Wednesday, 6 November, 2024

मोबाइल पर मिल रही हैल्थ कुंडली, इलाज हुआ आसान

डिजिटल हेल्थकेअर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2022 तक देश के नवनिर्माण में युवाओं को जोड़ने के लिए कई नए कदम उठा रहे हैं। इसके लिए सरकार डिग्री से ज्यादा स्किल को अहमियत दे रही है। न्यू इंडिया मिशन से प्रभावित होकर आईआईटी एवं एनआईटी से निकले हजारों बीटेक ग्रेजुएट्स जॉब छोड़कर स्टार्टअप खोज रहे हैं। राज्य के दो आईटी विशेषज्ञ श्रेयांश मेहता एवं निखिल बाहेती ने व्यापक सर्वे एवं रिसर्च कर हेल्थकेअर को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए डिजिटल मेडकॉर्ड्स सुविधा प्रारंभ की। राज्य सरकार ई-मित्र केंद्रों के जरिए इसे पूरे राज्य में लागू करने जा रही है। इससे डॉक्टर्स के पर्चे व जांच रिपोर्ट का डाटाबेस रोगी के मोबाइल पर आजीवन सुरक्षित रहेगा।

राज्य में मेडकॉर्ड्स एक नजर में 
1.30 लाख से अधिक रोगी जुडे़
1100 से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुविधा
580 ग्रामीण क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर पर भी यह सुविधा
52,700 ई-मित्र केंद्रों पर जल्द मेडकॉर्ड्स पंजीयन सुविधा मिलेगी।
54.56 प्रतिशत पुरूष रोगियों के रिकॉर्ड डिजिटल
45.44 प्रतिशत महिलाओं ने कराया निःशुल्क पंजीयन

आयुवर्ग डिजिटल रोगी (प्रतिशत)
1-7 वर्ष 8.2
14-18 वर्ष 10.9
18-50 वर्ष 14.6
50 वर्ष से अधिक 56.8

अरविंद, कोटा । देश के 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में बेसिक हेल्थकेअर सुविधाओं तथा मरीजों के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए युवा आईटी विशेषज्ञों ने ‘मेडकॉर्ड्स ’ हेल्थकेअर तकनीक विकसित की। मेडकॉर्ड्स में पंजीयन के बाद मोबाइल पर कोड नंबर डालते ही रोगी की हिस्ट्री डॉक्टर के सामने होती है। अब तक राज्य में 1 लाख 30 हजार रोगी इसका लाभ ले रहे हैं, जिसमें 1100 से अधिक गांवों के ग्रामीण रोगी शामिल हैं। इसकी उपयोगिता को देखते हुए राज्य सरकार जल्द ही राज्य के समस्त 52,700 ई-मित्र केंद्रों पर यह सुविधा प्रारंभ करने जा रही हैं ताकि शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के रोगियों को बीमारियों में समय पर सस्ता व सुलभ उपचार मिल सके।

