नवनीत कुमार गुप्ता
न्यूजवेव @नईदिल्ली
दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्रांति को देखते हुए भारत ने इसमें रिसर्च शुरू कर दिए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग मेडिकल, एग्रीकल्चर, परिवहन, दैनिक जीवन में उपयोगी क्षेत्रों सहित साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च में महत्वपूर्ण साबित होगा।
भारत की उदीयमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लैंग्वेज (एमएल) को बढ़ावा देने के उद्देश्य् से नीति आयोग और गूगल कई पहलुओं पर एक साथ काम करेगा, जिससे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी।
इसके लिए नीति आयोग की सलाहकार सुश्री अन्ना रॉय और गूगल के भारत व साउथ इस्ट एशिया के उपाध्यक्ष श्री राजन आनंदन ने एक एमओयू पर हस्तारक्षर किये। इस मौके पर नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत भी मौजूद रहे।
नीति आयोग को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नोलॉजी विकसित करने और रिसर्च के लिए नेशनल प्रोग्राम तैयार करने की जिम्मेगदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी पर नीति आयोग राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स पोर्टल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर नेशनल वर्क पॉलिसी विकसित कर रहा है, ताकि एआई पर व्यापक रूप से अमल किया जा सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढेंगे नवाचार
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देश में व्यवसाय करने के तरीके को बदलने जा रही है। विशेष रूप से देश की सामाजिक और समावेशी भलाई के लिए नवाचारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाएगा।
मेडिकल केअरिंग के क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने, शिक्षा में सुधार लाने, हमारे नागरिकों के लिए बेहतर शासन प्रणाली विकसित करने और देश की समग्र इकोनॉमिक प्राडक्टिविटी में सुधार के लिए देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लैंग्वेज (एमएल) जैसी भविष्य की टेक्नोलॉजी को स्वीकार कर रहा है।
गूगल के साथ नीति आयोग की साझेदारी से कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू होगे, स्टार्टअप को समर्थन मिलेगा और पीएचडी स्कॉलरशिप के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।
एआई तकनीक से मस्तिष्क की बीमारियों का इलाज संभव
आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा ड्राइवर रहित वाहनों के संचालन सहित अनेक ऐसे काम होंगे जो अभी असंभव लगते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा कई रोगों का इलाज किया जा सकेगा। हरियाणा के मानेसर स्थित राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों की विभिन्न प्रवृत्तियों का पता लगाने के लिए रोगियों की मस्तिष्क को स्कैन करने की परियोजना पर कार्य कर रहे हैं। इस तरह भविष्य में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मस्तिष्क की सभी तस्वीरों का डेटाबेस होगा, ताकि उनमें होने वाले किसी भी परिवर्तन की जानकारी मिल सके। इससे शरीर में होनेवाले रासायनिक परिवर्तनों के विषय में जानकारी प्राप्त हो सकेगी।