Thursday, 26 June, 2025

आपातकाल एक काला अध्याय

संस्मरणः हनुमान शर्मा, लोकतंत्र सेनानी, कोटा
न्यूजवेव / कोटा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वयंसेवक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से पूरी तरह जुड़ाव रहा। परिषद का कार्यालय मेरे निवास पर ही था। चूकि सम्पूर्ण परिवार संघनिष्ठ था इसलिये संघ के दिये देशभक्ति के संस्कार मुझे बचपन से ही मिले। मेरे किशोर मन ने उस समय ही यह निश्चित कर लिया था कि मै आजीवन अविवाहित रह कर भारत माता की सेवा करूंगा इसलिये जब सत्याग्रह का अवसर आया तो निवेदन किया कि मुझे सत्याग्रह कर जेल जाने का सोभाग्य मिलना चाहिये।
दिनाक 4 जनवरी 1976 को मेरे जीवन में सौभाग्य दिवस आया जब संघ के जिला प्रचारक उमाशंकरजी ने घर आकर कहा आपके आग्रह का समय आ गया है। आपको 5 जनवरी को होने वाले सत्याग्रह का नेतृत्व करना है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आप लोगो के साथ बौखलाई पुलिस बेरहमी से मारपीट भी कर सकती हे क्योकि इससे पहले वाले जत्थे के साथ बहुत मारपीट की हे।
सत्याग्रह
दिनाक 5 जनवरी 1976 को पुरे आत्मबल से तैयार होकर लाडपुरा चौक पर जा पहुचा जहां अन्य सत्याग्रही भी थोड़े समय में आ गए। हमारा उत्साह तब चोैगुना हो गया जब लोकतंत्र सेनानी एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री रघुवीर सिंह जी कोशल की धर्मपत्नी और हम सबकी ममतामयी जीजाबाई समान श्रीमती शकुंतला देवी कोशल ने हम सबके हनुमान शर्मा, ललित लखानी, अशोक मलेटी, राजेन्द्र सिंह बंदडी,नरेंद्र जैन, रामावतार, विक्रम, महेंद्र और इंद्रराज मीणा के भाल पर तिलक लगा और आरती उतारकर हमे रवाना किया। मन मे जोश और दिल में बलिदान की आग देकर हमारा जत्था इंदिरा तेरी तानाशाही नही चलेगी, इंदिरा गांधी होश में आओ,इंदिरा गांधी मुर्दाबाद, भारत माता की जय के नारे लगते हुये चल पड़े। इंदिरा गांधी का पुतला लेकर आगे बढ़ते रहे। भीड़ होने लगी मुख्य बाजार से होते हुवे रामपुरा बाजार में प्रवेश किया जेसे ही उमेश गंधी की इत्र के दुकान स्थित संघ कार्यालय के सामने पहुचे की अचानक जोर की आवाज आई की पुलिस आ रही हे तुरंत पुतला दहन करो मेने जेब से माचिस निकाली। एक ने मिटटी का तेल डाला और आग लगा दी। तानाशाह का पुतला धू धू करके जलने लगा हम लोगों का निरन्तर नारे लगाना जारी रहा वहा भारी भीड़ हो गई और पुलिस ने हमे पुतले सहित घेर लिया।
एक पुलिस वाले ने पुतले पर पानी डाला और हमे पकड़ कर रामपुरा कोतवाली के लॉकअप में डाल दिया दूसरे दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया 5 दिन का रिमांड दिया रिमांड के बाद एक पुलिस वाला मुझे डीएसपी शिवराज सिंह जिसका कद काठी लम्बी चोडी बड़ी बड़ी मुछे और रंग काला था। इस पुलिस अधिकारी के बारे में विख्यात था कि यह बहुत अत्याचारी है और आदतन अपराधी कंजर जाति के लोगो से भी उगलवाने में माहिर हे। शिवराज सिंह ने मुझे धमकाते और गाली देते हुये कहा कि मार मार कर भूसा भर दूंगा। मेरे साथ मारपीट करते हुये पूछा कि तुरन्त बताओ तुम्हे किसने भेजा। पूर्व निर्देशानुसार प्रेमजी का नाम बता दिया, क्या उसे पहचानते हो मेने कहा। उन्होंने तीन लोगो को बुला लिया इनमे से कोन हे? मेने कहा कोई भी नही फिर मुझे लॉकअप में डाल दिया और 10 जनवरी 1976 को सेन्ट्रल जेल भेज दिया।
जेल ट्रेनिग सेंटर
कोटा सेंट्रल जेल को सत्याग्रहियों ने जेल ट्रेनिंग सेंटर नाम दिया था। यहा नियमित शाखा लगना सुबह उठने से रात्रि सोने तक का समय निर्धारित था मीसा, डीआईआर और 107ध्151 के भारतीय जनसंघ के नेता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के प्रचारक और सत्याग्रह करने वालो का एक साथ भोजन बनता था। सप्ताह में एक दिन विशेष भोजन प्रसादी बनती थी। अन्य पार्टी के लोग अलग बनवाते थे। 28 जनवरी 1976 को रात्रि 8 बजे मेरे पेट में तेज दर्द हुआ तो ठाकुरदास जी टण्डन विभाग प्रचारक जिनके सानिध्य में जेटीसी चलती थी वे होम्योपैथी के डॉक्टर भी थे उनकी पेटी में से दवाई दी और मेरे पास डेढ बजे तक बेठे रहे जब तक मुझे गहरी नीद नही आ गई अपनत्व की भावना वहा मिली।
जेल को बड़ा गेट तोडा
एक दिन रविन्द्र सिंह जी निर्भय, मोहर सिंह जी कुछ सेनानीयो को पेशी पर ले जाया जा रहा था एक निश्चित स्थान तक हम तीन चार जने छोड़ने गये। वहा जब उनको हथकड़ी लगाई जाने लगी इस पर झगड़ा हो गया, वहा एडीएम सिटी कोरानी भी आ गया। झगड़ा बडा इनके साथ मारना पीटना चालू कर दिया गया जबरदस्त हगांमा हुआ। हम में से एक बन्धु तो सबको बुलाने अंदर भागा और हम लोहे का बड़ा गेट तोड़ने लगे इतने में और जने आ गये और गेट तोड़ कर सेनानियो को छुडा लिया इतने में आर ए सी आ गई और हमारे बड़े नेता भी अंदर से आ गये समझा बुझा दिया गया इसके बाद से जेल परिसर में ही अदालत लगने लगी आईजी जेल ने हथकड़ी लगाने के लिए मना कर दिया जयपुर से आकर हमारी बात सुनी और समाधान भी किया।
भारत माता के लिए आया हूँ
छोटा सा लोकतंत्र सेनानी नरेंद्र जी जेन जो हमारे जत्थे में थे। उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया तो उन्हें पेरोल पर जाने के लिए कहा तो मना कर दिया इस पर ठाकुरदास जी टण्डन और बड़े नेताओ ने समझाया पर वो नही गये। उन्होंने कहा कि भारत माता के लिए आया हु जो सबकी माता हे वीर नरेंद्र जी अंत्येष्टि और 12 दिनों तक नही गये देश के लिये आया हु ऐसे बहादुर लोकतंत्र सेनानी को प्रणाम।

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