नवाचार: ‘होम्योपैथ वाइल्ड फायर’ सॉफ्टवेयर से शहर के होम्योपैथिक डॉक्टर कर रहे हैं गंभीर रोगों का जल्द इलाज।
कोटा। यदि रोगी के पैरों में दर्द हो और डॉक्टर उसके स्वभाव और आंखों में तैरने वाले सपनों के बारे में जानकारी ले तो अटपटा सा लगता है। इतना ही नहीं, इन लक्षणों के आधार पर रोगी को दवा दी जाए और वह स्वस्थ हो जाए तो अचरज होना स्वाभाविक है। क्लासिकल होम्योपैथी के चिकित्सक इसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। आंखों में 7.5 नंबर का चश्मा हो, माइग्रेन, डायबिटीज, थायराइड, त्वचा रोग आदि के लिए क्लासिकल होम्योपैथी सॉफ्टवेयर में रोगी के लक्षण फीड करने पर असरकारी दवा का पता लग जाता है।
कोटा में होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ.उदयमणि कौशिक 14 वर्षों से 41 हजार से अधिक रोगियों को क्लासिकल होम्योपैथी तकनीक से ठीक कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ‘होमपैथ वाइल्ड फायर ’ नामक महंगे सॉफ्टवेयर द्वारा डॉक्टर 4 दिन का काम मात्र 4 सेकंड में कर सकते हैं। होम्योपैथी में रोगी के मानसिक लक्षणों के आधार पर 7 हजार दवाओं में से किसी एक प्रभावी दवा पर पहंुचना आसान नहीं होता लेकिन कम्प्यूटर की मदद से 39 तरह की होम्यो रिपट्रीज (दवा चुनने की किताब) में से किसी एक को चुनकर सटीक उपचार कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर में होम्यो के 8 तरह के एक्सपर्ट सिस्टम भी हैं, जिनसे सही दवा चुनने में मदद मिलती है। इसमें 1988 से अब तक मेडिकल जर्नल सहित ऑनलाइन लाइब्रेरी है, जिसमें 3 लाख पेज का विवरण है।
इंटरनेट पर निशुल्क होम्योपैथिक इलाज
इंटरनेट पर एक वेबसाइट ‘उत्कर्ष होम्योपैथी डॉट कॉम’ खोलकर अपना विवरण और बीमारी के लक्षण बताइए और निशुल्क ऑनलाइन होम्योपैथिक परामर्श ले सकते हैं। डॉ.कौशिक 2007 से ‘वर्ल्ड क्लासिकल होम्योपैथी एकेडमी’, जर्मनी के पैनल सदस्य है। जिसमें दुनियाभर से 138 चिकित्सक पैनल सदस्य हैं। डॉ. कौशिक ने इंटरनेट पर अमेरिका के सिएटल, हृयूस्टन सिटी, वाशिंगटन डीसी, कनाडा और दुबई के 85 से अधिक मरीजों के गंभीर रोगों का ऑनलाइन उपचार किया है। इसमें थायराइड, डायबिटीज, लकवा, ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग),नेत्र रोग, एलर्जी, बच्चों के रोग, माइग्रेन, शीजोफ्रेेनिया, गंजापन, सोरायसिस, एग्जिमा, डिप्रेशन और याददाश्त में कमी आदि रोगों में प्रभावी उपचार मिला है। खास बात यह कि इससे कोई साइड इपफेक्ट नहीं होते हैं।
रोग से मन पर क्या प्रभाव
होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज,जयपुर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. राजीव खन्ना के अनुसार, इस प्रमाणिक क्लासिकल पद्धति में मरीज के विचारों व लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है। रोगी के व्यवहार, मनोभाव और दिनचर्या से मर्ज की जड़ तक पहुंचने में मदद मिलती है। यह पता लगाते हैं कि रोग से मरीज पर और उसकेे मन पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्लासिकल चिकित्सकों का दावा है कि यह सबसे तेज गति से रोग पर असरकारी है। इसमें एक बंूद दवा जीभ (संवेदाग्राही) पर डालते ही तंत्रिका तंत्र के जरिए वह प्रभावी हो जाती है। इसके पेशेन्ट मैनेजमेंट सिस्टम में रोगी के मन, विचार, स्वभाव और नेचर का पूरा रिकार्ड सुरक्षित रखा जाता है।
‘मछली मानव’ का भी इलाज
कश्मीर के पुलगांव में रहने वाले 11 वर्ष के एक बच्चे को ‘इक्थियोसिस’ नामक गंभीर बीमारी हो गई, जिसमें त्वचा पर मछली नुमा स्केल हो जाते हैं। इसलिए ऐसे रोगी को ‘मछली मानव’ कहा जाता है। इस रोगी की त्वचा 70 प्रतिशत प्रभावित थी। जेनेटिक डिसआर्डर होने से एलोपैथी में इसका इलाज नहीं हो सका था। उसने कोटा से क्लासिकल होम्योपैथी इलाज लिया और 8 माह में पूरी तरह स्वस्थ हो गया।