देश की यह पहली हेल्थकेअर डिवाइस है जो मरीज, डॉक्टर, लैबोरेट्री तथा केमिस्ट के बीच सेतु का काम कर रही है। अमेरिका के न्यू अरर्लिंयंस में हुई ‘फास्टेस्ट ग्रोइंग टीच कॉन्फ्रेंस’ में दवाओं के प्रेस्क्रिप्शन तथा रिकॉर्ड रखने के लिए मेडकॉर्डस को दुनिया के टॉप-10 स्टार्टअप में शामिल किया। इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में दुनिया के 1 लाख से अधिक स्टार्टअप के आवेदन मिले। मेडकॉर्ड्स को ग्रोथ पोटेंशियल, सोसायटी व मार्केट पर असर, प्रॉडक्ट क्वालिटी एवं टीम जैसे मापदंडों के आधार पर चुना गया। यूएसए की क्रिस सागा तथा एंट्री केपिटल जैसी प्रमुख कंपनियों ने इसमें निवेश करने में रूचि दिखाई।
मेडकॉर्ड्स की निःशुल्क सुविधा राज्य में सर्वप्रथम कोटा के तीन सरकारी अस्पतालों के डिजिटलीकरण से प्रारंभ हुई। बाद में इसे एमबीएस हॉस्पिटल, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, झालावाड़ मेडिकल कॉलेज सहित ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों से भी प्रारंभ किया गया। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विश्वास दिलाया कि मेडकॉर्ड्स सुविधा लागू कर राज्य में सभी सरकारी अस्पतालों को डिजिटलीकरण किया जाएगा ताकि प्रत्येक मरीज के रिकार्ड सुरक्षित रह सकें और उन्हें समय पर सही इलाज मिल सके।
राज्य में मौसमी बुखार सबसे ज्यादा
डिजिटल रिकॉर्ड पर हुए एक सर्वे के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में त्वचा रोग, बुखार व एनीमिया के रोगी सर्वाधिक आते हैं। 7 से 14 वर्ष की उम्र में 15 फीसदी रोगी त्वचा रोग, 14.37 प्रतिशत बुखार से तथा 6 प्रतिशत एनीमिया से ग्रसित पाए गए। 14 से 18 आयुवर्ग में 16.46 प्रतिशत मौसमी बुखार, 9-9 प्रतिशत बुखार व एनीमिया से पीडि़त पाए गए। 18 से 50 वर्ष की महिलाओं में गायनिक समस्याएं सबसे ज्यादा रहीं। राज्य के कुछ हिस्सों में डेंगू, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, स्क्रब टाइफस व मलेरिया जैसे मौसमी बुखार का प्रकोप होने से समय पर सही उपचार मिलने से कई जानें बचाई जा सकती है।
हेल्थकेअर में बढे़गी अवेयरनेस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘न्यू इंडिया-2022’ के तहत देश के युवाओं को आव्हान किया था कि वे अपने नॉलेज व तकनीक से ऐसे प्रोजेक्ट तैयार करें, जिससे हम विदेशी तकनीक पर निर्भर न रहें। साइंस एंड टेक्नोलॉजी में रिसर्च कर रहे देश के युवा विभिन्न क्षेत्रों में मॉडर्न व स्मार्ट तकनीक विकसित कर रहे हैं। मेडकॉर्ड्स टीम ने बताया कि अभी राज्य के 580 मेडिकल स्टोर्स को इससे जोड़ा गया है। निकट भविष्य में देश के 10 लाख मेडिकल स्टोर्स को इस सुविधा से जोड़ा जाएगा। इससे उन्हें किस क्षेत्र में कब तथा कौनसी बीमारी के रोगी ज्यादा होते हैं, इसका पूर्वानुमान लगाकर दवाइयां उपलब्ध करा सकते हैं। अगले 5 वर्षों में विभिन्न राज्यों के सरकारी अस्पतालों में 5 करोड़ से अघिक मरीजों को इस डिजिटल सुविधा से जोड़ने की योजना है।
इसलिए हो रहा था इलाज महंगा

