Thursday, 12 December, 2024

हड़प्पा के लोगों को हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग में थी महारत

डॉ. वैशाली लावेकर

पुणे

भारतीय शोधकर्ताओं ने हड़प्पा सभ्यता से जुड़े प्रमुख स्थल धोलावीरा में रडार तकनीक से जमीन के नीचे छिपी कई पुरातात्विक विशेषताओं का पता लगाया है, जो यह संकेत करती हैं कि हड़प्पा के लोगों को हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग में महारत हासिल थी।

गांधीनगर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ताधोलावीरा के 12,276 वर्ग मीटर क्षेत्र का ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक की मदद से सर्वेक्षण करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। जीपीआर तकनीक की मदद से किसी भूक्षेत्र में जमीन की स्कैनिंग करके उसके भीतर दबी हुई चीजों का पता लगाया जा सकता है।

अध्ययन टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ अमित प्रशांत के अनुसार “धोलावीरा में दबेपुरातात्विक ढांचे शायद पत्थर और ईंटों से बने हुए हैं, यही वजह है कि वस्तुओं और माध्यम के बीच बेहद कम अंतर पता चल पाता है। हमारे द्वारा विकसित विशेष प्रसंस्करण टूल का उपयोग करके अध्ययन के दौरान बेहद कमजोर रडार संकेतों का विश्लेषण किया गया है। यह टूल रडार संकेतों को मैग्नीफाई करके ऑब्जेक्ट्स का आसानी से पता लगा सकता है।

सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों से छोटे-छोटे उथले जलाशयों के समूह का पता चला है। माना जा रहा है कि ये जलाशय पहले से ज्ञात पूर्वी जलाशयों से जुड़े रहे होंगे।वर्तमान जमीनी स्तर से इन जलाशयों की गहराई लगभग 2.5 मीटर नीचे है।इसके अलावा, कई संरचनाएं कुछ विशेषताओं के साथ मलबे में पायी गई हैं। इन निष्कर्षों के आधार पर पूर्व में इस क्षेत्र में चेक डैमके संभावित अस्तित्व का अनुमान लगाया जा रहाहै, जो मनहर नदी में बाढ़ के कारण नष्ट हो गए होंगे। अध्ययन में शामिल क्षेत्र पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली मनहर नदी से घिरा हुआ है।

शोधकर्ताओं के अनुसार यह पूरी साइट पश्चिम की ओर हल्की ढलान युक्त है, जिससे बाढ़ के दौरान पानी का अति-प्रवाह इस क्षेत्र की ओर रहा होगा, जिसने वहां मौजूद संरचनाओं को नुकसान पहुंचाया होगा।   अध्ययनकर्ताओं का कहना यह भी है कि “पूर्व के विशाल जलाशयों और खुदाई के दौरान मिले जलाशयों की श्रृंखला से पता चलता है कि हड़प्पा के लोगों में जल संचयन प्रणाली की बेहतर समझ रही होगी। इस अध्ययन क्षेत्र में भी इसी तरह के जलाशयों, बांध, चेक-डैम, चैनल्स, नाले और वाटर टैंक होने की संभावना है। इसके अलावा, जीपीआर आंकड़ों में छोटी आवासीय संरचनाओं के विपरीत बड़े आकार के जलाशय जैसी संरचनाओं के होने का अनुमान लगाया गया है।”

वर्तमान अध्ययन से स्पष्ट प्रमाण मिले हैं कि हड़प्पा के लोगों के पास हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट ज्ञान था। बाढ़ के दौरान पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए चेक डैम बनाए गए थे, जबकि छोटे जलाशय पूर्व के जलाशयोंको सुरक्षित रखते थे। इस अध्ययन से पता चलता है कि चेक डैम और छोटे जलाशयों में बाढ़ की स्थिति में समय के साथ थोड़ी-बहुत टूट-फूट हुई होगी, लेकिन चरम स्थितियों के बावजूद ज्यादातर जलाशय अभी भी सुरक्षित हैं। इसी से हड़प्पा के लोगों में हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग का बेहतर ज्ञान होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।

धोलावीरा भारत में हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े और सबसे प्रमुख पुरातात्विक स्थलों में से एक है, जो गुजरात के कच्छ जिले की भचाऊ तालुका के खदिरबेट में स्थित है। यह स्थल कच्छ के रण में स्थित नमक के विशाल मैदानों से घिरा है और इसमें प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के खंडहर भी शामिल हैं। यह शहर लगभग 3000 से 1700 बीसीई तक था, जो लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था, जिसमें से 48 हेक्टेयर क्षेत्र की किलेबंदी की गई थी। शहर के अंदर कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी छानबीन नहीं की गई है, माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में इस प्राचीन शहर के खंडहर हो सकते हैं। रडार से प्राप्त आंकड़े पुरातत्विदों को भविष्य में खुदाई से पहले बेहतर कार्ययोजना बनाने में मददगार हो सकते हैं, जिससे जमीन के नीचे दबी संरचनाओं को नुकसान न पहुंचे। अध्ययनकर्ताओं की टीम सिल्की अग्रवाल, मंटू मजूमदार, रविंद्र सिंह बिष्ट और अमित प्रशांत शामिल थे।(इंडिया साइंस वायर)

(Visited 189 times, 1 visits today)

Check Also

कोटा-बून्दी से जल्द शुरू होगी हवाईसेवा

कोटा ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट : राज्य सरकार व एयरपोर्ट अथॉरिटी के बीच MoU से खत्म …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!