटेंट कानून के तहत कोई भी व्यक्ति पेंटेट लेने के 3 वर्ष पश्चात कंट्रोलर को अनिवार्य लाइसेंस जारी करने के लिये आवेदन कर सकता है।
उन्होंने बताया कि भारतीय पेटेंट कानून,1970 के चेप्टर 16 में अनिवार्य लाइसेंस लेने का प्रावधान है। अमेरिकी दवा निर्माता लॉबी ग्रुप फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड मेन्यूफेक्चरिंग ने भारतीय पेटेंट एक्ट में अनिवार्य लाइसेंस से जुडे़ मुद्दे पर कई बार आवाज उठाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस मुद्दे को बार-बार उठाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की जाती है।