Thursday, 12 December, 2024

कोरोना वायरस के उपचार में संभावित विकल्प हैं चाय और हरड़

IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने चाय और हरितकी में ऐसे तत्व का पता लगाया है जिससे वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है

उमाशंकर मिश्र

न्यूजवेव @ नई दिल्ली

दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड-19 से लड़ने के लिए वैक्सीन और दवाओं के विकास पर काम कर रहे हैं। इस दिशा में IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने चाय (Camellia sinensis) और हरितकी (Terminalia chebula) में ऐसे तत्व का पता लगाया है, जिसके बारे में दावा है कि यह कोविड-19 के उपचार में संभावित विकल्प हो सकता है।

Research Team member

इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे IIT दिल्ली के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज  के शोधकर्ता प्रो.अशोक कुमार पटेल ने बताया कि “हमने प्रयोगशाला में वायरस के एक मुख्य प्रोटीन 3 सीएल-प्रो प्रोटीएज को क्लोन किया है और उसकी गतिविधियों का परीक्षण किया है। इस अध्ययन के दौरान वायरस प्रोटीन पर कुल 51 औषधी पौधों का परीक्षण किया गया है। इन विट्रो परीक्षण में हमने पाया कि ब्लैक-टी, ग्रीन-टी और हरितकी इस वायरस के मुख्य प्रोटीन की गतिविधि को बाधित कर सकते हैं।” चाय (Camellia sinensis) महत्‍वपूर्ण बागान फसल है। इसके एक ही पौधे से ग्रीन-टी और ब्लैक-टी मिलती है। इसी तरह, हरितकी, जिसे हरड़ भी कहते हैं, को एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है।

क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत

प्रो.पटेल ने बताया कि “विस्तृत आणविक तंत्र की पड़ताल के लिए टीम ने चाय और हरितकी के सक्रिय तत्वों की जाँच शुरू की तो पाया कि गैलोटेनिन (Gallotannin) नामक अणु वायरस के मुख्य प्रोटीन की गतिविधि को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकता है। ब्लैक-टी, ग्रीन-टी या फिर हरितकी भविष्य में कोरोना वायरस के लिए संभावित उपचार विकसित करने में प्रभावी हो सकते हैं। परंतु, इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत होगी।”

शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस का 3 सीएल-प्रो प्रोटीएज वायरल पॉली प्रोटीन के प्रसंस्करण के लिए आवश्यक है। इसलिए, यह वायरस को लक्षित करने वाली दवाओं के विकास के लिए एक दिलचस्प आधार के रूप में उभरा है। उनका मानना है कि इस प्रोटीन को लक्ष्य बनाकर वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है। प्रयोगशाला में किए गए इस शोध के बाद चाय और हरितकी को कोविड-19 संक्रमण रोकने में संभावित उपचार के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि, अध्ययनकर्ताओं का कहना यह भी है कि इस शोध के नतीजों की वैधता का परीक्षण जैविक रूप से किया जा सकता है। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका फाइटोथेरैपी रिसर्च में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ता टीम में प्रो. पटेल के अलावा आईआईटी दिल्ली के सौरभ उपाध्याय, प्रवीण कुमार त्रिपाठी, डॉ शिव राघवेंद्र, मोहित भारद्वाज और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली की शोधकर्ता डॉ मंजू सिंह शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)

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