सीईओ श्रेयांस मेहता व निखिल बाहेती के अनुसार, अब तक देश के सरकारी अस्पतालों में हेल्थकेअर मैनेजमेंट सहीं नहीं होने से गरीब व अनपढ़ रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कभी डॉक्टर का पर्चा (प्रेस्क्रिप्शन) अथवा जांच रिपोर्ट (डायग्नोसिस) गुम हो जाने पर उन्हें दोबारा महंगी जांच करवानी पड़ती थी। रोगी का डाटाबेस सुरक्षित नहीं होने से प्राइवेट डॉक्टर को बार-बार फीस देना, दोबारा जांच व दवाइयों का खर्च कई गुना ज्यादा बढ़ गया था। मेडकॉर्ड्स डिवाइस से अब डॉक्टर, लैबोरेट्री व फार्मासिस्ट के पास रोगी का रिकार्ड आपस में शेअर हो सकेगा, जिससे ट्रीटमेंट खर्च में अप्रत्याशित कमी आएगी।
बचाई जा सकती है अकाल मौतें
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 7.6 प्रतिशत है। लेकिन दो तिहाई ग्रामीण आबादी को समय पर हेल्थकेअर सुविघाएं नहीं मिलने से मृत्यु दर 4.1 प्रतिशत तक पहंुच गई है। 80 प्रतिशत ग्रामीण जनता में आधे लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन बिताते हैं। मेडिकल साइंस में रिसर्च के बावजूद देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जांच सुविधाएं बेहतर नहीं होने तथा डाटाबेस उपलब्घ नहीं रहने से प्रतिवर्ष हजारों मरीज मलेरिया, वाइरल, डेंगू, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, चिकनगुनिया जैसी संक्रामक तथा टीबी, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। मेडिकल डाटाबेस सुरक्षित रहने से प्रभावित क्षेत्रों में समय पर प्रभावी इलाज मिल सकेगा। विभागों को मौसमी बीमारियों का डाटाबेस मिल जाने से संबंधित प्रभावित क्षेत्रों में वायरस फैलने पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
ऐसे तैयार करें मेडिकल प्रोफाइल
सरकारी अस्पताल में रोगी को एक बार मेडकॉर्ड्स पर लॉगइन करना है। जिसमें नाम, मोबाइल नंबर व क्षेत्र भरते ही वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मोबाइल पर आएगा, उसे भरते ही रोगी का अकाउंट खुल जाएगा। वह अपने सारे मेडिकल रिकॉर्ड अपलोड कर सकता है। इससे भविष्य के लिए मरीज की मेडिकल प्रोफाइल बन जाएगी। जिसे देश-विदेश के विशेषज्ञों से परामर्श मिल सकेगा। उनमें बीमारी के समय डॉक्टर का पर्चा या जांच रिपोर्ट गुम होने का भय खत्म हो जाएगा। रोगी हेल्पलाइन नंबर 7816811111 पर अन्य जानकारी ले सकते हैं।

इनोवेशन से नई कंपनियों का सृजन

नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार, देश के 9 राज्यों में युवाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में 2030 नए स्टार्टअप के पंजीयन करवाए। इनमें दिल्ली में 318, हरियाणा में 97, उप्र में 119, गुजरात में 118, महाराष्ट्र में 407, तेलंगाना में 92, तमिलनाडु में 143, कर्नाटक में 312 तथा केरल में 85 स्टार्टअप प्रारंभ हुए। केंद्र सरकार द्वारा स्टार्टअप के लिए करों में 50 प्रतिशत तक छूट तथा वित सहायता मुहैया कराने से इस ओर रूझान बढ़ा। केद्रीय मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017-18 में नवाचार के लिए 1800 करोड़ की मदद दी जाएगी। सरकार की प्रोत्साहन योजना के अनुसार, 2025 तक 10 हजार करोड़ की सहायता दी जाएगी। जिससे प्रतिवर्ष 1100 करोड़ की राशि आंत्रप्रिन्योर के क्षेत्र में दी जाएगी।

पिछले 2 माह में आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम व अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों से प्रशिक्षित युवाओं ने विभिन्न राज्यों में 1000 से अधिक स्टार्टअप चालू किए। ग्लोबल औंत्रप्रिन्योरशिप एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार औंत्रप्रिन्योरशिप इंडेक्स,2017 में अमेरिका रैंकिंग में सबसे आगे हैं, उसके बाद स्विटजरलैंड, कनाडा, स्वीडन, डेनमार्क व आइसलैंड जैसे देश अग्रणी हैं। भारत इस वर्ष इंडेक्स में 69 स्थान पर है।

बीमारियों के विश्लेषण में मिलेगी मदद 
– देश के शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थकेअर सुविधाएं सस्ती होंगी।
– इससे दवाओं की खपत एवं मांग पैटर्न का आकलन कर सकेंगे।
– सभी डेमोग्राफिक्स में बीमारियों की मॉनिटरिंग हो सकेगी।
– बीमारियों के विश्लेषण एवं मॉनिटरिंग के लिए डाटाबेस मिलेगा।
– डॉक्टर्स, लैबोरेट्री व केमिस्ट को रोगी का रिकॉर्ड तुरंत मिल जाएगा।

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