न्यूजवेव, नईदिल्ली।
मोतियाबिंद रोगियों के लिए अच्छी खबर। जब हमारे आँखों की पुतली पर एक उजला बादल जैसा परत आने लगे तो समझ लें कि मोतियाबिंद यानी केटरेक्ट ने दस्तक दी है। मोतियाबिंद से लोगों की दृष्टि कमजोर हो जाती है। यह समस्या 40 या उससे अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। मोतियाबिंद का समय पर इलाज नहीं किया जाए तो स्थिति अंधेपन तक पहुंच सकती है।
यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज अब तक सिर्फ केटेरेक्ट सर्जरी के जरिए होता है, लेकिन हैसलैब होम्योपैथिक मेडिसिन ने इस बीमारी के लिए एक सटीक एवं बेहतरीन समाधान निकला है।
इस होम्योपैथिक दवा का नाम एससीएम सिनेरिया मारिटिमा आइड्रॉप है। यह आइड्रॉप जो लेंस में दोषपूर्ण प्रोटीन को भंग कर प्रकाश को इधर-उधर होने से रोकता है, जो मोतियाबिंद निरोधक है।
नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, रोगी इस आइड्रॉप को दोनों आंखों में एक दिन में 2 या 3 बार 1-2 बंूद डालकर इसका प्रभाव महसूस कर सकते हैं। कई मोतियाबिंद रोगी इस आइड्रॉप हैसलैब एससीएम सिनेरिया मारिटिमा इस्तेमाल कर अपनी आंखों की रोशनी सही करने में सफल रहे।
दवा की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सर्जरी के बिना मोतियाबिंद से छुटकारा दिला देती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। मोतियाबिंद से दुनिया भर में लगभग 17 मिलियन लोग ग्रसित हैं। कई विकासशील देशों में, आई सर्जरी के लिए सभी नागरिकों के पास इतना पैसा नहीं होता है। ऐसे रोगियों के लिए हैसलैब-एससीएम सिनेरिया मारिटिमा आइड्रॉप बहुत मददगार है।
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