अचीवर्स : टॉफेल देकर मिली स्कॉलरशिप , इंग्लैंड की न्यूकॉसल यूनिवर्सिटी से ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग में कर रहा है मास्टर्स
न्यूजवेव @ कोटा
कोटा के मेधावी आईआईटीयन विभोर तिवारी ने अपने सपनों को उंची उड़ान दी है। इन दिनों वह इंग्लैंड की न्यूकॉसल यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग से मास्टर्स कर रहा है। मई,2017 में आईआईटी,रूडकी से बीटेक करने के बाद उसने जॉब ऑफर ठुकरा दिया और आगे रिसर्च करने का फैसला किया। नवंबर,2016 में उसने टॉफेल देकर 120 में से 100 मार्क्स अर्जित किए थे, जिससे उसे 3000 पौंड प्रतिवर्ष स्कॉलरशिप मिली।
इन दिनों वह इंग्लैंड की न्यूकॉसल यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग से ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग में मास्टर्स कर रहा है। ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग व मैनेजमेंट पर उसने रिसर्च पेपर भी लिखे हैं। सितंबर,2018 में मास्टर्स करने के बाद वह यूके में जॉब करना चाहता है।
Vibhor with mother at kota
अपनी मां से मिलने कोटा आए विभोर ने बताया कि उसे अपने शहर से बहुत लगाव है। यहां कदम-कदम पर एजुकेशन का माहौल दिखता है। महावीर नगर-विस्तार में मां अनुराधा तिवारी इंग्लिश लेक्चरर हैं। विभोर ने मोदी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते हुए 2009-10 में वायब्रेंट एकेडमी से क्लासरूम कोचिंग ली थी।
कोटा में कंसेचुअल पढाई से आईआईटी पहुंचा
उसने बताया कि वायब्रेंट में सभी डायरेक्टर हर क्लास में स्वयं पढाते हैं, जिससे क्लास में ही डाउट दूर हो जाते हैं। उन्होने मैथ्स में डीपीपी शीट देकर सभी स्टूडेंट्स को खूब प्रेक्टिस करने के लिए प्रेरित किया। 11वीं में कुछ टॉपिक कमजोर थे लेकिन कंसेचुअल पढाई होने से कंसेप्ट जल्द क्लिअर हुए।
जेईई में एआईआर-2719 मिलने पर उसने आईआईटी,रूडकी में सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच मे एडमिशन लिया। मई,2017 में बीटेक के बाद कैंपस में उसे उंचे जॉब ऑफर मिले लेकिन रिसर्च में रूचि होने से उसने जॉब ठुकराकर आगे मास्टर्स की तैयारी की।
यूनिवर्सिटी में मास्टर्स की वार्षिक फीस 18 हजार पौंड है, जिसमें उसे आंशिक स्कॉलरशिप भी मिली। शेष फीस के लिए उसने एजुकेशन लोन लिया है। विभोर का कहना है कि मां का संघर्ष और मुझे कुछ बनाने का सपना देखकर बहुत इंस्पायर हुआ।
सक्सेस मंत्र-
कम पढ़ो लेकिन जितना पढ़ो पूरी दक्षता के साथ पढ़ो। कोचिंग के अतिरिक्त 6 घंटे पढाई की। रूटीन हमेशा फिक्स रखा और टाइम टेेबल को फोलो किया। एक्स्ट्रा पढ़ना अच्छा है लेकिन जितना पढ़ो, उसे 100 प्रतिशत मन लगाकर पढ़ो। डीपीपी को कभी नजरअंदाज नहीं करें, उससे कंसेप्ट क्लिअर होते हैं। नॉलेज से ज्यादा महत्वपूर्ण है आपका नजरिया,इसलिए जो कर रहे हैं उसका विजन हमेशा सामने रखिए।
Vibhor tiwari
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