चारा काटने की मशीन से 2 बच्चों के हाथ कट कर हुए अलग, नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की टीम ने वापस जोड़ दिये
न्यूजवेव @ जयपुर
मात्र 10 दिनों के अंतराल में दो बच्चों की कलाई हाथ से कटकर पूरी तरह अलग हो गई। उनकी पीडा असहनीय थी। परिजनों ने नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर में सेवारत कोटा के अनुभवी हेंड एवं माइक्रो वैस्कुलर सर्जन डॉ.गिरीश गुप्ता से परामर्श लिया। उन्होंने टीम के साथ मिलकर दोनों बच्चों की टूटी कलाई को हाथ से जोडकर बच्चों को नया जीवन दिया।
केस-1: 6 वर्षीय प्रवीण (परिवर्तित नाम) का हाथ सुबह-सुबह चारा काट रही कुट्टी मशीन में आ गया और देखते ही देखते प्रवीण का दायां हाथ कलाई से कट कर जमीन पर पड़े चारे पर गिर गया। बिना समय गंवायें परिजन बच्चे को लेकर डॉ. गिरीश गुप्ता से मिले। प्रवीण के कट चुके हाथ की कलाई को प्लास्टिक बैग में डालकर, आईस बॉक्स में सुरक्षित लाया गया। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर में डॉक्टर्स टीम ने बिना समय गंवायें बच्चे की कटी कलाई को वापस जोड़ने के लिए इमरजेंसी से ऑपरेशन थियेटर तक ग्रीन कॉरिडार बनाकर इमरजेंसी सर्जरी की, जिससे हाथ को पुनः जोड़ा दिया गया। 7 घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में मरीज के खून की नसों को ठीक से जोड़ा गया और 7 दिनों बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया। बच्चे को समय पर सही उपचार मिल जाने से उसका हाथ फिर से काम करने लगेगा।
केस-2: एक अन्य 11 वर्षीय चेतन (परिवर्तित नाम) फंसा हुआ चारा मशीन से निकाल रहा था तो अचानक बड़े भाई ने कुट्टी मशीन का बटन ऑन कर दिया, जिससे चेतन का बांया हाथ कलाई से कट कर अलग हो गया। उसे तुरंत नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की इमरजेंसी में लाया गया। चेतन का हाथ भी ठीक उसी प्रकार प्लास्टिक में कवर करके सुरक्षित लाया गया। अनुभवी हेंड मस्कुलर सर्जन डॉ. गिरीश गुप्ता व टीम सदस्य डॉ विनीत अरोड़ा, डॉ ज्योति, डॉ दीप्ति, डॉ विजयशंकर शर्मा, शशि, गुड्डू, श्याम व ममता ने चेतन की कटी हुई कलाई को हाथ से जोड़ दिया और लगभग सामान्य स्थिति में ले आये। आने वाले दिनों में ये बच्चे पहले की तरह अपने हाथों से सभी कार्य करने लगेंगे।
हाथ को फिर से जोडना इसलिये चुनौतीपूर्ण
कलाई से कटे हाथ को फिर से जोड़ना चुनौतीपूर्ण
ऑर्थोपेडिक, हैण्ड एवं माइक्रोवैस्कुलर सर्जन डॉ. गिरीश गुप्ता ने दोनों बच्चों के हाथों को फिर से जोडकर बताया कि खून का दौरा सही करने के लिए जिन कटी धमनियों को जोड़ा जाता हैं उनके बंद होने का खतरा रहता है इसलिए लगातार मॉनिटरिंग आवश्यक है। गंदे खून को शरीर में ले जाने वाली नसें बहुत बारीक होती है, उन्हें फिर से जोड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है और उनमें खून का थक्का होने का खतरा भी बना रहता है। मरीज के खून को कई दिनों तक पतला रखना पड़ता है। ऑपरेशन के दौरान शरीर का तापमान काफी हद तक बढ़ सकता है जो घातक होता है इसलिए ऑपरेशन के दौरान बहुत सावधानी रखते है।