Thursday, 12 December, 2024

कमर एवं रीढ़ की हड्डी के दर्द में ‘रन अगेन’ फिजियोथेरेपी सेंटर बना वरदान

कोटा में ‘रन अगेन’ (Run Again) रिसर्च सेंटर पर राज्य की प्रथम कम्प्यूटराइज्ड स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन से स्पाइन रोगियों को मिला सुकून

न्यूजवेव @ कोटा

कामकाजी व घरेलू महिलाओं को एक उम्र के बाद पीठ, कमर या जोड़ों में तेज दर्द, साइटिका, गर्दन दर्द या स्लिप डिस्क के कारण बहुत तकलीफ होती है। जल्द आराम के लिये वे पेनकिलर दवाओं का सेवन करती हैं लेकिन दवाओं से कोई स्थायी लाभ नहीं मिलता है। कोटा में राज्य की प्रथम अत्याधुनिक कम्प्यूटराइज्ड स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन से महिलाओं को कुछ ही दिन में चमत्कारिक राहत मिलने के मामले सामने आये हैं।
न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के सामने ‘रन अगेन’ फिजियोथेरेपी रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ.नृपराज गोचर ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद कई महिलायें शिकायत लेकर आ रही हैं कि रीढ़ की हड्डी व कमर में असहनीय दर्द कुछ दिन बाद पैर की एड़ी तक पहुंच जाता है, जिससे उनका चलना-फिरना भी बंद हो जाता है।
सेंसर द्वारा दर्द पर नियंत्रण
शहर में अमेरिकन नॉन इन्वेसिव स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन के जरिये रोगियों को नियमित फंक्शनल एवं वर्चुअल फिजियोथेरेपी दी जा रही है, जिससे रोगी 15 से 30 दिन में पूरी तरह स्वस्थ हो रहे हैं। सेंसर द्वारा नियंत्रित यह मशीन रोगी के शरीर के अनुसार एंगल बदलकर डिस्क के बीच की दूरी को सही करके मांसपेशियों को सामान्य कर देती है।
वरिष्ठ न्यूरो विशेषज्ञों की सलाह से डॉ. गोचर ने तीन वर्ष पूर्व अत्याधुनिक मशीन से कम्प्यूटराइज्ड थेरेपी शुरू की थी। वे कमर दर्द (लम्बार) रोगियों को 3150 तथा सर्वाइकल रोगियों को 1165 बार थेरेपी देकर स्वस्थ कर चुके हैं। अमेरिका में ऐसे रोगियों को तीन माह नियमित थेरेपी दी जाती है जबकि कोटा में एक से डेढ़ माह में गंभीर रोगियों को राहत मिल रही है।
दवा बेअसर, थेरेपी हुई कारगर
महावीर नगर विस्तार योजना निवासी सरकारी टीचर वर्षा नामा (33) पिछले डेढ़ वर्ष से पीठ व पैरों में तेज दर्द से परेशान थी। उन्होंने तीन चिकित्सकों से उपचार लिया लेकिन राहत नहीं मिली। ढाई माह पूर्व न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.भारतभूषण ने जांच के बाद एडवांस फिजियोथेरेपी की सलाह दी। लिगामेंट प्रॉब्लम होने सेइस मशीन से थेरेपी ली, जिससे 15 दिन में ही 70-80 प्रतिशत आराम मिल गया। दूसरे चरण में वे पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं। उनकी सारी दवाइयां भी बंद हो गई हैं।
छीपाबडौद की धापूबाई (65) डेढ़ साल से कमर के निचले हिस्से में दर्द से कराह उठती थी। बेटा डॉ. राकेश रेजीडेंट चिकित्सक होने से एमबीएस अस्पताल से इलाज लिया लेकिन कोई राहत नहीं मिली। उनका चलना-फिरना बंद हो गया था। पैरों में कंपन्न होने लगा था। उन्होंने रन अगेन पर एडवांस फिजियो थेरेपी ली, जिससे मात्र दो हफ्ते में 70 प्रतिशत आराम मिल गया। एक माह थेरेपी लेने पर उन्हें 99 प्रतिशत आराम मिलने की उम्मीद है।

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