एसबीएस विश्वविद्यालय (SBSU) की टीम ने टोक्यो में फिजियोथेरेपी विश्व सम्मेलन-2025 में शोधपत्र प्रस्तुत किये
न्यूजवेव @ देहरादून
वर्ल्ड कॉंग्रेस ऑफ फिजियोथेरेपी द्वारा हाल में टोक्यो, जापान में विश्व फिजियोथेरेपी सम्मेलन-2025 आयोजित किया गया जिसमें विश्व के छह महाद्वीपों से 6,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस द्विवार्षिक सम्मेलन में 145 सत्र, 700 ई-पोस्टर और 1,400 से अधिक प्रिंटेड पोस्टर की प्रस्तुतियाँ शामिल की गईं।सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय (SBSU), देहरादून की चार सदस्यीय टीम ने फिजियोथेरेेपी पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत कर वैश्विक शैक्षणिक मंच पर अलग पहचान बनाई।
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुये SBSU के प्रोफेसर डॉ. मनीष अरोड़ा,डीन, स्टूडेंट वेलफेयर, डॉ.मैत्री चौधरी (PT), डॉ. संदीप खन्ना (PT) और डॉ.मधुलिका सेठिया (PT) की टीम ने पाँच मूल शोध-पत्र प्रस्तुत किए, जिन्हें प्रतिष्ठित विश्व फिजियोथेरेपी जर्नल एल्सवियर में प्रकाशित करने के लिए चुना गया। भारतीय यूनिवर्सिटी SBSU के योगदान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नवाचार, और व्यावहारिक उपयोगिता के लिए वैश्विक फिजियोथेरेपी शोध के अग्रणी संस्थानों में स्थान मिला। भारत के 120 से अधिक फिजियोथेरेपिस्ट्स में एसबीएसयू का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व रहा, जो उनके बढ़ते शैक्षणिक प्रभाव को दर्शाता है।
डॉ. मैत्री चौधरी का शोधपत्र एवं यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा सुकन्या दीक्षित द्वारा विकसित लो-कॉस्ट इनसोल डिवाइस पर केंद्रित था, जो पैर की गड़बड़ियों का पता लगाने और सुधार हेतु उन्नत फिजियोथेरेपी तकनीकों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। टीम ने अपने शोध में बताया कि कैसे प्रारंभिक हस्तक्षेप से दर्द को कम करने और लंबी अवधि की जटिलताओं जैसे स्पोंडिलोसिस, डिस्क डिजेनरेशन, आर्थराइटिस आदि को रोका जा सकता है।
टोक्यो से लौटने पर एसबीएसयू (SBSU) के चेयरमैन एस.पी. सिंह, अध्यक्ष डॉ.गौरव दीप सिंह और कुलपति प्रो.जे.कुमार ने टीम का स्वागत कर उन्हें बधाई दी। प्रतिनिधियों ने प्रबंधन के मार्गदर्शन एवं सहयोग के लिए आभार जताया एवं विश्वविद्यालय के संकाय, छात्र, और विभागों के योगदान को सराहा। चैयरमैन डॉ सिंह ने कहा कि यह वैश्विक उपलब्धि यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक उत्कृष्टता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है और वैश्विक फिजियोथेरेपी अनुसंधान और शिक्षा में भारत की बढ़ती भूमिका को मजबूती प्रदान करती है।’
युवा पीढी में बडी कमर दर्द की समस्या

शोधार्थी डॉ. मधुलिका सेठिया ने बताया कि आजकल युवा पीढ़ी में 30 साल की उम्र से ही कमर के निचले हिस्से में दर्द की समस्या हो गई है, जो पहले बुढ़ापे में होती थी,। यह बदलती जीवनशैली का परिणाम है। शोध में कमर के निचले हिस्से में दर्द की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए उपचार डिजाइन तैयार करने की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। जो सर्जरी और दवा के अलावा अन्य विकल्पों में शामिल होगी। वैश्विक सम्मेलन में एक फिजियोथेरेपिस्ट और ऑस्टियोपैथ के रूप में अत्याधुनिक तकनीकों के एकीकरण के साथ शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसके माध्यम से चिकित्सीय उपायों के साथ एलसीएस के लक्षणों को हल कर सकते हैं।