Saturday, 20 April, 2024

जलवायु परिवर्तन पर ‘रेड कोड अलर्ट’

संयुक्त राष्ट्र संघ ने जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट से चेताया
न्यूजवेव@ नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त को जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की ताजा रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट पृथ्वी पर संभावित खतरे को आगाह करती है। जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम से धरती पर जीवन संभालने वाले पारिस्थितिक तंत्र में आमूलचूल बदलाव होने की आशंका जताई गई है। दूसरें शब्दों में, इस रिपोर्ट को मानवता के लिए रेड कोड अलर्ट का नाम दिया जा रहा है। रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि मानव ने अपनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया तो आने वाले समय में उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, ‘दुनिया में वातावरण लगातार गर्म हो रहा है। तय है कि हालात और खराब होने वाले हैं। भागने या छिपने के लिए भी जगह नहीं बचेंगी।‘ इस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए ही शीर्ष वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवता के लिए रेड कोड अलर्ट कहा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के लिए सीधे तौर पर मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार बताया गया है।
करीब 3000 पेज की IPCC रिपोर्ट को दुनिया के 234 वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। ताजा रिपोर्ट में पांच संभावित परिदृश्य पर विचार किया गया है। राहत की बात सिर्फ इतनी है कि इसमें व्यक्त सबसे खराब परिदृश्य के आकार लेने की आशंका बेहद न्यून बताई गई है। इसका आधार विभिन्न सरकारों द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए किए जा रहे प्रयासों को बताया गया है, लेकिन पृथ्वी के तापमान में जिस रफ्तार से बढ़ोतरी होती दिख रही है, उसे देखते हुए ये प्रयास भी अपर्याप्त माने जा रहे हैं। फिर भी इनके दम पर सबसे खराब परिदृश्य के घटित होने की आशंका कम बताई गई है।
औसत तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस बढेगा़


रिपोर्ट के अनुसार सबसे बुरा परिदृश्य यही हो सकता कि यदि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाते हैं तो इस सदी के अंत तक पृथ्वी का औसत तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। जानकार ऐसी बढ़ोतरी को प्रलयंकारी मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते में विभिन्न अंशभागियों ने इस पर सहमति जताई थी कि 21वीं सदी के अंत तक पृथ्वी का अधिकतम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देना है। अमेरिका जैसे देशकी पेरिस समझौते पर असहमति से यह लक्ष्य भी अधर में पड़ता दिख रहा है। इस सदी के समापन में अभी काफी समय है और पृथ्वी का तापमान पहले ही 1.1 प्रतिशत बढ़ चुका है। स्पष्ट है कि इस सदी के अंत तक पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी लक्षित सीमा से आगे निकल जाएगी। IPCC की रिपोर्ट के सभी अनुमान इस रुझान की पुष्टि भी करते हैं।
इस रिपोर्ट की सह-अध्यक्ष और फ्रांस की प्रतिष्ठित जलवायु वैज्ञानिक वेलेरी मेसन डेमॉट का कहना है कि अगले कुछ दशकों के दौरान हमें गर्म जलवायु के लिए तैयार रहना होगा। उनका यह भी मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाकर हम स्थिति से कुछ हद तक बच भी सकते हैं। रिपोर्ट में बढ़ते तापमान के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया गया है। बताया गया है कि इनके उत्सर्जन के प्राकृतिक माध्यम औसत तापमान में 10वें या 20वें हिस्से के बराबर वृद्धि की कारण बन सकते हैं।

 गर्म हवाओं के थपेड़े आने लगे


आईपीसीसी की रिपोर्ट कई और खतरनाक रुझानों की ओर संकेत करती है। विश्व में पहले जो हीट वेव्स यानी गर्म हवाओं के थपेड़े आधी सदी यानी पचास वर्षों में आते थे वे अब मात्र एक दशक के अंतराल पर आने लगे हैं। इससे विषम मौसमी परिघटनाएं जन्म लेती हैं। भारत के संदर्भ में भी रिपोर्ट कहती है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म हवाएं, चक्रवात, अतिवृष्ट और बाढ़ जैसी समस्याएं 21वीं सदी में बेहद आम हो जाएंगी। महासागरों में विशेषकर हिंद महासागर सबसे तेजी से गर्म हो रहा है। इसके भारत के लिए गहरे निहितार्थ होंगे। इस पर अपनीप्रतिक्रया व्यक्त करते हुए केंद्रीय वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि यह रिपोर्ट विकसित देशों के लिए स्पष्ट रूप से संकेत है कि वे अपने द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों को और गति दें।(इंडिया साइंस वायर)

(Visited 226 times, 1 visits today)

Check Also

सबके राम: मुस्लिम भी कर रहे हैं उत्सव की तैयारी

राम मंदिर : 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा न्यूजवेव @जयपुर राममंदिर में प्राण …

error: Content is protected !!