Thursday, 25 April, 2024

सटीक उपचार के लिए IIT एलुमनी काउंसिल की नयी पहल-‘मेगास्कोप’

मेगास्कोप से पर्सनलाइज्ड हेल्थकेयर के लिए एक डेटा आधारित प्लेटफार्म बनाया जाएगा

न्यूजवेव @ नई दिल्ली
आपके स्वास्थ्य से जुड़ी सूचनाओं से लैस एक मजबूत डेटा प्लेटफॉर्म और जीन सीक्वेंसिंग को जोड़ दिया जाए तो इससे न केवल रोगों के निदान में सुधार हो सकता है बल्कि प्रभावी उपचार का मार्ग भी प्रशस्त होगा । सभी के लिए समान उपचार के बजाय व्यक्ति के आनुवंशिक एवं शारीरिक गठन के अनुसार दवाओं का उपयोग रोगों के उपचार में अधिक प्रभावी हो सकता है । इस नई सोच के साथ IIT एलुमनी काउंसिल ने एक नयी पहल ‘मेगास्कोप’ की घोषणा की है । एलुमनी काउंसिल ने कहा कि यह पहल प्रिडिक्टिव, प्रिवेंटिव और पर्सनलाइज्ड हेल्थकेयर सुनिश्चित करने के लिए डेटा आधारित प्लेटफार्म के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी।

Arindam Boss, Girish Mehta, Ravi Sharma

आईआईटी एलुमनी काउंसिल अध्यक्ष रवि शर्मा ने कहा कि सभी के लिए एक तरह के नैदानिक परीक्षण और एक ही तरह की दवाओं के उपयोग पर आधारित स्वास्थ्य सेवाओं का समय अब बीत रहा है। कोविड-19 से जुड़े अध्ययनों में स्पष्ट रूप से यह पाया गया है कि एक ही वायरस और समान बीमारी से ग्रस्त विभिन्न लोगों पर अलग.अलग प्रभाव हो सकते हैं। किसी समान दवा का प्रभाव विभिन्न व्यक्तियों पर अलग.अलग हो सकता है। लोगों की स्वास्थ्य संबंधी डिजिटल सूचनाओं को समेटे हुए डेटा प्लेटफॉर्म इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। यह पर्सनलाइज्ड मेडिसिन के निर्धारण में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकता है और स्वास्थ्य संबंधी पूरे परिदृश्य को बदल सकता है। उन्होंने कहा है कि एकीकृत मेगालैब या डेटा प्लेटफॉर्म पर आधारित इस तरह का दृष्टिकोण कोविड.19 और इसकी जैसी दूसरी महामारियों से लड़ने का सबसे बेहतर तरीका हो सकता है।

मेगास्कोप के माध्यम से एक डेटा आधारित प्लेटफार्म बनाया जाएगा जो बीमारियों की पहचान और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ढांचा तैयार करने पर आधारित होगा। इसमें जीन मैपिंग का इस्तेमाल किया जाएगा । देश में स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए मेगास्कोप अहम भूमिका निभा सकता है। यह संभावित बीमारियों की पहचान और उनके उपयुक्त उपचारों के लिए आधार तैयार करने का काम करेगा। इससे असमय होने वाली मौतों की संख्या को भी कम किया जा सकता है। मेगालैब इस कवायद का एक अहम हिस्सा है जो स्वास्थ्य परीक्षणों पर केंद्रित अभिनव दृष्टिकोण पर आधारित है। इस पहल के अंतर्गत नये सिरे से मेगालैब को रूपांतरित जाएगा। आईआईटी एलुमनी काउंसिल के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इसमें रुचि रखने वाले 18 संभावित साझेदारों से बातचीत हो चुकी है जिसके बाद उन्हें चिह्नित किया गया है। पूरी कवायद में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि इसमें शत.प्रतिशत स्वदेशी किट उपयोग किए जाएं और इस पहल को चीनी उत्पादों की आपूर्ति से मुक्त रखा जाए।

रोगों के डायग्नोस्टिक और आनुवंशिक परीक्षणों में विशेषज्ञ गिरीश मेहता का कहना है कि मेगास्कोप परियोजना मेंए पूरी प्रक्रिया को नये सिरे से तैयार करना होगा। परीक्षण की आरटीपीसीआर पद्धति केवल वायरस की मौजूदगी का पता लगाने में उपयोग होती है। इसका उपयोग मानव शरीर या वाहक से संबंधित डेटा प्राप्त करने के लिए नहीं होता है। यदि वाहक के जीनोम डेटा को एकत्रित कर उसे संबंधित प्रक्रियाओं से जोड़ा जाए तो यह पता लगा पाना अधिक आसान होगा कि व्यक्ति को कब होम आइसोलेशन,कब क्वारंटाइन, कब अस्पताल में भर्ती होने और कब आपातकालीन उपचार की आवश्यकता है। ऐसे में समुचित जांच प्रक्रिया में आधारभूत बदलाव की आवश्यकता है। इसे RTPCR से आगे DNA की नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग, बायो एनालिसिस और ब्लड बायोप्सी के स्तर तक ले जाना होगा। हालांकिए यह महँगी प्रक्रिया है। इसलिएए छोटी प्रयोगशालाओं में इस पर अमल करना आसान नहीं होगा। ऐसे में केंद्रीय लैब में व्यापक रूप से स्वदेशीकरण और उसे फलीभूत करने से लागत में कमी लायी जा सकती है। मेहता कोविड-19 से जुड़ी टास्क फोर्स में डायग्नोस्टिक ग्रुप के प्रमुख भी रह चुके हैं।

थेरप्यूटिक्स मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के बड़े पैमाने पर उत्पादन के विशेषज्ञ और कोविड-19 टास्क फोर्स के थेरप्यूटिक्स ग्रुप के अध्यक्ष रह चुके डॉ.अरिंदम बोस का कहना है कि कोविड-19 न तो पहली महामारी है और न ही यह आखिरी होगी। ऐसे में हमें अपने चिकित्सा तंत्र की कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने ही होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटा जा सके। इस पहल के प्रति भरोसा जगाने के लिए इसके शुरुआती प्रायोगिक परीक्षण IIT के पूर्व छात्रों और उनके परिजनों पर किए जाएंगे। वर्ष 2021 की शुरुआत से इस पहल पर अमल शुरू हो सकता है।

यह काउंसिल दुनिया में फैले IIT के पूर्व छात्रोंऔर अकादमिक पृष्ठभूमि से जुड़े विशेषज्ञों का सबसे बड़ा समूह है। देश की 23 IIT की 100 से भी अधिक शहरों में शाखाएं हैं। इसमें करीब 20,000 सक्रिय तकनीकी दिग्गज जुड़े हुए हैं, जो तकनीकी एवं वित्तीय हस्तक्षेप के जरिये राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। (इंडिया साइंस वायर)

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