न्यूजवेव,नई दिल्ली
मोदी सरकार पेंशनधारकों को बड़ी खुशखबरी दे सकती है. सरकार जल्द ही एम्प्लॉई पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाली न्यूनतम राशि को दोगुना कर सकती है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के तहत ईपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए मासिक पेंशन को दोगुना करके 2,000 रुपए की जा सकती है. इससे करीब 40 लाख सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा और सरकार पर सालाना 3000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा. आपको बता दें इस पर अंतिम फैसला अगले साल होने वाले चुनाव से पहले लिया जा सकता है.
सरकार का बोझ भी होगा दोगुना
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, सरकार पेंशन को दोगुना करने की प्लानिंग कर रही है. जल्द ही यह खुशखबरी मिल सकती है. कैबिनेट ने 2014 में एक साल के लिए 1,000 रुपए मासिक की न्यूनतम पेंशन को मंजूरी दी थी और 2015 में इसे अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया था. न्यूनतम पेंशन के लिए सरकार सालाना 813 करोड़ रुपए का योगदान देती है. अगर इसका फायदा अभी 2,000 रुपए मंथली से कम पेंशन पाने वाले सभी लोगों को दिया गया तो सरकार का बोझ भी बढ़कर दोगुने से अधिक हो सकता है.
ईपीएफओ कर रहा है योजना पर काम
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ से इस योजना के वित्तीय पहलुओं पर काम करने को कहा है. उसने ईपीएफओ से यह भी पूछा है कि अगर एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (ईपीएस), 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपए से बढ़ाकर 2,000 रुपये मंथली किया जाता है तो ऐसे सब्सक्राइबर्स की संख्या कितनी रहेगी.
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सामने रखा जाएगा प्रस्ताव
ईपीएफओ के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘ईपीएफओ जल्द ही ये जानकारियां दे सकता है. इसके बाद सरकार ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सामने न्यूनतम पेंशन को दोगुना करने का प्रस्ताव पेश करेगा.’
9000 करोड़ का भुगतान करती है सरकार
ईपीएफ-95 स्कीम के तहत अभी 60 लाख पेंशनर्स हैं. इनमें से 40 लाख को 1,500 रुपए मंथली से कम पेंशन मिल रही है. इनमें से 18 लाख को न्यूनतम 1,000 रुपए की पेंशन योजना का फायदा मिल रहा है. सरकार के पास 3 लाख करोड़ का पेंशन फंड है और ईपीएस के तहत वह सालाना 9,000 करोड़ रुपए का भुगतान करती है.
मासिक पेंशन बढ़ाने का दबाव
सरकार पर ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति की तरफ से मासिक पेंशन को बढ़ाकर 3,000 से 7,500 रुपए करने का दबाव है. हाल ही में संसदीय समिति ने भी सरकार से ईपीएस-95 स्कीम की समीक्षा करने को कहा था. समिति ने कहा था कि केंद्र को 1,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन पर विचार करना चाहिए. श्रम पर संसद की स्थाई समिति की 34वीं रिपोर्ट सदन में पेश की गई थी. समिति का मानना है कि 1000 रुपए की पेंशन बहुत कम है और इससे पेंशनर्स की हर महीने की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं होती हैं.