Thursday, 12 December, 2024

कोटा स्टोन की स्लरी अब सोना उगलेगी

स्टार्टअप: आईआईटी, रूडकी में सीबीआरआई ने किया रिसर्च, कोटा स्टोेन स्लरी से बनेंगे पेवर ब्लॉक, इंटरलॉक, टाइल्स एवं सीएलसी ब्लॉक 

न्यूजवेव कोटा

कोटा स्टोन की स्लरी अब टाइल्स, इंटरलॉक, पेवर ब्लॉक व सीएलसी ब्लॉक जैसे सह-उत्पाद के रूप में सोना उगलेगी। स्वच्छ भारत अभियान के तहत कोटा के इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया में कोटा स्टोन स्लरी (मलबा) से बिल्डिंग मैटेरियल बनाने के लिए पहले स्टार्टअप की शुरूआत हुई। रीको द्वारा इस प्लांट के लिए पाषाण वेलफेयर फाउंडेशन को डम्पिंग यार्ड के पास 15 हजार मीटर भूमि निःशुल्क आंवटित की गई।

जिला कलक्टर गौरव गोयल ने शनिवार को प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी में स्लरी का प्रभावी निस्तारण होने से भविष्य में पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी एवं इसका दूरगामी उपयोग संभव हो सकेगा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि कोटा स्टोन स्लरी प्लांट को स्टार्टअप पॉलिसी के तहत प्रारंभ किया गया, जिसमें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा सहायता दी जाएगी।

खनिज विभाग के अनुसार, कोटा व झालावाड़ जिले में 2500 से अधिक स्टोन प्रोसेसिंग इकाइयां है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अनुसार, कोटा के आसपास 250 प्रोसेसिंग यूनिटों से करीब 250 टन स्लरी रोज निकलती है, जिसे डम्पिंग यार्ड में इकट्ठा किया जा रहा है।

कोटा स्टोन को प्रोसेसिंग इकाइयों में पॉलिशिंग कर इसे विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है लेकिन कोटा संभाग में सर्वाधिक खनन होने से इसकी स्लरी के बढ़ते ढेर पर्यावरण के लिए चुनौती बन गए थे। स्लरी का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण नहीं होने से इसको मलबे के रूप में इकट्ठा किया जा रहा था।

सीबीआरआई रिसर्च से निकले प्रॉडक्ट
आईआईटी, रूड़़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने कोटा स्टोन स्लरी के उपयोग पर निरंतर अनुसंधान कर इसके मिश्रण से टाइल्स, पेवर ब्लॉक, इंटरलॉक एवं सीएलसी ब्लॉक बनानें में सफलता पाई। राज्य सरकार एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस प्लांट व मशीनरी के लिए 80 लाख रूपए का अनुदान देने की घोषणा की है। जिसके पहले चरण में 13.80 लाख रू (30 प्रतिशत) अनुदान राशि दी गई है।

पाषाण वेलफेयर कंपनी चलाएगी प्लांट


हाड़ौती के कोटा स्टोन उद्यमियों ने मिलकर ‘पाषाण वेलफेयर फाउंडेशन’ के रूप में कंपनी की गठन किया। निदेशक मुकेश त्यागी एवं दिनेश भारद्वाज ने बताया कि इसमें 11 निदेशक, 50 अंशधारक एवं राज्य सरकार के 2 प्रतिनिधी होंगे। इसमें स्लरी से पेवर ब्लॉक, इंटरलॉक, फ्लोर व वॉल टाइल्स जैसे प्रॉडक्ट बनाने का काम शुरू किया जा रहा है। अगले 2-3 माह में इससे सीएलसी ब्लॉक भी बनने लगेंगे। इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी काम करेंगी। एम्प्री, भोपाल के डॉ. अशोकन पप्पू के अनुसार, भविष्य में स्टोन स्लरी से सीमेंट शेड्स भी बनाए जा सकते हैं।

4 वर्ष पूर्व एनजीटी ने लगाई थी 15 करोड़ की पैनल्टी


प्लांट के निदेशक मुकेश त्यागी ने बताया कि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने स्लरी के निस्तारण को लेकर एक शिकायत दर्ज होने पर एनजीटी ने प्रत्येक यूनिट पर 5-5 लाख रू की पैनल्टी सहित कुल 15 करोड़ का जुर्माना किया था। इस पर स्टोन उद्यमियों ने यह भरोसा दिलाया था कि जल्द ही डम्पिंग यार्ड बनाकर स्लरी को संग्रहित करेंगे तथा इसके सह-डत्पाद के लिए प्लांट प्रारंभ किया जाएगा।

(Visited 579 times, 1 visits today)

Check Also

मोबाइल को और स्मार्ट बनाया मेटा एआई ने

नीला घेरा : 1 जुलाई से उपयोग करने के लिए उपलब्ध न्यूजवेव @नई दिल्ली वाट्सएप, …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!